Tuesday, October 28, 2025

क्या ट्रम्प के 50% स्टील टैरिफ से भारत को नुकसान होगा?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि अमेरिका स्टील और एल्युमीनियम पर आयात शुल्क को दोगुना कर 50% तक कर देगा। यह फैसला 4 जून से लागू होगा। ट्रम्प के अनुसार, यह कदम अमेरिकी घरेलू उद्योग को संरक्षण देने के उद्देश्य से उठाया गया है।

यह घोषणा ट्रम्प ने पेंसिल्वेनिया में एक स्टील प्लांट के दौरे के दौरान दी, जहाँ उन्होंने कहा, “हम अमेरिका में स्टील पर टैरिफ को 25% से बढ़ाकर 50% कर रहे हैं।” इसके तुरंत बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर यह भी पुष्टि की कि एल्युमीनियम पर भी यही दर लागू की जाएगी।

भारत पर इसका असर कितना?

जहाँ तक भारत की बात है, अमेरिका में भारतीय स्टील और एल्युमीनियम की हिस्सेदारी सीमित है। इसलिए इस कदम का प्रत्यक्ष प्रभाव भारत पर न्यूनतम होने की संभावना है। वर्ष 2024 में अमेरिका ने लगभग 28 मिलियन टन स्टील आयात किया था, लेकिन उसका शुद्ध आयात आंकड़ा बहुत कम था। भारत का इसमें हिस्सा अपेक्षाकृत छोटा रहा है। कनाडा और ब्राज़ील अमेरिका को स्टील के प्रमुख आपूर्तिकर्ता बने हुए हैं।

एल्युमीनियम की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। अमेरिका ने पिछले वर्ष 5.4 मिलियन टन एल्युमीनियम आयात किया, जिसमें से करीब आधा हिस्सा कनाडा से आया था।

भारतीय कंपनियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

हिंडाल्को जैसी कंपनियों पर सीधे असर की संभावना बहुत कम है। बल्कि, अमेरिका के मिडवेस्ट एल्युमीनियम प्रीमियम में संभावित वृद्धि से हिंडाल्को को लाभ हो सकता है। हालांकि, यह भी ध्यान देने योग्य है कि हिंडाल्को अपने एल्युमीनियम के लिए कच्चा माल कनाडा से आयात करती है। अगर कनाडा को टैरिफ से छूट नहीं मिली, तो इनपुट लागत बढ़ सकती है, जिससे कंपनी के मुनाफे पर असर पड़ सकता है।

असली चिंता: वैश्विक व्यापार और भावना

हालाँकि भारत इस नीति के प्रत्यक्ष प्रभाव से काफी हद तक सुरक्षित है, लेकिन एक बड़ी चिंता वैश्विक व्यापार वातावरण को लेकर है। इस तरह की संरक्षणवादी नीतियाँ और व्यापार बाधाएँ वैश्विक स्तर पर विकास दर, निवेश की भावना, और कमोडिटी की मांग को प्रभावित कर सकती हैं। इससे दीर्घकालिक आर्थिक असंतुलन पैदा हो सकता है, जिसका असर अप्रत्यक्ष रूप से भारत सहित अन्य विकासशील देशों पर भी पड़ सकता है।

ट्रम्प द्वारा घोषित 50% टैरिफ से भारत पर तत्काल प्रभाव सीमित रहेगा, लेकिन अगर यह रुख वैश्विक स्तर पर व्यापार युद्ध जैसी स्थिति को जन्म देता है, तो भारत के लिए यह चिंता का विषय बन सकता है। वैश्विक मांग में गिरावट और व्यापार अस्थिरता अंततः भारतीय निर्यातकों और उद्योगों के लिए चुनौती बन सकती है।

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