तीसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में देवेंद्र फडणवीस की नियुक्ति राज्य की राजनीति में एक ऐतिहासिक बदलाव का संकेत देती है, जिसका असर न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश पर पड़ेगा। महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भाजपा की अभूतपूर्व जीत के बाद, 54 वर्षीय फडणवीस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब उनकी स्थिति को चुनौती देना मुश्किल होगा। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अन्य मुख्यमंत्रियों की तुलना में फडणवीस बेमिसाल नहीं हैं, और यही बात उनकी सबसे बड़ी ताकत है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरह, फडणवीस ने खुद को एक स्वतंत्र और सक्षम नेता के रूप में स्थापित किया है।
विदर्भ का नेतृत्व
एम.एस. कन्नमवार, वसंतराव नाइक और सुधाकरराव नाइक के बाद, देवेंद्र फडणवीस विदर्भ क्षेत्र से मुख्यमंत्री बनने वाले चौथे नेता हैं। गृह मंत्री के रूप में भले ही उन्होंने बुलडोजर की राजनीति नहीं अपनाई, लेकिन भीमा-कोरेगांव मामले और ‘शहरी नक्सलियों’ जैसे संवेदनशील मुद्दों पर उन्होंने कड़ा रुख अपनाया। “बटेंगे तो कटेंगे” और “एक है तो सुरक्षित है” जैसे नारे उनकी विचारधारा को दर्शाते हैं, जिन पर फडणवीस ने कभी माफी मांगने की जरूरत महसूस नहीं की।
भाजपा में कद और राष्ट्रीय समर्थन
इस जीत के साथ, फडणवीस ने खुद को भाजपा के प्रमुख नेताओं में शामिल कर लिया है। राष्ट्रीय स्तर पर उनकी पहचान मजबूत होती जा रही है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके नेतृत्व को हमेशा समर्थन दिया है। फडणवीस मोदी के प्रति वफादार रहे हैं और उनकी रणनीतिक चतुराई व धैर्य को साझा करते हैं।
शिवसेना पर निशाना
फडणवीस का पहला राजनीतिक लक्ष्य शिवसेना हो सकता है। माना जा रहा है कि वह जल्द ही ग्रेटर मुंबई सहित नगर निगमों के चुनाव का ऐलान कर सकते हैं, जिससे उद्धव ठाकरे की नेतृत्व वाली शिवसेना को और कमजोर किया जा सके। “लोहा गर्म है, तब चोट करो” की नीति को ध्यान में रखते हुए, फडणवीस अपने विरोधियों पर दबाव बनाने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे।
भाजपा का प्रभाव और मराठा समर्थन
महाराष्ट्र में विपक्ष की स्थिति कमजोर है। कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के गठबंधन से शिवसेना की हिंदुत्ववादी छवि को नुकसान पहुंचा है। वहीं, प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (VBA) और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) भी भाजपा को चुनौती देने में सक्षम नहीं हैं। प्रमुख मराठा समुदाय भी अब भाजपा के प्रति नरम हो गया है। भाजपा ने अपने अंदर किसी एक जाति के वर्चस्व को खत्म कर व्यापक आधार बनाने में सफलता पाई है।
महाराष्ट्र में भाजपा का विस्तार
भाजपा की “सही दिशा और स्पष्ट नीति” ने उसे महाराष्ट्र में सबसे प्रभावशाली राजनीतिक ताकत बनने के करीब पहुंचा दिया है। हाल के वर्षों में भाजपा की गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में जीत ने महाराष्ट्र में भी पार्टी को बढ़ावा दिया है। कांग्रेस के पारंपरिक गढ़ में गिरावट से भाजपा को फायदा हुआ है। हालांकि, क्षेत्रीय दल अभी भी भाजपा के लिए चुनौती बने हुए हैं, लेकिन उनकी स्थिति कमजोर है।
विपक्ष के लिए खतरा
फडणवीस का उदय विपक्ष के लिए अस्तित्व का खतरा बन गया है। भाजपा अब महाराष्ट्र में “शत प्रतिशत” (100%) का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रही है, यानी पार्टी को इतना मजबूत बनाना कि वह अपने सहयोगियों पर निर्भर न रहे।
गडकरी की स्थिति और फडणवीस का उदय
फडणवीस का फिर से उभार ऐसे समय में हुआ है जब नितिन गडकरी का कद पार्टी और सरकार में घटता दिख रहा है। गडकरी ने ही फडणवीस को राजनीति में लाने में अहम भूमिका निभाई थी। फडणवीस दूसरी पीढ़ी के राजनेता हैं; उनके पिता गंगाधर फडणवीस शरद पवार के कार्यकाल में एमएलसी थे।
प्रारंभिक जीवन और राजनीतिक यात्रा
देवेंद्र फडणवीस का राजनीतिक करियर बेहद तेजी से आगे बढ़ा है। 1992 में 22 साल की उम्र में वे पार्षद बने, और 1997 में वे नागपुर नगर निगम के सबसे युवा मेयर बने। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
देवेंद्र फडणवीस की नेतृत्व क्षमता, उनकी सटीक रणनीति और स्पष्ट दृष्टिकोण महाराष्ट्र को न केवल नए सिरे से परिभाषित कर रही है, बल्कि भाजपा को भी राज्य में एक मजबूत और आत्मनिर्भर स्थिति में ले जा रही है।