विधान परिषद सदस्य (MLC) C.T. रवि ने मांग की है कि यदि कंथाराजू रिपोर्ट को अवैज्ञानिक माना जा रहा है, तो इस रिपोर्ट पर खर्च किए गए सार्वजनिक धन की वसूली की जाए। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह बार-बार जाति जनगणना का मुद्दा उठाकर जनता का ध्यान अन्य महत्वपूर्ण समस्याओं से भटकाने का प्रयास कर रही है।
C.T. रवि ने कहा, “मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने पहले कंथाराजू रिपोर्ट को वैज्ञानिक बताते हुए इसका जोरदार बचाव किया था और इसे अपनी एक महत्वाकांक्षी परियोजना बताया था। उस समय जयप्रकाश हेगड़े ने इस रिपोर्ट की समीक्षा करने का दावा किया था। इस पूरी प्रक्रिया पर सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। अब सरकार फिर से जाति जनगणना कराने की बात कर रही है। यदि अब यह स्वीकार किया जा रहा है कि कंथाराजू रिपोर्ट अवैज्ञानिक थी, तो फिर इस पर हुए खर्च की जवाबदेही तय होनी चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा, “जनसंख्या और जाति आधारित जनगणना कराने का संवैधानिक अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है, न कि राज्य सरकार के पास। यह पैसा कांग्रेस का नहीं बल्कि करदाताओं का धन है। न तो कंथाराजू की रिपोर्ट और न ही जयप्रकाश हेगड़े की समीक्षा ने दलितों या पिछड़े वर्गों को न्याय दिलाया है। इन रिपोर्टों ने सरकार को हंसी का पात्र बना दिया है।”
तुमकुरु को बेंगलुरु उत्तर जिला में बदलने के प्रस्ताव पर टिप्पणी करते हुए C.T. रवि ने व्यंग्य करते हुए कहा, “केम्पेगौड़ा ने कभी बेंडाकलुरु नाम के एक छोटे से गांव को एक ब्रांड में बदला था। सिंगापुर भी कभी बीमारियों से ग्रस्त एक छोटा गांव था, लेकिन वहां के लोगों ने उसे अंतरराष्ट्रीय मानकों पर विकसित किया। ऐसे में सरकार दो जिलों तक ही क्यों सीमित है? उन्हें तो पूरे राज्य का नाम ही बेंगलुरु रख देना चाहिए।”
उन्होंने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा, “क्या सरकार को अपने गृहनगर को वैश्विक पहचान देने की क्षमता नहीं है? क्या उन्हें बेंगलुरु के नाम पर ही अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकनी हैं? क्या तुमकुरु को एक अलग और विशिष्ट पहचान नहीं दी जा सकती? क्या उसे वैश्विक स्तर पर विकसित करना संभव नहीं है?”
C.T. रवि के इन तीखे बयानों से एक बार फिर राज्य की राजनीति में जाति जनगणना और क्षेत्रीय पहचान को लेकर बहस तेज हो गई है।