Sunday, October 26, 2025

IISC प्रोफेसर ने चेनाब ब्रिज की सफलता पर गुमनाम नायकों को किया सलाम

भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC), बेंगलुरु की प्रोफेसर डॉ. जी. माधवी लता ने चेनाब रेल ब्रिज की अभूतपूर्व सफलता पर अपनी भावनाएं साझा करते हुए उन हजारों गुमनाम नायकों को सलाम किया है, जिन्होंने इस ऐतिहासिक परियोजना में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से योगदान दिया।

डॉ. लता, जिन्हें इस प्रतिष्ठित पुल के विकास में एक अहम भूमिका निभाने का श्रेय दिया जा रहा है, ने इस पुल को सिविल इंजीनियरिंग का चमत्कार करार दिया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस पुल के निर्माण का श्रेय अकेले किसी एक व्यक्ति को नहीं, बल्कि हजारों इंजीनियरों, श्रमिकों और तकनीकी विशेषज्ञों को जाता है, जिन्होंने मिलकर इस असंभव-से दिखने वाले कार्य को संभव किया।

उन्होंने लिंक्डइन पर एक भावुक पोस्ट में लिखा,

“इस प्रतिष्ठित पुल के निर्माण में हजारों लोगों ने अलग-अलग तरीकों से महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ऐसे लाखों गुमनाम नायक हैं, जिन्हें मैं आज सलाम करती हूं।”

उन्होंने आगे कहा,

“कृपया याद रखें कि मैं उन हजारों लोगों में से एक हूं, जो चेनाब ब्रिज के लिए प्रशंसा के पात्र हैं। कृपया मुझे अनावश्यक रूप से प्रसिद्ध न बनाएं।”

डॉ. माधवी लता ने यह भी स्पष्ट किया कि चेनाब ब्रिज की योजना, डिजाइन और निर्माण का पूरा श्रेय भारतीय रेलवे और निर्माण कंपनी एएफसीओएनएस को जाता है। उन्होंने बताया कि इस परियोजना में उनकी भूमिका विशिष्ट और सीमित रही।

“AFCONS के लिए एक भू-तकनीकी सलाहकार के रूप में मेरी भूमिका ढलान स्थिरीकरण योजनाएं तैयार करने और ढलानों पर नींव के डिजाइन में मदद करने तक सीमित थी,” उन्होंने लिखा।

डॉ. लता ने इस बात पर भी गहरी संतुष्टि व्यक्त की कि इस परियोजना ने देशभर के कई युवाओं और उनके माता-पिता को प्रेरित किया है।

“कई पिताओं ने मुझे लिखा है कि वे चाहते हैं कि उनकी बेटियाँ मेरी तरह बनें। कई युवाओं ने लिखा है कि वे अब सिविल इंजीनियरिंग को अपना करियर बनाना चाहते हैं। मैं इस बात से बेहद खुश हूँ।”

उन्होंने देशभर से मिले बधाई संदेशों के लिए भी आभार जताया और कहा कि यह सम्मान न केवल उनका, बल्कि पूरी टीम का है जिसने इस ब्रिज को खड़ा किया।

गौरतलब है कि चेनाब रेल ब्रिज दुनिया के सबसे ऊंचे रेल पुलों में से एक है, जो एफिल टॉवर से भी ऊँचाई पर स्थित है। इसका निर्माण अत्यंत चुनौतीपूर्ण भौगोलिक और मौसमीय परिस्थितियों में किया गया है, जिसमें तकनीकी विशेषज्ञता और सटीक इंजीनियरिंग की सबसे ऊँची मिसालें स्थापित की गई हैं।

डॉ. माधवी लता वर्तमान में भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं और सतत प्रौद्योगिकी केंद्र (Center for Sustainable Technologies) की अध्यक्ष भी हैं।

उनकी विनम्रता, वैज्ञानिक प्रतिबद्धता और समर्पण आज लाखों युवाओं, खासकर लड़कियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुकी है।

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