Tuesday, October 21, 2025

राधिका आप्टे ने माना कि मां बनने के बाद बॉलीवुड में काम करना अब ‘संभावना’ नहीं

मातृत्व न केवल जीवन की प्राथमिकताओं को बदल देता है, बल्कि यह कई अनदेखे सच भी उजागर करता है। अभिनेत्री राधिका आप्टे के लिए यह सफर खासा चुनौतीपूर्ण और जागरूक करने वाला रहा है। मां बनने के बाद राधिका अब अपने रचनात्मक जीवन और मां की भूमिका के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रही हैं। एक हालिया साक्षात्कार में उन्होंने इस अनुभव के कई पहलुओं को बेबाकी से साझा किया।

“हमारे पास न नैनी है, न नाइट नर्स, न कोई मदद”

राधिका ने बताया कि वह और उनके पति बेनेडिक्ट टेलर लंदन में रहते हैं और वे अपने सभी काम खुद करते हैं। “हमने कोई नैनी नहीं रखी, न ही कोई नाइट नर्स या रसोइया। हम हर काम खुद करते हैं। इसलिए यह समय बहुत व्यस्त रहा है लेकिन हमें यह पसंद है,” उन्होंने कहा। वह मानती हैं कि यह चरण एक साथ भारी और असाधारण दोनों है।

जब उनसे पूछा गया कि क्या मां बनने के बाद उनकी रचनात्मक दृष्टि में कोई बदलाव आया है, तो राधिका ने जवाब दिया, “इस सवाल का जवाब देने के लिए साढ़े पाँच महीने बहुत कम हैं। मैं अभी भी इस पूरी प्रक्रिया के बीच में हूं।”

उन्होंने आगे कहा, “बच्चे आमतौर पर सोते नहीं हैं। ईमानदारी से कहूं तो हर दिन एक जैसा नहीं होता। यह अनुभव अविश्वसनीय रहा है, लेकिन साथ ही बेहद कठिन भी। अब जब मेरे पास बच्चा है, तो मैं दुनिया को बहुत अलग नजरिए से देखती हूं।”

“बॉलीवुड में काम करने की मौजूदा शैली मेरे लिए अब संभव नहीं”

राधिका ने यह भी स्वीकार किया कि अब जब वह मां बन चुकी हैं, तो फिल्म इंडस्ट्री की वर्किंग कंडीशंस उनके लिए उपयुक्त नहीं रहीं। “अब मुझे समझ आया है कि भारत में काम करने का तरीका मेरे लिए अब संभव नहीं है। एक सामान्य शूटिंग शिफ्ट 12–13 घंटे की होती है और अगर समय पर खत्म न हो तो यह 15 घंटे या उससे ज्यादा भी हो सकती है। मैंने अपने करियर में 16–18 घंटे की शिफ्ट्स की हैं, लेकिन अब मैं ऐसा नहीं कर सकती। अगर मैं ऐसा करती हूं, तो अपनी बेटी को देख नहीं पाऊंगी।”

उन्होंने स्पष्ट किया, “अब मुझे अपने अनुबंधों में नई शर्तें जोड़नी होंगी। और मुझे पता है कि इससे बहुत लोगों को समस्या होगी।”

“हम महिलाओं की बात करते हैं, लेकिन मांओं के लिए जगह कहां है?”

राधिका ने इंडस्ट्री में लैंगिक समानता की बात को भी सवालों के घेरे में लाया। उन्होंने कहा, “फिल्म सेट्स पर बहुत सी महिलाएं हैं। हम जेंडर इक्वालिटी की बात करते हैं। लेकिन उनमें से कितनी महिलाएं मां हैं? क्योंकि हमारे समाज में यह मान्यता है कि पुरुष अगर अपने बच्चों से दूर रहें तो ठीक है, लेकिन मांओं के लिए यह मुमकिन नहीं।”

उनके अनुसार, यही कारण है कि फिल्म इंडस्ट्री में कई महिलाएं मां बनने के बाद काम नहीं कर पातीं — जब तक कि वे अपने बच्चों को सेट पर साथ न ले जाएं।

“यह मेरे लिए एक आंखें खोलने वाला अनुभव रहा है। मैं अब दो प्रोजेक्ट्स पर साइन करने जा रही हूं, और मुझे उनके अनुबंधों में बदलाव करना होगा,” उन्होंने स्पष्ट किया।

“मैंने खुद को मां की जिम्मेदारियों में पूरी तरह नहीं डुबोया है”

राधिका ने यह भी बताया कि वह और उनके पति जिम्मेदारियों को बराबरी से साझा करते हैं। “हम संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। हर दिन अलग होता है — बच्चे की जरूरतें बदलती हैं, उसकी नींद बदलती है, और हमारी भावनाएं भी। लेकिन हम इसे मिलकर सीख रहे हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “मैंने अपनी जरूरतों को छोड़ा नहीं है। मैं पूरी तरह से अपने आप को मां की भूमिका में नहीं खोई हूं। हम दोनों, मैं और मेरा साथी, सब कुछ साझा करते हैं — हर जिम्मेदारी, हर काम। उसे पालने के मामले में हम बराबर हैं। और यह बहुत खास रहा है — अपने पार्टनर को इस तरह से और गहराई से जानना।”

“सिस्टर मिडनाइट को मिल रही है जबरदस्त सराहना”

अपनी फिल्म सिस्टर मिडनाइट को लेकर भी राधिका ने उत्साह जताया। उन्होंने बताया कि फिल्म को दुनियाभर के फेस्टिवलों में बेहतरीन समीक्षा मिल रही है।

“हमें हर जगह से बहुत अच्छी प्रतिक्रियाएं मिली हैं, जो बहुत सुकून देने वाला अनुभव रहा है। हालांकि मुझे नहीं पता कि यह थिएटर में कैसा प्रदर्शन करेगी, लेकिन मैं यह देखने को लेकर उत्साहित हूं कि आगे क्या होता है — क्योंकि यह फिल्म वाकई बहुत अलग है,” उन्होंने कहा।

राधिका आप्टे की बातें सिर्फ एक अभिनेत्री की नहीं, बल्कि हर उस महिला की आवाज़ हैं जो करियर और मातृत्व के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करती है। उनका अनुभव हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हमारे कार्यस्थलों में माताओं के लिए वाकई जगह है — और अगर नहीं है, तो अब वक्त है बदलाव लाने का।

Latest news
Related news