कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी समेत कई विपक्षी सांसदों ने बुधवार को संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से उनकी कथित टिप्पणी के लिए माफी मांगने की मांग की, जिसे उन्होंने बी. आर. अंबेडकर का अपमान बताया। प्रदर्शन के दौरान सांसदों ने संसद के मकर द्वार की सीढ़ियों के सामने अंबेडकर की तस्वीरें लेकर नारेबाजी की।
सांसदों ने ‘जय भीम’, ‘संघ का विधान नहीं चलेगा’ और ‘अमित शाह माफी मांगेंगे’ जैसे नारे लगाए। इस प्रदर्शन में कांग्रेस, डीएमके, आरजेडी, लेफ्ट, आप समेत कई विपक्षी दलों के सांसदों ने भाग लिया।
कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया था कि राज्यसभा में संविधान पर बहस के दौरान अमित शाह की टिप्पणी से यह स्पष्ट होता है कि भाजपा और आरएसएस के नेताओं के दिलों में अंबेडकर के प्रति “गहरी नफरत” है। कांग्रेस ने शाह से माफी की मांग की।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि जो लोग मनुस्मृति में विश्वास करते हैं, वे अंबेडकर के विचारों से असहमत होंगे। कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने उच्च सदन में शाह के भाषण का एक वीडियो स्निपेट साझा किया और आरोप लगाया कि यह टिप्पणी अंबेडकर का अपमान है।
अमित शाह ने बहस के दौरान विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा था, “अभी एक फैशन हो गया है – अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।”
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शाह की टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा कि गृह मंत्री ने बाबासाहेब का “अपमान” किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा-आरएसएस की विचारधारा हमेशा से अंबेडकर और उनके द्वारा बनाए गए संविधान के खिलाफ रही है। खड़गे ने आरोप लगाया कि संघ परिवार के लोग मनुस्मृति को लागू करना चाहते थे, लेकिन अंबेडकर ने ऐसा होने नहीं दिया, और इसी कारण वे उनसे नफरत करते हैं।
खड़गे ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर हमारे लिए भगवान से कम नहीं हैं। वे दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यकों और गरीबों के मसीहा हैं और हमेशा रहेंगे।”
राज्यसभा में मंगलवार को अमित शाह ने कांग्रेस पर तीखा हमला किया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने संविधान को एक परिवार की “निजी जागीर” के रूप में माना और संसद के साथ “धोखाधड़ी” की। “भारत के संविधान की 75 साल की गौरवशाली यात्रा” पर आयोजित दो दिवसीय बहस के समापन पर शाह ने कहा कि कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति ने संविधान की भावना को नुकसान पहुंचाया।
शाह ने यह भी दावा किया कि कांग्रेस मुसलमानों को आरक्षण देने के लिए 50 प्रतिशत कोटा सीमा का उल्लंघन करना चाहती थी। उन्होंने पूछा कि क्या कांग्रेस मुस्लिम पर्सनल लॉ का समर्थन करती है और आरोप लगाया कि पार्टी ने कभी भी पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए काम नहीं किया।
अमित शाह ने जोर देकर कहा कि भाजपा उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू कर चुकी है और इसे देश के अन्य राज्यों में भी लागू करेगी।