वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम के कोच डैरेन सैमी ने 29 वर्षीय निकोलस पूरन के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से अचानक संन्यास पर खुलकर बात की है। उन्होंने इस फैसले पर हैरानी न जताते हुए चिंता जाहिर की कि भविष्य में और भी खिलाड़ी इसी तरह के फैसले ले सकते हैं। सैमी ने यह भी स्वीकार किया कि खिलाड़ियों को देश के लिए खेलने के लिए प्रेरित रखना एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।
निकोलस पूरन, जो वेस्टइंडीज के अब तक के सबसे सफल T20 अंतरराष्ट्रीय बल्लेबाज़ों में से एक हैं, ने T20 विश्व कप से आठ महीने पहले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया, जबकि वे फ्रैंचाइज़ी क्रिकेट में बेहद सफल हैं।
संन्यास की आहट पहले ही मिल गई थी: सैमी
सैमी ने बताया कि उन्हें पूरन के इस फैसले की भनक पहले ही लग चुकी थी। उन्होंने कहा, “मेरी सहज बुद्धि ने मुझे संकेत दे दिया था। निकोलस ने मुझे एक टेक्स्ट भेजा था और मैंने उनके एजेंट से भी बातचीत की थी। जब मैंने यूके दौरे को लेकर उनसे बात की, तो पूछा था, ‘क्या आप सिर्फ यूके दौरे के लिए अनुपलब्ध हैं या अनिश्चितकाल के लिए?’ उनकी प्रतिक्रिया से ही मुझे समझ आ गया कि मुझे सबसे खराब स्थिति के लिए खुद को तैयार करना होगा।”
पूरन ने कभी टेस्ट क्रिकेट नहीं खेला और दो साल पहले ही अपना आखिरी वनडे मुकाबला खेला था।
“हैरानी नहीं हुई”: सैमी
“हैरानी? नहीं, मुझे ज़रा भी हैरानी नहीं हुई,” सैमी ने कहा। उन्होंने आगे बताया, “मैंने आज टीम मीटिंग में खिलाड़ियों से कहा – हमारे पास हर चीज़ पर नियंत्रण नहीं है। यह हर खिलाड़ी के व्यक्तिगत फैसले पर निर्भर करता है।”
उन्होंने अपनी भावनाएं साझा करते हुए कहा, “मैंने 2004 में इसी मैदान पर डेब्यू किया था और आज भी उन्हीं स्टैंड्स में वही लोग बैठे हैं – 21 साल बाद भी वही जुनून, वही वफादारी। वे आज भी आते हैं, खाना लाते हैं, अपने दिल से टीम को सपोर्ट करते हैं – जैसे वो सर विव रिचर्ड्स और क्लाइव लॉयड के दौर में किया करते थे।”
क्रिकेट से गहरा जुड़ाव और खिलाड़ियों की ज़िम्मेदारी
सैमी ने यह भी कहा कि प्रशंसकों का जुनून इसलिए नहीं है कि टीम सबसे महान है, बल्कि इसलिए क्योंकि उन्हें खेल और वेस्टइंडीज क्रिकेट से प्यार है। उन्होंने कहा, “जब 80 के दशक में हमारी टीम जीतती थी, तो अगली सुबह प्रशंसक गर्व से सिर ऊंचा करके सड़कों पर चलते थे, काम पर जाते थे। क्रिकेट उनके लिए गर्व और पहचान का प्रतीक था।”
उन्होंने कहा, “हमें समझना होगा कि वेस्टइंडीज के क्रेस्ट का क्या मतलब है। हर खिलाड़ी की ज़िम्मेदारी है कि वह उस क्रेस्ट की गरिमा को बनाए रखे और ऐसा जुनून दिखाए कि लोग तीन-तीन घंटे सफर कर के हमें खेलते देखने आएं।”
जबरन नहीं, भावना से खेलें खिलाड़ी
सैमी ने स्पष्ट किया कि वो किसी खिलाड़ी को मजबूर नहीं कर सकते कि वह देश के लिए खेले या अपने करियर का अंत कब करे। उन्होंने कहा, “मैं सिर्फ बातें कर सकता हूं, लेकिन किसी को मजबूर नहीं कर सकता कि वो देश के लिए खेले या न खेले।”
सैमी ने दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट के उदाहरण देते हुए बताया कि ऐसे अचानक संन्यास अब आम हो गए हैं। “क्विंटन डी कॉक, हेनरिक क्लासेन जैसे खिलाड़ियों को देखिए। यह अब हमारे नियंत्रण से बाहर है। मुझे यकीन है कि और भी खिलाड़ी इसी राह पर चलेंगे। यही आज के टी20 युग की सच्चाई है।”
पूरन के बिना संघर्ष कर रही है टीम
पूरन की अनुपस्थिति में वेस्टइंडीज टीम इंग्लैंड के दौरे पर लगातार हार का सामना कर रही है। टीम ने वनडे और टी20 दोनों ही सीरीज 3-0 से गंवा दी। अब टीम आगामी टी20 मैचों के लिए आयरलैंड रवाना हो चुकी है।
गेंदबाजी बनी सबसे बड़ी चिंता
सैमी ने टीम की गेंदबाजी पर खास चिंता जताई, खासकर तब जब टीम ने टी20 सीरीज के दौरान 58.3 ओवर में 628 रन लुटा दिए। साउथैम्प्टन में टीम ने अकेले एक मैच में 248 रन दे दिए थे।
“यह पूरी तरह से कौशल और अनुशासन का सवाल है,” सैमी ने कहा। “जब हम दबाव में होते हैं, तब क्या हम अपनी योजनाओं पर टिके रहते हैं? क्या हम अपनी क्षमताओं को भरोसे से लंबे समय तक निभा सकते हैं? हम यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि जब विपक्ष हमें दबाव में डालता है तो हम उससे कैसे निपटते हैं।”
बल्लेबाज़ी को लेकर आशावान हैं सैमी
जहां गेंदबाजी चिंता का विषय है, वहीं सैमी बल्लेबाज़ी को लेकर आशावादी हैं। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है हमारी बल्लेबाज़ी में निरंतरता आएगी। हम अपने बल्लेबाज़ों से हर बार 200+ स्कोर की उम्मीद नहीं कर सकते। जब हम 190-200 रन भी बना लेते हैं, तब भी गेंदबाज़ उसका बचाव नहीं कर पाते।”
उन्होंने उम्मीद जताई, “मैं सकारात्मक सोच वाला इंसान हूं। हमारे पास विश्व कप से पहले काफी समय और मैच हैं ताकि हम एक बेहतर संयोजन बना सकें जो हमें सफलता की ओर ले जाए।”
डैरेन सैमी ने निकोलस पूरन के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से रिटायरमेंट को व्यक्तिगत निर्णय बताते हुए इस चलन के बढ़ने की चेतावनी दी है। साथ ही, उन्होंने टीम के प्रदर्शन, प्रशंसकों के जुनून, और क्रिकेट के बदलते परिदृश्य पर गहराई से विचार साझा किए।