Saturday, June 7, 2025

थरूर ने वाशिंगटन में भारतीय प्रवासियों के सामने आतंकवाद के भयावह क्षणों को साझा किया

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन DC में भारतीय प्रवासी समुदाय को संबोधित करते हुए जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले की दिल दहला देने वाली एक घटना साझा की। उन्होंने बताया कि जब एक महिला ने अपने पति को आतंकियों के हाथों मरते देखा, तो वह चीख पड़ी, “मुझे भी मार दो!” लेकिन आतंकवादियों ने उसे जान से नहीं मारा। इसके बजाय, उन्होंने उसे वापस जाने और उस भयावह मंजर की कहानी दुनिया को सुनाने के लिए छोड़ दिया।

थरूर ने इस घटना के ज़रिए भारत में आतंकवाद के खिलाफ जारी संघर्ष की भयावहता और गंभीरता को रेखांकित किया और बताया कि इस हमले के बाद अमेरिकी सांसदों ने भारत के प्रति बिना शर्त समर्थन जताया। उन्होंने कहा कि यह यात्रा केवल राजनीतिक या कूटनीतिक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि भारत में बीते हफ्तों में जो कुछ घटित हुआ, खासतौर पर पहलगाम की घटना, उसे अमेरिका के नेताओं तक पहुंचाने और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता की अपील का एक प्रयास थी।

सर्वदलीय भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में बोलते हुए थरूर ने कहा,

“हमारे आने का उद्देश्य बहुत स्पष्ट था — हमने जो सहा है, उसका ब्योरा देना और यह बताना कि हमें किस तरह की वैश्विक एकजुटता की जरूरत है। अमेरिकी सांसदों के साथ हमारी बैठकों में गहरी संवेदना और समझ देखने को मिली। सीनेट में हमारी मीटिंग खत्म होते ही वहां मतदान शुरू हो गया, फिर भी उन्होंने हमारे लिए समय निकाला और सकारात्मक एवं रचनात्मक संवाद में भाग लिया।”

थरूर ने इस दौरान दोनों अमेरिकी दलों — डेमोक्रेट और रिपब्लिकन — से मिले सहयोग की सराहना की और कहा कि,

“हमें विरोध या संदेह की कोई भावना नहीं मिली। आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई में अमेरिका ने पूरी तरह समर्थन जताया है।”

उन्होंने भारतीय प्रतिनिधिमंडल की विविधता पर भी प्रकाश डाला — सात सांसद, पांच राजनीतिक दलों से, सात राज्यों और तीन धर्मों का प्रतिनिधित्व करते हुए अमेरिका पहुंचे।

“मैंने धर्म का उल्लेख इसलिए किया, क्योंकि पहलगाम हमले में आतंकियों ने पहले पीड़ितों से उनका धर्म पूछा और फिर उनकी आंखों के बीच गोली मार दी। आतंकवादियों ने जानबूझकर कुछ लोगों को छोड़ दिया ताकि वे इस भयावहता की कहानी दुनिया को सुना सकें। ये हमले केवल लोगों को मारने के लिए नहीं थे, बल्कि हमारे समाज में फूट डालने के इरादे से किए गए थे,” थरूर ने कहा।

थरूर ने भारतीय प्रवासी समुदाय से अपील की कि वे अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों से संवाद बनाए रखें और भारत से जुड़े मुद्दों पर उन्हें जागरूक करें।

“आप सभी प्रभावशाली लोग हैं, जो अमेरिका में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा रहे हैं। आपके विचार मायने रखते हैं। जब आप अपने प्रतिनिधियों से बात करते हैं, उन्हें बताते हैं कि भारत के बारे में आप क्या सोचते हैं, क्या चाहते हैं — तो इसका प्रभाव पड़ता है,” उन्होंने कहा।

इस प्रतिनिधिमंडल में शशि थरूर के अलावा तेजस्वी सूर्या, भुवनेश्वर कलिता, शांभवी चौधरी (लोक जनशक्ति पार्टी), सरफराज अहमद (झारखंड मुक्ति मोर्चा), जीएम हरीश बालयोगी (तेलुगु देशम पार्टी), मल्लिकार्जुन देवड़ा (शिवसेना), मिलिंद देवड़ा (शिवसेना) और शशांक एम. त्रिपाठी (भाजपा) शामिल हैं। इनके साथ अमेरिका में भारत के वर्तमान और पूर्व राजदूत, तरनजीत सिंह संधू सहित वरिष्ठ राजनयिक भी यात्रा में शामिल हैं।

यह यात्रा 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत द्वारा चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत की जा रही है, जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत की सुरक्षा चिंताओं और आतंकवाद के खिलाफ उसके रुख से अवगत कराना है।

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