Sunday, October 26, 2025

भारतीय-कनाडाई समूहों ने G7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा का समर्थन किया

इस महीने कनाडा में आयोजित होने वाले G7 नेताओं के शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संभावित भागीदारी को लेकर जहां एक ओर खालिस्तान समर्थक तत्वों ने विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है, वहीं दूसरी ओर कई भारतीय-कनाडाई संगठनों ने इस आमंत्रण का जोरदार समर्थन किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत विरोधी प्रदर्शन करने वाले तत्व प्रवासी समुदाय का केवल एक छोटा हिस्सा हैं और वे समूचे समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते।

प्रधानमंत्री मोदी को आमंत्रित करने के निर्णय की सराहना करने वालों में रेडियो इंडिया के प्रबंध निदेशक मनिंदर गिल प्रमुख हैं। उन्होंने कहा, “हमें रेडियो इंडिया पर हमारे श्रोताओं से PM मोदी की कनाडा यात्रा का स्वागत करते हुए कई कॉल प्राप्त हुए हैं। मैं प्रधानमंत्री मार्क कार्नी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने कनाडा को प्राथमिकता दी है। प्रवासी राजनीति कनाडा की विदेश नीति का मार्गदर्शन नहीं कर सकती और कुछ सीमांत सांप्रदायिक समूह भारत-कनाडा संबंधों को बंधक नहीं बना सकते।”

गिल, जो फ्रेंड्स ऑफ कनाडा एंड इंडिया फाउंडेशन के प्रमुख भी हैं, ने इससे पहले प्रधानमंत्री कार्नी को एक पत्र लिखकर मोदी को आमंत्रित करने की अपील की थी। इसके जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय ने उन्हें यह जानकारी दी थी कि उनकी चिंताओं को “ध्यानपूर्वक पढ़ा गया है” और उनकी टिप्पणियों को विदेश मंत्री अनीता आनंद को “जानकारी और विचार” के लिए भेज दिया गया है।

गिल ने यह भी स्पष्ट किया कि मोदी की यात्रा का विरोध करने वाले “पूरा सिख समुदाय नहीं हैं”। उन्होंने कहा, “इन संगठनों की सदस्यता मुश्किल से कुछ सौ लोगों तक सीमित है, जबकि पूरे प्रवासी समुदाय की जनसंख्या करीब 20 लाख है।”

हिंदू कैनेडियन फाउंडेशन ने भी प्रधानमंत्री कार्नी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने मजबूत नेतृत्व का परिचय दिया है। संस्था ने एक बयान में कहा, “वह अपने दृष्टिकोण पर अडिग हैं और बाहरी दबावों के आगे झुके बिना कनाडाई हितों पर केंद्रित हैं।”

कनाडा इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष रितेश मलिक ने x (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा, “मोदी को आमंत्रित कर प्रधानमंत्री कार्नी ने हम कनाडाई लोगों के लिए सही निर्णय लिया है। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वे तंग सोच वाले, स्वार्थी और आत्मकेंद्रित लोग हैं, जो केवल कनाडाई होने का दिखावा करते हैं जबकि उनके अपने गुप्त एजेंडे हैं।”

हालांकि, मोदी के आमंत्रण का विरोध करने वाले तत्व भी सक्रिय हैं। ब्रैम्पटन, वैंकूवर, और ब्रिटिश कोलंबिया में सप्ताहांत के दौरान प्रदर्शन आयोजित किए गए। इन प्रदर्शनों में 18 जून 2023 को सरे में मारे गए खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए भारत के नेताओं को जिम्मेदार ठहराने वाली झांकियां भी शामिल थीं।

सिख फॉर जस्टिस नामक अलगाववादी संगठन ने भी प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति का विरोध करने के लिए G7 सम्मेलन स्थल की ओर एक काफिले की योजना बनाई है। इसके तहत 16 और 17 जून को 48 घंटे का “मोदी की राजनीति पर घात लगाने” का आह्वान किया गया है।

उल्लेखनीय है कि G7 शिखर सम्मेलन 15 से 17 जून के बीच कनाडा के अल्बर्टा प्रांत के कनानास्किस में आयोजित किया जाएगा, जो कैलगरी के समीप स्थित है।

इस तरह, कनाडा में भारतीय प्रधानमंत्री की प्रस्तावित यात्रा को लेकर जहां कुछ विरोध के स्वर उठ रहे हैं, वहीं भारतीय-कनाडाई समुदाय का बड़ा हिस्सा इसे एक सकारात्मक और स्वागतयोग्य कदम मान रहा है।

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