केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को वन रैंक, वन पेंशन (ओआरओपी) के प्रावधानों के तहत रक्षा कर्मियों के लिए पेंशन में संशोधन की घोषणा की।
शुक्रवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में लिए गए इस फैसले से सरकार पर 8,450 करोड़ रुपये का सालाना बोझ पड़ेगा और इससे 25,13,002 रक्षा पेंशनरों को फायदा होगा।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक संवाददाता सम्मेलन में मीडियाकर्मियों को बताया कि जुलाई 2019 से जून 2022 तक बकाया के रूप में 23,638 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया जाएगा।
पिछले पेंशनभोगियों की पेंशन समान सेवा अवधि के साथ उसी रैंक में कैलेंडर वर्ष 2018 के रक्षा बल सेवानिवृत्तों की न्यूनतम और अधिकतम पेंशन के औसत के आधार पर पुन: निर्धारित की जाएगी।
30 जून, 2019 तक सेवानिवृत्त होने वाले सशस्त्र बल के कर्मी (1 जुलाई, 2014 से समय से पहले सेवानिवृत्त हुए लोगों को छोड़कर), इस संशोधन के तहत कवर किए जाएंगे।
औसत से ऊपर आहरण करने वालों के लिए पेंशन संरक्षित की जाएगी।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि यह लाभ युद्ध विधवाओं और विकलांग पेंशनरों सहित पारिवारिक पेंशनरों को भी दिया जाएगा।
एरियर का भुगतान चार छमाही किश्तों में किया जाएगा। हालांकि, विशेष या उदार पारिवारिक पेंशन और वीरता पुरस्कार विजेताओं सहित सभी पारिवारिक पेंशनभोगियों को एक किस्त में एरियर का भुगतान किया जाएगा।
नरेंद्र मोदी सरकार ने रक्षा बलों के कर्मियों/पारिवारिक पेंशनरों के लिए ओआरओपी को लागू करने का निर्णय लिया था और 07 नवंबर, 2015 को नीति पत्र जारी किया था और वन रैंक, वन पेंशन 1 जुलाई, 2014 की कट-ऑफ तारीख से दी गई थी। पॉलिसी लेटर में इस बात का जिक्र था कि भविष्य में हर पांच साल में पेंशन री-फिक्स की जाएगी, जो 2019 में खत्म हो गई।