Wednesday, June 18, 2025

CBI ने अदालत में कहा – लालू प्रसाद यादव ने नौकरी की चाह रखने वाले गरीबों का किया शोषण

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने मंगलवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू अदालत में दावा किया कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने रेलवे में नौकरी दिलाने के बदले वंचित तबके के लोगों से उनकी जमीन लेकर उनका शोषण किया।

विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने के समक्ष ‘जमीन के बदले नौकरी घोटाले’ में आरोप तय करने की प्रक्रिया के दौरान CBI ने कहा कि यह घोटाला वर्ष 2004 से 2009 के बीच हुआ, जब लालू प्रसाद रेल मंत्री थे।

CBI के अनुसार, इस अवधि में उम्मीदवारों या उनके परिजनों ने बहुत कम कीमतों पर या तो जमीन बेची या उपहार में दी, जिसके बदले में उन्हें रेलवे में नौकरी दी गई। ये जमीनें बाद में लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर स्थानांतरित कर दी गईं।

18 मई 2022 को CBI ने लालू प्रसाद, उनकी पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव, साथ ही बेटी हेमा यादव के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इनके अलावा, कई रेलवे अधिकारी और निजी व्यक्ति भी इस कथित घोटाले में आरोपी बनाए गए हैं। अब तक करीब 80 से अधिक लोगों के नाम इस मामले में सामने आए हैं।

अदालत में CBI का पक्ष रखते हुए विशेष लोक अभियोजक (SPP) डीपी सिंह ने कहा, “इन उम्मीदवारों के पास ऐसी जमीनें थीं जो लालू प्रसाद और उनके परिवार के लिए लाभदायक थीं। वे सरकारी नौकरी चाहते थे और इसके बदले अपनी जमीन देने को तैयार हो गए।”

उन्होंने बताया कि अभियोजन पक्ष के पास इस लेन-देन में नकद राशि के साक्ष्य मौजूद हैं और इस बात की पुष्टि कई गवाहों ने भी की है कि ये नियुक्तियाँ रेल मंत्रालय के शीर्ष स्तर से दबाव में की गई थीं।

DP सिंह ने यह भी दावा किया कि इन नियुक्तियों में प्रयुक्त कई दस्तावेज या तो जाली थे या बिना सत्यापन के इस्तेमाल किए गए। उन्होंने सवाल उठाया कि एक ही राज्य के कई उम्मीदवारों को एक ही दिन में ग्रुप डी की नौकरियों में कैसे नियुक्त कर दिया गया।

उन्होंने कहा, “न तो कोई भर्ती विज्ञापन निकला, न ही ऐसी कोई आपात स्थिति थी कि इतनी तेजी से और इतने बड़े स्तर पर नियुक्तियाँ की जाएं। यह पूरी प्रक्रिया एक थकाऊ प्रणाली होती है, लेकिन यहाँ ‘बिजली की गति’ से मंजूरी दी गई।”

सिंह ने बताया कि जिन पदों पर नियुक्ति हुई, वे ‘प्रतिस्थापन’ के पद थे, जो आम तौर पर किसी कर्मचारी की अनुपस्थिति में अस्थायी तौर पर भरे जाते हैं। उन्होंने कहा, “इतनी बड़ी संख्या में और इतनी जल्दी प्रतिस्थापन करना नीतिगत और प्रक्रियात्मक रूप से असंगत है।”

अभियोजन पक्ष बुधवार को अपनी दलीलें जारी रखेगा।

अब तक CBI इस मामले में तीन आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है।

  • पहला आरोपपत्र 7 अक्टूबर, 2022 को दायर किया गया, जिसमें 16 लोगों को तलब किया गया।
  • दूसरा आरोपपत्र 27 मार्च, 2024 को दायर हुआ, जिसमें तेज प्रताप यादव सहित 17 और व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया।
  • तीसरा और अंतिम आरोपपत्र 7 जून, 2024 को दाखिल किया गया, जिसके आधार पर अदालत ने मार्च में संज्ञान लेते हुए लालू प्रसाद, उनके परिवार के सदस्यों और 78 अन्य सरकारी अधिकारियों को समन भेजा।

सभी आरोपियों को ₹50,000 के निजी मुचलके पर जमानत दे दी गई है।

अदालत ने पाया कि जमीन वाकई लालू परिवार को हस्तांतरित की गई थी और प्रथम दृष्टया इस बात के पुख्ता प्रमाण मौजूद हैं कि रेलवे अधिकारियों ने नियमों और दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर इन उम्मीदवारों को नौकरी दी।

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