ICRA की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारी बारिश और कमजोर मार्जिन के कारण वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर घटकर 6.5% रहने का अनुमान है, जो पहली तिमाही में 6.7% थी। हालांकि, सरकारी पूंजीगत व्यय और खरीफ फसलों की बुवाई में आए सुधार से यह गिरावट आंशिक रूप से संतुलित हो सकती है।
रिपोर्ट के अनुसार, सकल मूल्य वर्धित (GVA) वृद्धि दर भी वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही के 6.8% से घटकर दूसरी तिमाही में 6.6% रहने की संभावना है। सेवाओं (+7.2% से +7.8%) और कृषि (+2.0% से +3.5%) क्षेत्रों में विस्तार से यह गिरावट कुछ हद तक नियंत्रित होगी, लेकिन औद्योगिक क्षेत्र (+8.3% से +5.5%) में गिरावट इसका प्रमुख कारण रहेगी।
अप्रत्यक्ष कर और सब्सिडी के आंकड़े
आईसीआरए ने कहा कि केंद्र और राज्यों के अप्रत्यक्ष कर और सब्सिडी के आंकड़ों के आधार पर, शुद्ध अप्रत्यक्ष करों (नाममात्र के संदर्भ में) में वृद्धि दूसरी तिमाही में 9.0-9.5% होने का अनुमान है, जो पहली तिमाही के 8.0% से अधिक है। इस कारण, GDP और GVA वृद्धि के बीच का अंतर (वास्तविक रूप में) दूसरी तिमाही में भी उलटा रहेगा।
मुख्य अर्थशास्त्री का बयान
आईसीआरए की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, “वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में संसदीय चुनावों के बाद पूंजीगत व्यय में वृद्धि और खरीफ फसलों की बुवाई में सकारात्मक रुझानों से समर्थन मिला। हालांकि, भारी बारिश के कारण खनन गतिविधि, बिजली की मांग, खुदरा बिक्री और व्यापारिक निर्यात प्रभावित हुए। इसके अलावा, विभिन्न क्षेत्रों में कमजोर मार्जिन से भी आर्थिक गतिविधियों पर प्रभाव पड़ा।”
उन्होंने यह भी कहा कि मानसून के अनुकूल रुझान, खरीफ उत्पादन में तेजी और जलाशयों के भरने से ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार की संभावना है। इसके साथ ही, सरकार के पूंजीगत व्यय में वृद्धि से दूसरी छमाही में GDP और GVA में सुधार की उम्मीद है।
औद्योगिक क्षेत्र पर असर
ICRA के अनुसार, औद्योगिक GVA वृद्धि दर दूसरी तिमाही में 5.5% तक घट सकती है। इस गिरावट का मुख्य कारण बिजली, खनन, विनिर्माण और निर्माण क्षेत्रों में आई सुस्ती है।
निवेश गतिविधियां और पूंजीगत व्यय
वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही की तुलना में दूसरी तिमाही में निवेश गतिविधियों में सुधार देखा गया। पहली तिमाही में 35% की गिरावट के बाद, सरकार का पूंजीगत व्यय दूसरी तिमाही में 10.3% (2.3 ट्रिलियन रुपये) बढ़ा। हालांकि, 22 राज्यों के संयुक्त पूंजीगत व्यय में केवल 2.1% की वृद्धि हुई, जो धीमी गति को दर्शाता है।
नई परियोजनाओं की घोषणा में सुधार
ICRA ने बताया कि नई परियोजनाओं की घोषणा में सुधार हुआ है। पहली तिमाही के 2.2 ट्रिलियन रुपये से यह दूसरी तिमाही में बढ़कर 6.7 ट्रिलियन रुपये हो गई। यह ऐतिहासिक रुझानों के अनुरूप है, जहां चुनावों के बाद नई परियोजनाओं की गति तेज हो जाती है।
सेवाओं और कृषि क्षेत्र में सुधार
ICRA ने अनुमान लगाया है कि दूसरी तिमाही में सेवाओं के GVA में 7.8% की वार्षिक वृद्धि होगी। वहीं, खरीफ बुवाई और खाद्यान्न उत्पादन में 5.7% की वृद्धि से कृषि, वानिकी और मत्स्य क्षेत्र का GVA 3.5% तक बढ़ सकता है।
भविष्य की संभावनाएं
ICRA को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधियां गति पकड़ेंगी। इसके परिणामस्वरूप पूरे वित्त वर्ष में GDP और GVA वृद्धि क्रमशः 7.0% और 6.8% रहने का अनुमान है।