भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की हालिया बैठक में रेपो दर में लगातार दूसरी बार कटौती करते हुए इसे 6.25% से घटाकर 6% कर दिया है। यह कटौती 25 आधार अंकों की है और वित्त वर्ष 2025-26 की पहली MPC बैठक के दौरान 7 से 9 अप्रैल के बीच घोषित की गई। यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब मुद्रास्फीति नियंत्रण में है और वैश्विक आर्थिक हालात अनिश्चितता के दौर से गुजर रहे हैं।
क्या है रेपो दर?
रेपो दर वह ब्याज दर होती है जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है, आमतौर पर सरकारी प्रतिभूतियों के बदले में। यह दर देश की मौद्रिक नीति का एक अहम उपकरण है, जिसके माध्यम से RBI मुद्रास्फीति और तरलता को नियंत्रित करता है।
RBI ने रेपो दर में कटौती क्यों की?
RBI तब रेपो दर घटाता है जब वह अर्थव्यवस्था में तरलता बढ़ाना चाहता है और आर्थिक गतिविधियों को गति देना चाहता है। इस बार दर में कटौती का मुख्य कारण नियंत्रित मुद्रास्फीति और वैश्विक अनिश्चितताओं से निपटना है।
वित्त वर्ष 2025-26 के लिए RBI ने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति को 4% पर अनुमानित किया है, जो कि उसकी 2-6% की लक्ष्य सीमा में है।
इसके अलावा, अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की टैरिफ नीतियों के चलते वैश्विक व्यापार में मंदी की आशंका भी इस निर्णय के पीछे एक कारण रही।
रेपो दर में कटौती का आप पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
1. ऋण और EMI पर असर
रेपो दर में कमी का सबसे सीधा लाभ ऋण लेने वालों को होता है। बैंकों के लिए अब RBI से धन उधार लेना सस्ता हो गया है, जिससे वे ग्राहकों को भी कम ब्याज दरों पर ऋण दे सकते हैं।
इसका मतलब है कि होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन की EMI सस्ती हो सकती है।
हालाँकि, इसका वास्तविक लाभ इस बात पर निर्भर करेगा कि बैंक इस कटौती को ग्राहकों तक कितनी जल्दी और कितनी मात्रा में पहुँचाते हैं।
2. फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) निवेशकों पर असर
जहाँ उधारकर्ता राहत की सांस ले सकते हैं, वहीं FD में निवेश करने वालों को कम रिटर्न मिलने की आशंका है।
बैंक अपनी लाभप्रदता बनाए रखने के लिए जमा पर ब्याज दरें भी घटा सकते हैं। ऐसे में जो लोग अभी निवेश करेंगे उन्हें पिछले निवेशकों की तुलना में कम ब्याज मिल सकता है।
यदि आप FD में निवेश की सोच रहे हैं, तो संभव है कि जल्दी करना फायदेमंद हो, क्योंकि भविष्य में दरें और गिर सकती हैं।
3. व्यक्तिगत ऋण लेने वालों के लिए
अगर आपके पास पहले से कोई फिक्स्ड रेट वाला लोन है तो आपकी EMI में कोई बदलाव नहीं होगा। लेकिन यदि आप नया लोन लेना चाहते हैं, तो आपको सस्ती ब्याज दरों का लाभ मिल सकता है।
अर्थव्यवस्था की स्थिति और भविष्य का अनुमान
RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अब स्थिरता की ओर बढ़ रही है। उन्होंने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 6.5% रहने का अनुमान जताया है। तिमाहीवार अनुमान इस प्रकार हैं:
- Q1: 6.5%
- Q2: 6.7%
- Q3: 6.6%
- Q4: 6.3%
उन्होंने यह भी बताया कि कृषि क्षेत्र मजबूत जलाशयों और अच्छी फसल की उम्मीदों के कारण आशाजनक दिख रहा है।
विनिर्माण और सेवा क्षेत्र भी अब सुधार के संकेत दे रहे हैं। शहरी उपभोग में धीरे-धीरे बढ़ोतरी हो रही है। साथ ही, मजबूत कॉर्पोरेट और बैंक बैलेंस शीट और सरकार की बुनियादी ढांचे पर लगातार फोकस के कारण निवेश गतिविधियाँ भी तेज हो रही हैं।
रेपो दर में यह कटौती अर्थव्यवस्था को गति देने का संकेत है, जिससे आम आदमी को EMI में राहत मिल सकती है, लेकिन निवेशकों को सावधानीपूर्वक कदम उठाना होगा।
आने वाले समय में अगर मुद्रास्फीति नियंत्रण में रही, तो और भी राहत की उम्मीद की जा सकती है।