प्राइस वॉटरहाउस कूपर्स (PwC) ने इंडसइंड बैंक के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो की लेखा समीक्षा पूरी करने के बाद बैंक को अपनी मसौदा रिपोर्ट सौंप दी है। इकोनॉमिक टाइम्स को दो सूत्रों ने बताया कि यह रिपोर्ट मुख्य रूप से लेखांकन पहलुओं पर केंद्रित है और इसमें किसी व्यक्ति या इकाई को प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है। साथ ही, इसमें डेरिवेटिव लेनदेन में हुई चूक की समयसीमा की भी जांच नहीं की गई है।
यह लेखांकन समीक्षा अक्टूबर 2024 में शुरू हुई थी, जब बैंक ने वर्षों पुरानी विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव घाटे की गलत रिपोर्टिंग से जुड़ी विसंगतियों का खुलासा किया था। फिलहाल, इंडसइंड बैंक PwC की मसौदा रिपोर्ट की समीक्षा कर रहा है और जल्द ही इस पर अपनी टिप्पणियाँ साझा करने की योजना बना रहा है। समीक्षा प्रक्रिया के दौरान बैंक अधिकारियों ने PwC की टीम के साथ सहयोग भी किया।
PwC ने अपने कार्यक्षेत्र को केवल लेखा समीक्षा तक सीमित रखा है, जबकि ग्रांट थॉर्नटन भारत, इस मामले की गहराई से फोरेंसिक जांच कर रहा है। यह जांच डेरिवेटिव घाटे के मूल कारणों की पहचान करने, किसी भी प्रकार की चूक को उजागर करने और संबंधित पक्षों की जवाबदेही तय करने के लिए की जा रही है।
डेरिवेटिव घाटे का खुलासा और शेयरों पर असर
इंडसइंड बैंक ने 10 मार्च को 2,100 करोड़ रुपये के डेरिवेटिव घाटे का खुलासा किया था, जो 2017 से 2024 के बीच हुए विदेशी मुद्रा स्वैप लेनदेन के दौरान हुए बेहिसाब घाटों के कारण हुआ। इन घाटों को समय पर बैंक की वित्तीय रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया था, जिसके चलते यह विसंगति सामने आई। ट्रेजरी से जुड़े लाभ को लाभ-हानि खाते में दर्शाया गया था, जबकि संबंधित डेरिवेटिव घाटों को शुद्ध ब्याज आय (NII) में समायोजित नहीं किया गया था।
इस खुलासे के बाद बैंक के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली — 23% तक। विश्लेषकों ने अनुमान लगाया कि इस विसंगति का असर बैंक की निवल संपत्ति पर 1,600 करोड़ रुपये तक का हो सकता है, जो दिसंबर 2024 तिमाही के 1,401 करोड़ रुपये के शुद्ध लाभ से अधिक है।
आरबीआई के दिशा-निर्देश और जांच
इंडसइंड बैंक ने आंशिक रूप से इस घाटे के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के सितंबर 2023 के उस निर्देश को जिम्मेदार ठहराया, जिसमें बैंकों को आंतरिक व्यापार और हेजिंग प्रथाओं को समाप्त करने का निर्देश दिया गया था। यह प्रतिबंध 1 अप्रैल 2024 से लागू हुआ। हालांकि, इस निर्देश के बावजूद पुराने लेन-देन से हुए घाटों का समाधान नहीं हुआ और यह विसंगतियाँ पहले की ऑडिट प्रक्रिया में नजरअंदाज होती रहीं।
RBI ने हाल ही में बैंक के बोर्ड को आदेश दिया है कि वह लेखांकन में हुई गलतियों की जांच कर उन लोगों की पहचान करे जो इसके लिए जिम्मेदार हैं और उन्हें उचित दंड दिया जाए। डिप्टी गवर्नर जे. स्वामीनाथन ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि जब भी ऐसी घटनाएं सामने आती हैं, तो संबंधित बोर्ड को फोरेंसिक जांच और जवाबदेही तय करने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि चाहे दोषी कोई आंतरिक कर्मचारी हो, बाहरी पार्टी हो या सेवा प्रदाता, सभी के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
प्रबंधन में बदलाव और बाजार की प्रतिक्रिया
इस विवाद के बीच, इंडसइंड बैंक के कुछ आंतरिक घटनाक्रम भी चर्चा में आए हैं। इनमें बैंक के मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) गोबिंद जैन का इस्तीफा और पिछले दो वर्षों में CEO सुमंत कठपालिया और डिप्टी CEO अरुण खुराना द्वारा लगभग 157 करोड़ रुपये के शेयर बेचना शामिल है।
बैंक के शेयर 11 मार्च को ₹655 के निचले स्तर तक गिर गए थे, लेकिन 19 मार्च तक वे ₹692 तक आंशिक रूप से उबर चुके थे। हालांकि, पिछले छह महीनों में बैंक का शेयर अब भी 53% से अधिक नीचे बना हुआ है। निवेशक अब फोरेंसिक जांच के निष्कर्षों, वित्तीय पुनर्संरचना और प्रबंधन में जवाबदेही तय करने की प्रक्रिया पर नज़र बनाए हुए हैं।
KPMG और EY की सहायता
2024 की शुरुआत में, बैंक ने अपनी ट्रेजरी नीतियों, प्रक्रियाओं और लेखा प्रणाली की समीक्षा के लिए केपीएमजी (KPMG) और अर्न्स्ट एंड यंग (EY) जैसी प्रतिष्ठित फर्मों की सेवाएं भी लीं। इन फर्मों को बैंक की आंतरिक टीमों की सहायता करने के लिए शामिल किया गया था।
सिस्टम की स्थिरता पर आरबीआई का भरोसा
इस पूरे घटनाक्रम के बीच, वित्तीय प्रणाली की स्थिरता को लेकर चिंता व्यक्त की गई, जिसे RBI ने शांत करने की कोशिश की है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, “हमारी बैंकिंग प्रणाली मजबूत और लचीली बनी हुई है। देश में करीब 10,000 NBFCs और 1,500 सहकारी बैंक हैं। पिछले 8-9 वर्षों में लगभग 70 सहकारी बैंक विफल हुए हैं, लेकिन उनका समग्र प्रभाव सीमित रहा है। हमारी प्राथमिकता किसी भी नकारात्मक प्रभाव को कम करना है।”
इस मामले में अब अगला कदम ग्रांट थॉर्नटन की फोरेंसिक रिपोर्ट और बैंक बोर्ड द्वारा लिए गए अनुशासनात्मक निर्णयों पर निर्भर करेगा, जिससे यह स्पष्ट हो सकेगा कि इस संकट से कैसे उबरा जाएगा और भविष्य में ऐसी चूक को कैसे रोका जाएगा।