Saturday, June 7, 2025

टीम ट्रंप ने टैरिफ को सही ठहराने के लिए भारत-पाक युद्ध विराम का दिया हवाला

संघीय व्यापार न्यायालय ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को टैरिफ लगाने से रोक दिया है, यह निर्णय देते हुए कि उन्होंने इस संबंध में उन्हें प्राप्त कानूनी अधिकारों का उल्लंघन किया है। यह फैसला अमेरिकी प्रशासन के उस तर्क के बावजूद आया है जिसमें कहा गया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को हुआ युद्ध विराम नए टैरिफों को लागू करने का एक प्रमुख कारण था।

अमेरिकी प्रशासन ने अदालत को बताया कि यह युद्ध विराम तभी संभव हो सका जब दोनों देशों को पूर्ण युद्ध की ओर बढ़ने से रोकने के लिए अमेरिका के साथ व्यापार करने की अनुमति दी गई। प्रशासन के अनुसार, टैरिफ इस प्रक्रिया का हिस्सा थे। बावजूद इसके, कोर्ट ने सरकार की इस दलील को अस्वीकार कर दिया।

यह मामला ट्रंप द्वारा 2 अप्रैल को घोषित किए गए टैरिफ से जुड़ा है, जिसमें अधिकांश विदेशी आयातों पर 10% शुल्क और चीन एवं यूरोपीय संघ से आने वाले सामान पर और भी अधिक शुल्क लगाने का प्रस्ताव शामिल था। ट्रंप ने इस योजना को “मुक्ति दिवस” करार दिया था और बाद में व्यापार समझौतों की मांग करते हुए कुछ कड़े टैरिफों को स्थगित कर दिया।

न्यायालय ने क्या कहा?

न्यूयॉर्क स्थित कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड के तीन न्यायाधीशों के एक पैनल ने बुधवार को अपने फैसले में कहा, “कोर्ट राष्ट्रपति द्वारा टैरिफ को रणनीतिक लाभ के रूप में उपयोग करने की समझदारी या उसकी प्रभावशीलता पर विचार नहीं करता है। उसका काम केवल यह तय करना है कि क्या राष्ट्रपति ने कानूनी सीमाओं का पालन किया है या नहीं।”

ट्रंप प्रशासन की दलील क्या थी?

23 मई को अदालत में दाखिल एक दस्तावेज़ में अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड डब्ल्यू लुटनिक ने ट्रंप द्वारा अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम (IEEPA) के तहत आपात शक्तियों के उपयोग का बचाव किया। उन्होंने इन टैरिफों को एक महत्वपूर्ण विदेश नीति उपकरण करार दिया।

यह बयान उन 12 डेमोक्रेटिक शासित राज्यों के अटॉर्नी जनरल द्वारा दायर मुकदमे के जवाब में आया, जिन्होंने ट्रंप के इन टैरिफों को “अवैध और मनमाना” बताया था। विशेष रूप से भारतीय आयात पर लगाए गए 26% शुल्क को चुनौती दी गई थी।

लुटनिक ने कहा कि यदि राष्ट्रपति की IEEPA के अंतर्गत शक्तियों को सीमित किया गया, तो यह उन सभी क्षेत्रों पर असर डालेगा जहां आर्थिक उपकरणों का रणनीतिक उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “भारत और पाकिस्तान — दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश — जो महज 13 दिन पहले सैन्य संघर्ष में उलझे थे, 10 मई को एक अनिश्चित युद्ध विराम पर पहुंचे। यह युद्ध विराम राष्ट्रपति ट्रंप के हस्तक्षेप और अमेरिका के साथ व्यापार प्रस्ताव के बाद ही संभव हो पाया।” लुटनिक ने चेतावनी दी कि राष्ट्रपति की शक्तियों को बाधित करने वाला कोई भी निर्णय भारत और पाकिस्तान को अमेरिका की मध्यस्थता की वैधता पर सवाल उठाने के लिए प्रेरित कर सकता है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा और लाखों लोगों के जीवन पर खतरा मंडरा सकता है।

उन्होंने यह भी दावा किया कि टैरिफ रणनीति ने चीन को भी व्यापार वार्ता की मेज पर लाने में मजबूर किया। उनके अनुसार, टैरिफों ने बीजिंग को बातचीत के लिए प्रेरित किया — जबकि अमेरिका ने उस पर नशीली दवाओं के प्रसार और अमेरिकी विनिर्माण नौकरियों को छीनने का आरोप लगाया था।

भारत ने अमेरिकी भूमिका को नकारा

भारत ने ट्रंप प्रशासन के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया कि 10 मई के युद्ध विराम में अमेरिका की कोई मध्यस्थता रही थी। भारतीय अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यह युद्ध विराम भारत और पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों के बीच सीधी बातचीत का परिणाम था, न कि किसी बाहरी हस्तक्षेप का।

यह संघर्ष 7 मई को उस समय शुरू हुआ जब भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों पर हमले किए थे। इन हमलों में 26 लोगों की मौत हुई थी।

चार दिन तक चले सीमा पार सैन्य अभियान के बाद 10 मई को दोनों देशों ने युद्ध विराम पर सहमति जताई। भारतीय अधिकारियों के अनुसार, इस समझौते में अमेरिका की कोई प्रत्यक्ष या परोक्ष भूमिका नहीं थी।

Latest news
Related news