भारत के सर्वोच्च न्यायालय को शुक्रवार, 30 मई 2025 को तीन नए न्यायाधीश मिले, जब न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया, न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई और न्यायमूर्ति A.S. चंदुरकर ने एक संक्षिप्त शपथ ग्रहण समारोह में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। यह शपथ मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई द्वारा दिलाई गई।
शपथ ग्रहण समारोह सुप्रीम कोर्ट के परिसर में आयोजित किया गया, जिसमें मंच पर सर्वोच्च न्यायालय के लगभग आधे न्यायाधीश उपस्थित थे। इन तीनों नए न्यायाधीशों की नियुक्ति के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की कुल संख्या 34 हो गई है, जो कि इसकी अधिकतम स्वीकृत संख्या है। यह स्थिति न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी के 9 जून को होने वाले सेवानिवृत्त तक बनी रहेगी।
शपथ लेने के बाद मुख्य न्यायाधीश गवई ने तीनों न्यायाधीशों का गर्मजोशी से हाथ मिलाकर स्वागत किया। विशेष उल्लेखनीय बात यह रही कि न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई ने हिंदी में पद की शपथ ली, जो भाषाई विविधता और राष्ट्रीय भावना का प्रतीक है।
न्यायमूर्ति अंजारिया, बिश्नोई और चंदुरकर के नामों की सिफारिश 26 मई को सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा की गई थी, जिसकी अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश गवई ने की थी। केंद्र सरकार ने मात्र तीन दिनों के भीतर, 29 मई को इन नियुक्तियों को अपनी स्वीकृति दे दी।
न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया:
मार्च 1965 में अहमदाबाद, गुजरात में जन्मे अंजारिया एक प्रतिष्ठित वकील परिवार से आते हैं। अपने करियर में वे CBI, BSNL, UPSC, UGC, AICTE और NCTE जैसी संस्थाओं के वरिष्ठ पैनल वकील रह चुके हैं। उन्हें नवंबर 2011 में गुजरात उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था और सितंबर 2013 में स्थायी न्यायाधीश के रूप में पुष्टि मिली। 25 फरवरी 2024 को उन्होंने कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी।
न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई:
जोधपुर, राजस्थान में मार्च 1964 में जन्मे बिश्नोई ने जुलाई 1989 में अधिवक्ता के रूप में नामांकन कराया था। उन्हें जनवरी 2013 में राजस्थान उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया और जनवरी 2015 में स्थायी न्यायाधीश बनाए गए। उन्होंने 5 फरवरी 2024 को गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार ग्रहण किया था।
न्यायमूर्ति ए.एस. चंदुरकर:
अप्रैल 1965 में जन्मे चंदुरकर ने जुलाई 1988 में वकालत शुरू की थी। उन्हें 21 जून 2013 को बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। वे वहीं से अपना न्यायिक कार्यकाल निभाते रहे हैं।
इन तीनों न्यायाधीशों की नियुक्ति से सुप्रीम कोर्ट को अनुभव, विशेषज्ञता और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व की दृष्टि से महत्वपूर्ण लाभ मिलेगा। न्यायपालिका में इनकी उपस्थिति निश्चित रूप से न्यायिक प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी व न्यायसंगत बनाएगी।