सुप्रीम कोर्ट आज AGR मामले की सुनवाई करेगा। पहले इसकी सुनवाई दोपहर 2 बजे होने वाली थी लेकिन बाद में इसे टालकर 3 बजे कर दिया गया। अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई शुरू कर चुका है। आज पता चलेगा कि वोडाफोन-आइडिया और एयरटेल को AGR की रकम चुकाने के लिए 15 साल का वक्त मिलेगा या नहीं। हले सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों को AGR चुकाने के लिए 20 साल का वक्त देने की मांग की थी। पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को बार-बार बकाया राशि की रकम पर सवाल उठाने के लिए फटकार लगाई थी और टेलीकॉम कंपनियों को वक़्त देने की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था। इस पर कोर्ट ने बंद हुई कंपनियों R-Comm, Aircel, Videocon से जवाब मांगा था।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा बेंच ने इस मामले की सुनवाई आज स्थगित कर दी है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 14 अगस्त, शुक्रवार को होगी। टेलीकॉम कंपनियों को AGR की बकाया रकम चुकाने के लिए वक्त मिलेगा या नहीं, इसका पता भी शुक्रवार को ही चलेगा।
आरकॉम ने सुप्रीम कोर्ट से कहा
रेज्योलूशन प्लान NCLT में लंबित है। COC ने इसे 100 फीसदी अनुमति दे दी है। आरकॉम पर बैंकों का बकाया 49,054 करोड़ रुपए हैं। आरकॉम का प्राइमरी एसेट्स स्पेक्ट्रम है। बैंकों का बकाया चुकाने के लिए इसे IBC के तहत बेचा जा सकता है।
हालांकि इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि स्पेक्ट्रम किसी कंपनी की संपत्ति नहीं है
आज क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
जस्टिस मिश्रा ने आरकॉम से कहा, अगर आरकॉम एरिक्सन के साथ पेमेंट का विवाद सुलझा चुकी थी तो CIRP की प्रक्रिया शुरू करने की क्या वजह थी। सुप्रीम कोर्ट सभी अदालतों को यह जानना चाहता है कि आरकॉम की तरफ से एरिक्सन को पेमेंट के बाद IBC की प्रक्रिया NCLAT ने क्यों शुरू की।
जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, “हम जानना चाहते हैं कि टेलीकॉम कंपनियां IBC के तहत इनसॉल्वेंसी में क्यों गईं। हम उनकी जवाबदेहियों को समझना चाहते हैं।”
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा
रिलायंस कम्युनिकेशंस से 31,000 करोड़ रुपए की रकम रिकवर की गई है।
आरकॉम के रेज्योलूशन प्रोफेशनल एडवोकेट श्याम दीवान ने सुप्रीम कोर्ट को कहा
सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान ने 2017 के मामले का ब्योरा देते हुए बताया कि कैसे यह मामला रेज्योलूशन के लिए पहुंचा। उन्होंने फरवरी 2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का ऑपरेटिव पार्ट भी पढ़कर सुनाया।
एरिक्सन का दावा 1677 करोड़ रुपए का था।
जानिए पहले क्या हुआ है?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कंपनियां AGR की रकम नहीं चुकाना चाहतीं। कंपनियां रकम नहीं चुकाना चाहती हैं इसलिए खुद को दिवालिया घोषित कर रही हैं। एजीआर (AGR)यानी एडजस्ट ग्रॉस रेवेन्यू दूरसंचार विभाग (DoT) की ओर से टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूसेज और लाइसेंसिंग फीस है। आंकड़ों के मुताबिक, इन कंपनियों पर एजीआर के तहत 1.47 लाख करोड़ रुपया बकाया है। भारती एयरटेल पर करीब 35 हजार करोड़ और वोडाफोन-आइडिया पर 53 हजार करोड़ बाकी है। इसके अलावा कुछ कंपनियों पर बकाया है। कंपनियों ने इसमें से कुछ भुगतान किए भी हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में टेलीकॉम कंपनियों के मामले में केंद्र की एजीआर की परिभाषा को स्वीकार करते हुए इन टेलीकॉम कंपनियों को कुल 1.47 लाख करोड़ रुपये का सांविधिक बकाये का भुगतान करने का आदेश दिया था। सरकार ने इन दूरसंचार कंपनियों के लिए एजीआर बकाए के भुगतान को 20 साल में सालाना किस्तों में चुकाने का प्रस्ताव रखा था।
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