भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPS) से 4 से 6 जून के बीच होने वाली बैठक में रेपो दर में 25 आधार अंकों (BPS) की कटौती की संभावना जताई जा रही है। यह कदम आर्थिक विकास को गति देने के उद्देश्य से उठाया जा सकता है, क्योंकि मौजूदा समय में मुद्रास्फीति आरबीआई के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे बनी हुई है।
यह लगातार तीसरी बार होगा जब फरवरी 2025 के बाद से रेपो दर में कटौती की जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि RBI मौद्रिक नीति के ‘समायोजनकारी’ रुख को बनाए रख सकता है।
रेपो दर में कटौती की संभावनाएं क्यों बढ़ी?
अप्रैल में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति घटकर 3.2 प्रतिशत पर आ गई, जो जुलाई 2019 के बाद सबसे कम है। मार्च में यह 3.3 प्रतिशत थी। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट के चलते यह गिरावट देखने को मिली है। फरवरी, मार्च और अप्रैल—इन तीन महीनों में सीपीआई मुद्रास्फीति लगातार 4 प्रतिशत से नीचे रही है, जिससे नीति दर में कटौती का रास्ता साफ हुआ है।
IDFC फर्स्ट बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता का कहना है, “हमें उम्मीद है कि RBI जून में नीति दरों में 25 BPS की कटौती करेगा। मुद्रास्फीति में तेज गिरावट के कारण दर कटौती की गुंजाइश बनी है। वहीं घरेलू और वैश्विक मांग की अनिश्चितता को देखते हुए विकास को समर्थन देने की आवश्यकता है।”
RBI के रुख और अनुमान में बदलाव की संभावना
नीतिगत रुख की बात करें तो अप्रैल 2025 की मौद्रिक नीति में एमपीसी ने अपने रुख को ‘तटस्थ’ से बदलकर ‘समायोजनकारी’ किया था। विश्लेषकों का मानना है कि जून की बैठक में भी यह रुख बरकरार रखा जाएगा।
साथ ही, RBI 2025-26 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि और मुद्रास्फीति अनुमानों में संशोधन कर सकता है। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, “विकास और मुद्रास्फीति दोनों के अनुमान पर टिप्पणी अहम होगी। आरबीआई से यह भी अपेक्षित है कि वह यह विश्लेषण पेश करे कि वैश्विक आर्थिक वातावरण, विशेष रूप से अमेरिका द्वारा जुलाई में समाप्त हो रही टैरिफ राहत, भारतीय अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करेगा।”
RBI की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में सुधार, कमोडिटी कीमतों में नरमी और सामान्य से बेहतर मानसून की संभावना के चलते कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी, जिससे मुद्रास्फीति की दिशा सकारात्मक बनी रह सकती है।
वित्त वर्ष 2025-26 में CPI मुद्रास्फीति औसतन 4 प्रतिशत रहने की संभावना है, जबकि GDP वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जनवरी-मार्च 2025 तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 7.4 प्रतिशत रही, जो पिछले चार तिमाहियों में सबसे अधिक है। हालांकि पूरे वित्त वर्ष 2024-25 के लिए विकास दर 6.5 प्रतिशत रही, जो चार वर्षों में सबसे कम थी।
रेपो दर में कटौती का उधारकर्ताओं पर क्या असर होगा?
यदि MPC जून में रेपो दर में 25 BPS की कटौती करती है, तो इससे जुड़ी सभी बाहरी बेंचमार्क आधारित उधार दरों (EBLR) में भी समान कटौती देखने को मिलेगी। इससे होम लोन और पर्सनल लोन पर EMI में राहत मिलेगी। फरवरी 2025 से अब तक 50 बीपीएस की कटौती हो चुकी है, जिसके अनुरूप बैंकों ने अपनी ब्याज दरों में भी कमी की है। इसके अलावा, कई बैंकों ने अपने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स-बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) को भी घटाया है।
आगे की संभावनाएं
विशेषज्ञों का अनुमान है कि आरबीआई चालू वित्त वर्ष के दौरान रेपो दर में कुल 50 BPS तक की कटौती कर सकता है। ICRA लिमिटेड की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर का कहना है कि अगली दो नीतिगत बैठकों में और दो बार कटौती की जा सकती है, जिससे दर चक्र के अंत तक रेपो दर 5.25 प्रतिशत तक आ सकती है।
महंगाई में नरमी और विकास की जरूरत को देखते हुए RBI द्वारा लगातार तीसरी बार रेपो दर में कटौती की जा सकती है। यह कदम न केवल आर्थिक विकास को समर्थन देगा, बल्कि उधारकर्ताओं को भी राहत देगा। हालांकि वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों और घरेलू मांग की अनिश्चितता को ध्यान में रखते हुए आरबीआई को संतुलित और सतर्क रुख अपनाना होगा।