Saturday, June 7, 2025

FPI निकासी के दबाव में रुपया 16 पैसे गिरकर 85.75 पर खुला

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की बिकवाली और भारतीय बॉन्ड से ऐतिहासिक निकासी के चलते भारतीय रुपया 4 जून को डॉलर के मुकाबले 16 पैसे कमजोर होकर 85.75 पर खुला। यह गिरावट लगातार दूसरे दिन देखी गई। इससे पहले 3 जून को रुपया 85.59 पर बंद हुआ था।

मुद्रा विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी डॉलर की लगातार मजबूत मांग और भारतीय शेयर बाजारों से विदेशी निवेशकों की पूंजी निकासी ने रुपये पर दबाव बनाए रखा है।

3 जून को विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने भारतीय शेयर बाजार में 2,854 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने 5,908 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। डीआईआई द्वारा कुल 15,704 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे गए और 9,796 करोड़ रुपये के शेयर बेचे गए। वहीं एफआईआई ने कुल 17,063 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे और 19,917 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।

2024 की शुरुआत से अब तक FII कुल 1.27 लाख करोड़ रुपये के शुद्ध विक्रेता रहे हैं, जबकि डीआईआई 2.86 लाख करोड़ रुपये के शुद्ध खरीदार बनकर उभरे हैं।

बॉन्ड मार्केट से रिकॉर्ड FPI निकासी

मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय सरकारी बॉन्ड को वैश्विक बॉन्ड सूचकांकों में शामिल किए जाने के बाद, चालू तिमाही में FPI द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों से अब तक का सबसे अधिक बहिर्वाह दर्ज किया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत और अमेरिका के 10-वर्षीय बॉन्ड की यील्ड के बीच का अंतर अब केवल 180 आधार अंक (bps) रह गया है, जिससे विदेशी निवेशकों को आकर्षण कम हुआ है।

क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (CCIL) के आंकड़ों के अनुसार, 2 अप्रैल से 3 जून के बीच विदेशी निवेशकों ने “फुली एक्सेसिबल रूट” (FAR) के तहत भारतीय बॉन्ड बाजार से 25,543.68 करोड़ रुपये निकाले। यह वैश्विक बॉन्ड सूचकांकों में शामिल होने के बाद किसी भी तिमाही में दर्ज किया गया पहला बड़ा बहिर्वाह है।

फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली के अनुसार, दिनभर के कारोबार के दौरान रुपया डॉलर के मुकाबले 85.35 से 85.85 के दायरे में रहने की संभावना है।

डॉलर की मजबूती, FPI की बिकवाली और बॉन्ड बाजार से पूंजी निकासी के चलते रुपया दबाव में है। निवेशकों की नजर अब आगामी आर्थिक आंकड़ों और वैश्विक बाजार रुझानों पर टिकी रहेगी, जो रुपये की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे।

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