श्रीनगर में गुरुवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा के सत्र के दौरान एक बार फिर अनुच्छेद 370 को लेकर हंगामा हुआ। इंजीनियर राशिद के भाई और विधायक खुर्शीद अहमद शेख ने इस मुद्दे पर एक बैनर दिखाया, जिस पर विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने कड़ा विरोध जताया। इसके कारण सदन को कुछ समय के लिए स्थगित करना पड़ा। इससे पहले बुधवार को भी इसी मुद्दे पर विवाद हुआ था, जब उपमुख्यमंत्री सुरिंदर कुमार चौधरी ने अनुच्छेद 370 को बहाल करने का प्रस्ताव पेश किया था। इस पर सुनील शर्मा ने विरोध जताते हुए अपनी आपत्ति दर्ज कराई, जिससे विधानसभा में तीखी बहस शुरू हो गई।
इस सप्ताह का यह राजनीतिक हंगामा दर्शाता है कि जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली की मांग को लेकर गहरा विभाजन है। सोमवार को जब विधानसभा का उद्घाटन सत्र हुआ, तब से ही अनुच्छेद 370 को लेकर विवादास्पद चर्चा शुरू हो गई थी। पुलवामा से पीडीपी नेता वहीद पारा ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे और राज्य का दर्जा बहाल करने का प्रस्ताव रखा। यह प्रस्ताव 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के खिलाफ पीडीपी के रुख के अनुरूप था, जिसने क्षेत्र की स्वायत्तता को प्रभावित किया था।
हालांकि, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस प्रस्ताव को “प्रतीकात्मक” बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि यह जनता का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास है, न कि वास्तविक इरादों के साथ किया गया कदम। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि यदि यह मुद्दा गंभीर होता, तो इसे नेशनल कॉन्फ्रेंस के परामर्श से पेश किया जाना चाहिए था।
अब्दुल्ला की इस टिप्पणी ने आंतरिक कलह को उजागर किया है, जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपने घोषणापत्र में अनुच्छेद 370 की बहाली और जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता के लिए समर्थन देने का वादा किया था।
विधानसभा का सत्र और राजनीतिक स्थिति
2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर विधानसभा के इस पहले सत्र में अनुच्छेद 370 को लेकर तीखी बहस देखी जा रही है। यह सत्र बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह एक दशक लंबे अंतराल के बाद निर्वाचित सरकार की वापसी का प्रतीक है।
हालिया चुनावों में कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन ने 90 सदस्यीय विधानसभा में 49 सीटें जीतीं, जबकि भाजपा को 29 सीटों पर जीत मिली, जिससे विभाजित जनादेश का स्पष्ट संकेत मिला।