तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने मंगलवार को कहा कि वह आतंकवाद के खिलाफ केंद्र सरकार की वैश्विक पहल का समर्थन करती है, लेकिन किसी भी सरकार की पहली और सबसे बड़ी जिम्मेदारी अपने नागरिकों के प्रति जवाबदेह होना है। इसी संदर्भ में पार्टी सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और उससे जुड़ी घटनाओं पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है।
TMC के लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसद संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में एकत्र हुए और प्रधानमंत्री को संबोधित उस पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें आग्रह किया गया है कि 5 जून को सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल के जम्मू-कश्मीर दौरे से लौटने के बाद संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए।
राज्यसभा में पार्टी की उपनेता सागरिका घोष ने मीडिया से बातचीत में बताया, “आज तृणमूल कांग्रेस के दोनों सदनों के सांसदों ने केंद्रीय कक्ष में बैठक की और प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में हमने आग्रह किया है कि ऑपरेशन सिंदूर, उसके पहले और बाद की घटनाओं पर चर्चा के लिए विशेष सत्र बुलाया जाए। इसके साथ ही हमने सीमा पर शहीद हुए जवानों और पहलगाम में जान गंवाने वाले नागरिकों को श्रद्धांजलि देते हुए दो मिनट का मौन भी रखा।”
पार्टी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, “हम आतंकवाद के खिलाफ भारत की वैश्विक मुहिम में केंद्र सरकार की पहल का स्वागत करते हैं। लेकिन सरकार की प्राथमिक जवाबदेही अपने नागरिकों के प्रति होती है। इसी उद्देश्य से हमने प्रधानमंत्री को विशेष सत्र बुलाने की मांग करते हुए पत्र लिखा है।”
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इससे पहले केंद्र सरकार से विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था, “हमने पाकिस्तान आधारित आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ संकल्प को दुनिया के सामने प्रस्तुत करने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल विदेश भेजकर केंद्र का पूरा सहयोग किया है। अब वक्त आ गया है कि संसद में इस विषय पर खुलकर चर्चा की जाए।”
लोकसभा में TMC की उपनेता काकोली घोष दस्तीदार ने कहा, “लोकसभा और राज्यसभा—दोनों सदनों में विशेष सत्र बुलाकर हमें यह समझने का अवसर मिलना चाहिए कि ऐसे आतंकी हमले कैसे हो रहे हैं और सरकार उन्हें रोकने के लिए क्या कदम उठा रही है।”
TMC की यह पहल बताती है कि पार्टी जहां राष्ट्रीय सुरक्षा पर केंद्र के रुख का समर्थन कर रही है, वहीं वह पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग करते हुए संसद में एक गंभीर और व्यापक चर्चा चाहती है।

