Monday, February 24, 2025

RG Kar Medical College एवं अस्पताल में डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या पर आदेश के मुख्य बिंदु

सियालदह न्यायालय के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिरबन दास ने 172 पृष्ठों के निर्णय में आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक युवा डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले के जांच और निष्कर्षों को विस्तार से प्रस्तुत किया है। इसमें 9 अगस्त 2024 को हुई इस घटना और उससे संबंधित जांच के दौरान उठाए गए संदेहों का विश्लेषण भी किया गया है।

पीड़िता को अंतिम बार जीवित कब देखा गया?

न्यायाधीश के निष्कर्ष के अनुसार, पीड़िता को अंतिम बार 9 अगस्त 2024 को सुबह 2:50 बजे आरजी कर के आपातकालीन भवन की तीसरी मंजिल पर स्थित सेमिनार हॉल में जीवित देखा गया।
दो जूनियर डॉक्टरों – गुलाम आजम और अर्को सेन – ने बताया कि उन्होंने पीड़िता के साथ 8 अगस्त की रात ड्यूटी के दौरान रात का खाना खाया। यह रात का खाना करीब 12:45 से 1:00 बजे तक चला। खाना खाने के बाद पीड़िता थोड़ी देर आराम करने चली गई, जबकि अन्य डॉक्टर काम पर लौट गए।
आजम ने सुबह 2:50 बजे उसे मंच पर लाल कंबल ओढ़े सोते हुए देखा। सेन ने बताया कि सुबह 2:00 से 2:15 बजे वह अपना बैग लाने सेमिनार हॉल गया था और उस समय भी महिला को सोते हुए पाया।

शव की खोज

सुबह करीब 9:00 बजे, जब पीड़िता ने ड्यूटी ज्वाइन नहीं की और उससे संपर्क नहीं हो पाया, तो सेन और अन्य सहकर्मियों ने उसकी तलाश शुरू की। सेन सेमिनार हॉल गया और वहां का दरवाजा खुला पाया। अंदर जाकर उसने देखा कि पीड़िता के कपड़े अस्त-व्यस्त थे और उसकी नाक पर चोट के निशान थे।
इस दृश्य से घबराकर, सेन नर्सिंग स्टेशन गया और अपने सहकर्मियों को घटना की जानकारी दी।
पीड़िता की पोस्टग्रेजुएशन यूनिट के विजिटिंग फिजिशियन सुमित रॉय तपादर ने शव की जांच कर उसे मृत घोषित किया। साथ ही, उन्होंने यौन उत्पीड़न की संभावना भी व्यक्त की।

मौत का कारण

न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि पीड़िता की मौत गला घोंटने के कारण हुई और यह हत्या का मामला था। जांच के दौरान, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शरीर पर कई चोटों का उल्लेख किया गया, जो संघर्ष और यौन उत्पीड़न की ओर इशारा करती थीं।

यौन उत्पीड़न की पुष्टि

फोरेंसिक विशेषज्ञों के बयान और रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता के साथ यौन उत्पीड़न हुआ, जिसमें केवल एक व्यक्ति की संलिप्तता पाई गई।

अपराधी की पहचान

सीसीटीवी फुटेज और फोरेंसिक साक्ष्यों के आधार पर, आरोपी संजय रॉय की संलिप्तता साबित हुई। फुटेज में रॉय को घटना स्थल के आसपास देखा गया था। डीएनए मिलान ने भी पुष्टि की कि अपराध में रॉय शामिल था।

अपराध स्थल और मकसद

सेमिनार हॉल को ही अपराध स्थल माना गया, जहां पीड़िता का शव पाया गया। न्यायाधीश ने निर्णय दिया कि आरोपी ने शराब के नशे में अचानक आवेग में यह अपराध किया। घटना पूर्व नियोजित नहीं थी और आरोपी का उद्देश्य केवल अपनी वासना की पूर्ति था।

फैसले में न्यायाधीश ने कहा कि यह मामला एक व्यक्ति द्वारा अंजाम दी गई हिंसा और यौन उत्पीड़न का है। फोरेंसिक साक्ष्यों, पोस्टमार्टम रिपोर्ट और सीसीटीवी फुटेज ने अपराधी की पहचान सुनिश्चित की। यह निर्णय पीड़िता और न्याय की जीत के रूप में देखा जा रहा है।

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