Saturday, April 26, 2025

PM मोदी कैसे बिम्सटेक के ज़रिए दक्षिण एशिया की क्षेत्रीय कूटनीति को पुनः परिभाषित कर रहे हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की विदेश नीति में बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (बिम्सटेक) को एक प्रमुख स्थान पर स्थापित कर दिया है। उनके नेतृत्व में भारत ने बिम्सटेक के साथ अपने संबंधों को न केवल सुदृढ़ किया है, बल्कि इसे दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच एक रणनीतिक पुल के रूप में भी प्रस्तुत किया है।

सार्क से बिम्सटेक की ओर झुकाव

मई 2019 में अपने दूसरे शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने एक ऐतिहासिक कूटनीतिक कदम उठाते हुए सभी बिम्सटेक देशों के नेताओं को आमंत्रित किया। यह कदम सार्क के निष्क्रिय होते मंच से दूरी बनाकर, अधिक सक्रिय और कार्यक्षम बिम्सटेक की ओर भारत के झुकाव का स्पष्ट संकेत था। चूँकि पाकिस्तान बिम्सटेक का सदस्य नहीं है, यह आमंत्रण क्षेत्रीय संतुलन को पुनर्स्थापित करने की दिशा में एक ठोस पहल मानी गई।

“पड़ोसी पहले” और “एक्ट ईस्ट” की रणनीति

प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति की दो प्रमुख धारणाएँ — “पड़ोसी पहले” और “एक्ट ईस्ट” नीति, बिम्सटेक को केंद्र में रखती हैं। 2018 में भारत ने बिम्सटेक का पहला संयुक्त सैन्य अभ्यास (MILEX-18) आयोजित कर आतंकवाद विरोधी सहयोग को बढ़ावा दिया। इस अभ्यास से यह संकेत गया कि भारत, बिम्सटेक के जरिए क्षेत्रीय सुरक्षा संरचना को और मजबूत करना चाहता है।

रणनीतिक, समुद्री और आर्थिक दृष्टिकोण

प्रधानमंत्री मोदी भारत को “नेट सुरक्षा प्रदाता” के रूप में स्थापित करने के लक्ष्य के साथ बिम्सटेक के माध्यम से क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक ढांचे में भारत की भूमिका को लगातार मज़बूत कर रहे हैं। 2022 में आयोजित 5वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में उन्होंने बिम्सटेक चार्टर को अपनाने की आवश्यकता को रेखांकित किया ताकि संगठन की भूमिका और उद्देश्य औपचारिक रूप से तय किए जा सकें।

उन्होंने बिम्सटेक देशों के बीच प्रौद्योगिकी और नवाचार में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कोलंबो में एक तकनीकी हस्तांतरण सुविधा स्थापित करने का भी प्रस्ताव दिया। साथ ही, उन्होंने तटीय संपर्क और पर्यटन को भी प्रोत्साहित किया, जिससे आपसी संबंधों को और प्रगाढ़ किया जा सके।

बैंकॉक शिखर सम्मेलन और डिजिटल एकीकरण

बैंकॉक में आयोजित छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कई क्रांतिकारी प्रस्ताव रखे। उन्होंने भारत के यूपीआई (Unified Payments Interface) को बिम्सटेक देशों की भुगतान प्रणालियों से जोड़ने का सुझाव दिया, जिससे व्यापार, उद्योग और पर्यटन को बड़ा लाभ मिलने की संभावना है।

इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने बिम्सटेक चैंबर ऑफ कॉमर्स की स्थापना, एक वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन, और स्थानीय मुद्राओं में व्यापार की व्यवहार्यता पर अध्ययन का प्रस्ताव भी रखा।

आपदा प्रबंधन और सुरक्षा सहयोग

प्रधानमंत्री ने म्यांमार और थाईलैंड में आए हालिया भूकंप को लेकर संवेदना प्रकट की और बिम्सटेक आपदा प्रबंधन उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना का प्रस्ताव रखा। यह केंद्र आपदा राहत, पुनर्वास और क्षमता निर्माण के लिए सदस्य देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देगा।

उन्होंने गृह मंत्रियों के तंत्र के संस्थागतकरण का स्वागत किया और भारत में इसकी पहली बैठक आयोजित करने का भी प्रस्ताव रखा। इसके तहत साइबर अपराध, आतंकवाद और मानव व मादक पदार्थों की तस्करी जैसे विषयों पर सहयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा।

बैंकॉक विज़न 2030 और समुद्री सहयोग

बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लेते हुए भारत, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका और भूटान जैसे देशों ने बैंकॉक विज़न 2030 को अपनाया, जिसका उद्देश्य बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में समृद्धि, सुरक्षा और समावेशिता को सुनिश्चित करना है।

प्रधानमंत्री मोदी ने हिंद महासागर को स्वतंत्र, खुला और सुरक्षित बनाए रखने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया और बिम्सटेक के समुद्री सहयोग की सराहना की। उन्होंने समुद्री परिवहन समझौते के हस्ताक्षर को स्वागतयोग्य बताया और भारत में एक सतत समुद्री परिवहन केंद्र की स्थापना का प्रस्ताव भी रखा।

डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) पर ज़ोर

प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना की सफलता का उल्लेख करते हुए बिम्सटेक देशों की डिजिटल आवश्यकताओं का मूल्यांकन करने हेतु एक पायलट अध्ययन का सुझाव दिया। उनका मानना है कि डिजिटल तकनीक के साझा उपयोग से बिम्सटेक देश आर्थिक और प्रशासनिक क्षेत्र में अधिक आत्मनिर्भर और प्रभावी बन सकते हैं

प्रधानमंत्री मोदी बिम्सटेक के ज़रिए भारत की क्षेत्रीय कूटनीति को नए सिरे से परिभाषित कर रहे हैं। उनकी रणनीति सुरक्षा, व्यापार, डिजिटलीकरण, समुद्री सहयोग और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में गहरे सहयोग पर आधारित है। इस दृष्टिकोण से बिम्सटेक न केवल भारत की विदेश नीति में केंद्रीय भूमिका निभा रहा है, बल्कि बंगाल की खाड़ी को क्षेत्रीय समृद्धि और स्थिरता का केंद्र बनाने की दिशा में भी अग्रसर है।

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