ई-कॉमर्स कंपनी मीशो ने अमेरिका से भारत में फिर से अपना मुख्यालय स्थानांतरित करने की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया है। कंपनी को इस बदलाव के लिए राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) से मंजूरी मिल गई है। इस निर्णय के अनुसार, मीशो अब अपनी अमेरिकी होल्डिंग कंपनी से अलग होकर अपनी भारतीय इकाई के साथ विलय कर सकती है। यह प्रक्रिया “रिवर्स फ्लिपिंग” के रूप में जानी जाती है।
क्या है रिवर्स फ्लिपिंग?
रिवर्स फ्लिपिंग का अर्थ है कि कोई भारतीय स्टार्टअप जो पहले अमेरिका या अन्य विदेशी देश में अपनी होल्डिंग कंपनी स्थापित करता है, वह पुनः भारत में अपनी कॉर्पोरेट संरचना को स्थानांतरित करता है। इसका उद्देश्य स्थानीय बाजार, नियमों और आईपीओ (प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम) के अनुकूल होना होता है।
कितना टैक्स देना होगा?
सूत्रों के अनुसार, मीशो को इस कॉर्पोरेट पुनर्गठन के लिए भारत सरकार को लगभग 288 मिलियन डॉलर (करीब 2,400 करोड़ रुपये) का टैक्स चुकाना होगा। हालांकि, कंपनी ने इस टैक्स भुगतान पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन NCLT से मिली मंजूरी की पुष्टि अवश्य की है।
मीशो का बयान
मीशो के प्रवक्ता ने कहा,
“यह (NCLT) फाइलिंग भारत में फिर से निवास करने के लिए हमारे चल रहे संक्रमण का एक हिस्सा है। हमारे अधिकांश परिचालन, जिनमें ग्राहक, विक्रेता, निर्माता और वैल्मो पार्टनर शामिल हैं, पहले से ही भारत में स्थित हैं। यह कदम हमारे कॉर्पोरेट ढांचे को हमारे दैनिक व्यावसायिक पदचिह्न के साथ संरेखित करता है।”
मीशो भी आईपीओ की तैयारी में
मीशो अब उन स्टार्टअप्स की श्रेणी में शामिल हो गया है जिन्होंने रिवर्स फ्लिपिंग की प्रक्रिया अपनाई है—जैसे Zepto, Razorpay, और Groww—ताकि वे भारतीय नियमों के साथ बेहतर तालमेल बिठा सकें और भविष्य में भारतीय सार्वजनिक बाजारों में आईपीओ के माध्यम से प्रवेश कर सकें। सूत्रों के अनुसार, मीशो फिलहाल अपने ड्राफ्ट IPO दस्तावेजों को मजबूत कर रहा है।
सूचीबद्ध होने की तैयारी में कई भारतीय स्टार्टअप्स
मीशो के अलावा, कई अन्य प्रमुख भारतीय स्टार्टअप्स भी भारतीय बाजार में लिस्टिंग की तैयारी कर रहे हैं। इनमें शामिल हैं:
- PhonePe
- Pine Labs
- Lenskart
- Zepto
इन सभी कंपनियों का लक्ष्य भारतीय निवेशकों को आकर्षित करना और घरेलू बाजार में मजबूत उपस्थिति बनाना है।