भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने संकटग्रस्त इंडसइंड बैंक के दो पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों की जांच दोबारा शुरू कर दी है। यह फैसला नई जानकारी और मीडिया रिपोर्टों के सामने आने के बाद लिया गया है। जिन अधिकारियों की फिर से जांच हो रही है, वे हैं बैंक के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) सुमंत कठपालिया और उनके डिप्टी अरुण खुराना, जिन्होंने अप्रैल में अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था।
पहले दी थी क्लीन चिट
मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, SEBI ने पहले इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोपों की जांच की थी और इस महीने की शुरुआत में उन्हें क्लीन चिट दे दी गई थी। जांच में पाया गया था कि उन्होंने इंडसइंड बैंक के शेयरों में व्यापार से पहले आवश्यक खुलासे किए थे।
जांच फिर से क्यों शुरू हुई?
हालांकि, मीडिया में आई नई रिपोर्टों में यह दावा किया गया कि दोनों अधिकारियों को बैंक में चल रही लेखांकन अनियमितताओं की जानकारी पहले से थी और इसके बावजूद उन्होंने शेयरों का व्यापार किया। इस खुलासे के बाद SEBI ने जांच को दोबारा शुरू करने का निर्णय लिया।
इस बीच, वैश्विक ऑडिट फर्म ग्रांट थॉर्नटन द्वारा किए गए फॉरेंसिक ऑडिट में चौंकाने वाले खुलासे हुए। रिपोर्ट में दावा किया गया कि कठपालिया और खुराना ने प्राइस-सेंसिटिव जानकारी का इस्तेमाल कर के शेयरों की खरीद-फरोख्त की, जो इनसाइडर ट्रेडिंग के दायरे में आता है।
RBI के निर्देश पर हुआ ऑडिट
यह ऑडिट भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के निर्देश पर किया गया था, जब 2023 के अंत में इंडसइंड बैंक के डेरिवेटिव ट्रेडिंग खातों में गंभीर विसंगतियां सामने आईं। इस ऑडिट के बाद बैंक के बोर्ड ने PwC और ग्रांट थॉर्नटन को लेखा-परीक्षण की जिम्मेदारी दी।
ग्रांट थॉर्नटन ने 26 अप्रैल को अपनी रिपोर्ट बोर्ड को सौंपी, लेकिन सेबी को अब तक इसकी एक प्रति नहीं मिली है। एक सूत्र ने बताया कि सेबी ने रिपोर्ट की एक प्रति मंगाई है और उसके निष्कर्षों की जांच कर रही है।
अंदरूनी जानकारी का दुरुपयोग
मार्च 2024 में बैंक ने खुलासा किया था कि उसके फॉरेक्स डेरिवेटिव्स में अनुचित अकाउंटिंग के चलते बैंक को ₹1,960 करोड़ का घाटा हुआ और इसके चलते शेयरों में भारी गिरावट आई। इस घटना के बाद ही यह मुद्दा व्यापक रूप से सामने आया।
रॉयटर्स की 8 मई की रिपोर्ट में दावा किया गया कि दोनों अधिकारियों ने उन कमियों की जानकारी होते हुए भी इंडसइंड बैंक के शेयरों का व्यापार किया। अगर यह आरोप सही पाए जाते हैं, तो यह इनसाइडर ट्रेडिंग और धोखाधड़ी के गंभीर मामले बन सकते हैं।
बोर्ड को भी कटघरे में लाया जा सकता है
इस सप्ताह की शुरुआत में, इंडसइंड बैंक के चेयरमैन सुनील मेहता ने विश्लेषकों को बताया कि बैंक को अपनी रिपोर्टिंग टीम में कुछ वरिष्ठ कर्मचारियों द्वारा धोखाधड़ी की आशंका है, जिसके चलते लेखांकन में अनियमितताएं हुईं। उन्होंने यह भी कहा कि जब बोर्ड ने वित्तीय परिणामों को मंजूरी दी, तब उसे इन खामियों की जानकारी नहीं दी गई थी।
सेबी चेयरमैन तुहिन कांता पांडे ने गुरुवार को पुष्टि की कि सेबी और RBI दोनों अपने-अपने दायरे में जांच कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सेबी यह भी जांच कर सकता है कि क्या बैंक के बोर्ड को फोरेंसिक रिपोर्ट की जानकारी थी और क्या उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा शेयरों के व्यापार की जानकारी छिपाई।
इस घटनाक्रम से यह साफ है कि कॉर्पोरेट गवर्नेंस, पारदर्शिता और नियामकीय अनुपालन के मामले में इंडसइंड बैंक एक गंभीर संकट का सामना कर रहा है। सेबी की दोबारा शुरू हुई यह जांच न केवल पूर्व अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की कोशिश है, बल्कि बोर्ड और संस्था के भीतर जवाबदेही के अभाव को भी उजागर कर रही है।