भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) चालू वित्त वर्ष में केंद्र सरकार को 2.7 लाख करोड़ रुपये का लाभांश हस्तांतरित करेगा, जो अब तक का सबसे बड़ा ट्रांसफर होगा। यह राशि पिछले वित्त वर्ष के 2.1 लाख करोड़ रुपये और इस साल के बजट अनुमान से कहीं अधिक है। यह अभूतपूर्व लाभांश सरकार को राजकोषीय मोर्चे पर बड़ी राहत देगा।
बजट अनुमानों से अधिक लाभांश
सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए RBI, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों से कुल 2.6 लाख करोड़ रुपये के लाभांश की उम्मीद जताई थी। मगर अकेले RBI से ही 2.7 लाख करोड़ रुपये प्राप्त होंगे, जो इस अनुमान से अधिक हैं। यह अतिरिक्त राशि सरकार को अतिरिक्त खर्चों का प्रबंधन करने, कर संग्रह की संभावित कमी से निपटने और विनिवेश लक्ष्य में कमी की भरपाई करने में मदद कर सकती है।
रक्षा खर्च और कमजोर कर संग्रह की भरपाई संभव
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि यह भुगतान उम्मीद से बहुत अधिक है और सरकार को 50,000 से 60,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त संसाधन मिल सकते हैं। यह पूंजी संभावित रूप से कम टैरिफ, कमजोर नाममात्र जीडीपी वृद्धि, और अप्रत्याशित रक्षा व्यय से उत्पन्न वित्तीय दबावों की भरपाई कर सकती है।
विदेशी परिसंपत्तियों और तरलता से आय में वृद्धि
RBI के अधिशेष में वृद्धि का कारण विदेशी मुद्रा बिक्री से हुई आय, विदेशी परिसंपत्तियों पर बेहतर रिटर्न और प्रभावी तरलता प्रबंधन से हुआ लाभ रहा। इसके बावजूद RBI ने अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा आकस्मिक जोखिम बफर में जोड़ने के लिए रोक रखा है।
आकस्मिक बफर में वृद्धि
RBI ने अपने आकस्मिक जोखिम बफर को पिछले वर्ष के 6.5% से बढ़ाकर 7.5% कर दिया है। यह वृद्धि वैश्विक अनिश्चितता और घरेलू वित्तीय स्थिरता से जुड़े जोखिमों को ध्यान में रखते हुए की गई है। यह केंद्रीय बैंक के एक अधिक सतर्क और विवेकशील दृष्टिकोण को दर्शाता है।
बॉन्ड प्रतिफल में गिरावट की संभावना
विश्लेषकों का मानना है कि RBI का यह लाभांश भुगतान बॉन्ड प्रतिफल (yield) को नीचे लाने में मदद करेगा, जिससे सरकार को उधारी लागत कम करने में सहायता मिलेगी। इससे बाजार में सकारात्मक संकेत जाएगा और सरकारी बॉन्ड की मांग में बढ़ोतरी हो सकती है।
राजकोषीय घाटे पर असर
ICRA की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर के अनुसार, यह लाभांश सरकार को लगभग 40,000 से 50,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय स्पेस देगा, जो सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 11 से 14 आधार अंकों के बराबर है। उन्होंने बताया कि यदि वित्त वर्ष 2025 के लिए नाममात्र जीडीपी का संशोधित आंकड़ा और वित्त वर्ष 2026 में 9% की अपेक्षित वृद्धि को देखा जाए, तो सरकार बिना राजकोषीय घाटे के लक्ष्य (4.4%) का उल्लंघन किए लगभग 30,000 करोड़ रुपये तक की अतिरिक्त स्लिपेज को समायोजित कर सकती है।
हर साल नहीं दोहराया जा सकता
हालांकि यह भुगतान वर्तमान में सरकार को बड़ी राहत देता है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इसे हर साल दोहराना संभव नहीं है। RBI द्वारा जोखिमों का मुकाबला करने के लिए आकस्मिक बफर बढ़ाया गया है, लेकिन भविष्य में लाभांश हस्तांतरण की मात्रा बाजार की स्थितियों और केंद्रीय बैंक द्वारा आरक्षित की गई राशि पर निर्भर करेगी।
RBI का यह रिकॉर्ड लाभांश भुगतान न केवल सरकार को वित्तीय मजबूती प्रदान करेगा, बल्कि आर्थिक अस्थिरता के बीच एक भरोसेमंद समर्थन भी साबित होगा। हालांकि, दीर्घकालिक वित्तीय योजना में इसे स्थायी समाधान के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।