Saturday, June 7, 2025

न्यायालय ने ट्रम्प के आपातकालीन टैरिफ को अवैध ठहराया

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लागू की गई व्यापक टैरिफ नीति को एक बड़ा झटका देते हुए यूएस कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने उसके एक महत्वपूर्ण हिस्से को अमान्य घोषित कर दिया है। यह फैसला ट्रम्प प्रशासन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार युद्ध के खिलाफ आपातकालीन शक्तियों के प्रयोग पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को तीन न्यायाधीशों के एक पैनल ने निर्णय सुनाते हुए कहा कि ट्रम्प ने 1977 के अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्तियाँ अधिनियम (IEEPA) के तहत अपनी सीमाओं का उल्लंघन किया है। इसी कानून का हवाला देकर ट्रम्प ने दर्जनों देशों के उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाए थे।

न्यायालय का निष्कर्ष

न्यायालय ने स्पष्ट किया कि IEEPA राष्ट्रपति को “लगभग हर देश के उत्पादों पर असीमित टैरिफ लगाने” की अनुमति नहीं देता है। इस निर्णय ने ट्रम्प की उस कानूनी दलील को खारिज कर दिया, जिसके आधार पर उन्होंने विश्वव्यापी टैरिफ लगाए थे। इन टैरिफों ने वैश्विक बाजारों को प्रभावित किया और अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय सहयोगियों के साथ संबंधों को भी चुनौती दी।

कौन से टैरिफ निलंबित किए गए?

इस फैसले के बाद ट्रम्प द्वारा अप्रैल में घोषित 75 से अधिक देशों से आयात पर लगाए गए 10 प्रतिशत “पारस्परिक” टैरिफ को रोक दिया गया है। इसके साथ ही, मैक्सिको और कनाडा से आने वाले उत्पादों पर लगाए गए 25 प्रतिशत टैरिफ, जो अवैध प्रवासन और नशीली दवाओं की तस्करी को रोकने के उद्देश्य से लगाए गए थे, भी निलंबित कर दिए गए हैं। चीन से जुड़े फेंटेनाइल उत्पादों पर लागू 20 प्रतिशत टैरिफ भी इस निर्णय के अंतर्गत आते हैं।

खास बात यह है कि ट्रम्प द्वारा चीन से आने वाले कम मूल्य के शिपमेंट पर शुल्क-मुक्त स्थिति समाप्त करने का जो आदेश दिया गया था—जिससे शीन और टेमू जैसे सस्ते ई-कॉमर्स प्लेटफार्म प्रभावित होते—वह भी इस निर्णय से बाधित होता दिख रहा है। हालांकि इस हिस्से के क्रियान्वयन की स्थिति अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है।

कौन से टैरिफ यथावत रहेंगे?

जिन टैरिफों को IEEPA के बजाय अन्य कानूनों के तहत लागू किया गया था—जैसे स्टील, एल्यूमीनियम और ऑटोमोबाइल पर लगाए गए शुल्क—वे प्रभावित नहीं हुए हैं। ये टैरिफ 1962 के ट्रेड एक्सपैंशन एक्ट के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर लगाए गए थे और फिलहाल लागू रहेंगे जब तक उन्हें कानूनी रूप से चुनौती नहीं दी जाती।

न्यायालय ने हस्तक्षेप क्यों किया?

यह मुकदमा डेमोक्रेटिक राज्यों और व्यापार संगठनों द्वारा दायर किया गया था, जिनका तर्क था कि ट्रम्प ने आर्थिक दबाव बनाने के लिए आपातकालीन शक्तियों का अनुचित उपयोग किया। न्यायालय ने वादियों के पक्ष में निर्णय देते हुए कहा कि IEEPA की ट्रम्प द्वारा की गई व्याख्या कार्यकारी शक्ति पर संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन है। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय एक मिसाल बन सकता है, जिससे भविष्य में आर्थिक प्रतिबंधों के लिए आपातकालीन शक्तियों के उपयोग को रोका जा सकेगा।

व्हाइट हाउस की प्रतिक्रिया और आगे की योजना

व्हाइट हाउस ने संकेत दिया है कि वह इस निर्णय के विरुद्ध अपील करेगा। अमेरिकी न्याय विभाग ने फैसले के कुछ ही समय बाद कहा कि वह संघीय सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स में अपील दायर करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि अपील के जरिए शायद निर्णय को पलटना आसान नहीं होगा, लेकिन ट्रम्प या भविष्य के राष्ट्रपति अन्य कानूनी रास्तों से टैरिफ बहाल करने की कोशिश कर सकते हैं।

टोरंटो विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री जोसेफ स्टीनबर्ग ने कहा, “यह कोई पूर्ण विजय नहीं है, अपील की जाएगी।” वहीं, व्यापार कानून विशेषज्ञ माइकल जे. लोवेल का मानना है कि न्यायालय का तर्क मजबूत है और अपील में भी यह टिकेगा। उन्होंने कहा, “प्रशासन को भी लग रहा होगा कि यह फैसला कायम रहेगा।”

बाज़ारों और व्यापार जगत की प्रतिक्रिया

इस खबर के सामने आने के बाद बाजारों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और प्रमुख सूचकांकों में कारोबारी घंटों के बाद तेजी देखी गई। इन टैरिफों के हटने से आयात करने वाले निर्माता और खुदरा विक्रेता राहत महसूस कर रहे हैं, जिन्होंने पहले ही ट्रम्प की व्यापार नीति के कारण लागत में वृद्धि और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान की शिकायत की थी।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार न्यायालय की भूमिका

न्यूयॉर्क स्थित यूएस कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड सीमा शुल्क और व्यापार संबंधी विवादों की सुनवाई करता है। इस न्यायालय के न्यायाधीश आजीवन नियुक्त होते हैं, और कार्यकारी निर्णयों को तीन न्यायाधीशों के पैनल के समक्ष चुनौती दी जाती है। इसके निर्णयों की अपील संघीय सर्किट कोर्ट और अंतिम रूप से यूएस सुप्रीम कोर्ट में की जा सकती है।

यह निर्णय ट्रम्प प्रशासन की टैरिफ नीति के लिए एक बड़ा कानूनी झटका है और अमेरिका की आपातकालीन आर्थिक शक्तियों की सीमाओं को फिर से परिभाषित करता है। अब निगाहें अपील पर होंगी, जो इस मुद्दे को और लंबा खींच सकती है।

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