सोमवार को शेयर बाजार में एक बार फिर गिरावट देखने को मिली, जिसमें सबसे ज्यादा नुकसान आईटी सेक्टर को हुआ। निफ्टी आईटी 2.56% गिरकर 39,504.85 के स्तर पर पहुंच गया, जो कि सेक्टोरल इंडेक्स में सबसे बड़ी गिरावट थी। निफ्टी 50 में आईटी स्टॉक्स को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। खासकर, विप्रो के शेयरों में सबसे अधिक गिरावट देखी गई, जो इंट्राडे में 3.5% तक लुढ़क गया।
आईटी शेयरों की इस गिरावट के तीन मुख्य कारण रहे:
1. अमेरिकी मुद्रास्फीति का दबाव
हाल ही में जारी अमेरिकी मुद्रास्फीति के आंकड़े उम्मीद से अलग आए, जिससे वहां की अर्थव्यवस्था में मंदी के संकेत मिले। इसका असर वैश्विक बाजारों पर भी पड़ा। इस अस्थिरता के कारण निवेशकों ने सुरक्षित निवेश विकल्पों जैसे कि सोने और बॉन्ड की ओर रुख किया, जिससे सोने की कीमतों में तेजी और बॉन्ड यील्ड में गिरावट दर्ज की गई।
मिशिगन विश्वविद्यालय का उपभोक्ता भावना सूचकांक फरवरी में गिरकर 64.7 पर आ गया, जो लगभग 10% की गिरावट को दर्शाता है। यह दर्शाता है कि उपभोक्ता विश्वास में भारी गिरावट आई है। इसके अलावा, अमेरिका में मौजूदा घरों की बिक्री उम्मीद से अधिक घटी और यह 4.08 मिलियन यूनिट पर आ गई।
फरवरी में अमेरिकी सेवा क्रय प्रबंधकों का सूचकांक (PMI) भी संकुचन क्षेत्र में पहुंच गया, जिससे यह संकेत मिला कि यदि मुद्रास्फीति दोबारा बढ़ती है, तो अमेरिकी कंपनियां अपने आईटी बजट में कटौती कर सकती हैं। इससे भारतीय आईटी कंपनियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा, क्योंकि वे अमेरिका से मिलने वाले बड़े ऑर्डर्स पर निर्भर रहती हैं।
2. विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली
विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) भारतीय बाजारों में लगातार बिकवाली कर रहे हैं। फरवरी में अब तक 15 कारोबारी सत्रों में से 13 सत्रों में एफआईआई शुद्ध विक्रेता बने रहे। उन्होंने फरवरी में अब तक 36,977 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं, जबकि जनवरी में यह आंकड़ा 87,375 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था।
फरवरी लगातार चौथा महीना होगा जब एफआईआई भारतीय इक्विटी बाजारों से निकासी कर रहे हैं। विदेशी निवेशकों की इस लगातार बिकवाली के कारण भारतीय शेयर बाजार में दबाव बना हुआ है, जिससे आईटी स्टॉक्स को भी नुकसान हो रहा है।
3. आईटी कंपनियों के लिए टैरिफ और डील रैंप-अप की चिंता
अमेरिका में संभावित टैरिफ बढ़ोतरी, खासकर ट्रंप प्रशासन के टैरिफ प्रभाव, तकनीकी क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं। हालांकि टैरिफ संरचना का पूरा असर अभी स्पष्ट नहीं हुआ है, लेकिन निवेशकों के बीच इसे लेकर नकारात्मक धारणा बनी हुई है।
इसके अलावा, भारतीय आईटी कंपनियों को चौथी तिमाही में कमजोर डील रैंप-अप का सामना करना पड़ रहा है। नए प्रोजेक्ट्स में कमी और बाजार में नकारात्मक खबरों के चलते निवेशकों का विश्वास डगमगा रहा है।
निष्कर्ष
आईटी स्टॉक्स की मौजूदा गिरावट मुख्य रूप से अमेरिकी अर्थव्यवस्था में बढ़ती अनिश्चितता, विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली और टैरिफ तथा डील्स से जुड़ी चिंताओं के कारण हो रही है। यदि अमेरिकी मुद्रास्फीति और टैरिफ नीतियों में कोई बड़ा बदलाव होता है, तो यह आईटी सेक्टर के लिए राहत ला सकता है। लेकिन फिलहाल, निवेशकों को सावधानीपूर्वक बाजार के रुझान पर नजर रखनी होगी।