भारत ने मंगलवार को पाकिस्तान उच्चायोग में कार्यरत एक अधिकारी को उसकी “राजनयिक मर्यादा के विरुद्ध गतिविधियों में संलिप्त होने” के कारण देश से निष्कासित कर दिया। सरकार ने उस अधिकारी को 24 घंटे के भीतर भारत छोड़ने का निर्देश दिया है। इस संबंध में नई दिल्ली में मौजूद पाकिस्तान के प्रभारी को एक आधिकारिक आपत्ति-पत्र सौंपा गया।
भारत की इस कार्रवाई के जवाब में पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भी इसी दिन एक भारतीय राजनयिक को “अवांछित व्यक्ति” घोषित करते हुए 24 घंटे के भीतर पाकिस्तान छोड़ने का आदेश दिया। पाकिस्तान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर इसकी जानकारी साझा करते हुए बताया कि भारतीय प्रभारी को विदेश मंत्रालय में बुलाकर इस निर्णय से अवगत कराया गया।
भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, निष्कासित पाकिस्तानी अधिकारी का पंजाब में हाल में हुई कुछ गिरफ्तारियों से संबंध पाया गया है। उसके निष्कासन के बाद दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग में कार्यरत कर्मचारियों की संख्या घटकर 29 रह गई है।
इससे पहले, पंजाब पुलिस ने रविवार को दो लोगों—एक महिला सहित—को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया था। इन पर आरोप है कि वे पाकिस्तान के एक अधिकारी के निर्देश पर भारतीय सेना की गतिविधियों से जुड़ी संवेदनशील जानकारी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी को लीक कर रहे थे। पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान मलेरकोटला के रहने वाले 31 वर्षीय गुजाला और यामीन मोहम्मद के रूप में की गई है।
पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने जानकारी दी कि यह गिरफ्तारी विश्वसनीय खुफिया जानकारी के आधार पर की गई, जिसमें पाया गया कि संदिग्ध लोग सेना की गतिविधियों और उनके स्थानों की गोपनीय जानकारी पाकिस्तान स्थित हैंडलर को भेज रहे थे।
यह मामला उस हालिया घटना से जुड़ा हुआ है जब अमृतसर ग्रामीण पुलिस ने सेना के छावनी क्षेत्रों और एयरबेसों की संवेदनशील तस्वीरें और सूचनाएं लीक करने के आरोप में फलकशेर मसीह और सूरज मसीह नामक दो अन्य व्यक्तियों को गिरफ्तार किया था।
गौरतलब है कि भारत ने पहले भी पाकिस्तान उच्चायोग से 25 राजनयिकों और अधिकारियों को निष्कासित किया था, जिससे उनकी संख्या 55 से घटकर 30 रह गई थी। निष्कासित लोगों में पाकिस्तान के सशस्त्र बलों—सेना, नौसेना और वायु सेना—के अधिकारी भी शामिल थे।
इसके साथ ही, भारत ने इस्लामाबाद स्थित अपने उच्चायोग से भी 25 राजनयिकों को वापस बुला लिया था। यह कदम 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा उठाए गए कूटनीतिक जवाबी उपायों की एक कड़ी के रूप में देखा जा रहा है।