देश में कोविड-19 के मामलों में एक बार फिर हल्की बढ़ोतरी देखी जा रही है, लेकिन डॉक्टरों का मानना है कि फिलहाल घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि मौजूदा स्ट्रेन काफी संक्रामक जरूर है, लेकिन इसके लक्षण अपेक्षाकृत हल्के हैं।
नेशनल IMA कोविड टास्कफोर्स के सह-अध्यक्ष डॉ. राजीव जयदेवन ने कहा, “हमें पता है कि JN.1 वैरिएंट ने 2024 की शुरुआत में वैश्विक स्तर पर मामलों में उछाल लाया था, लेकिन भारत में इसका ज्यादा असर नहीं देखा गया। वर्तमान में जो वैरिएंट फैल रहे हैं, वे JN.1 के ही वंशज हैं। अच्छी बात यह है कि इन स्ट्रेनों की वजह से अस्पताल में भर्ती होने की दर बहुत कम है और संक्रमित व्यक्ति आमतौर पर 3-4 दिनों में ठीक हो जाता है।”
भारत में फिलहाल जो ओमिक्रॉन सबवेरिएंट्स सामने आ रहे हैं, उनमें XFG, NB.1.8.1 और LF.7 शामिल हैं। ये सभी JN.1 के उप-वंशज हैं और अन्य एशियाई देशों में भी इनका प्रसार देखा जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, ये वैरिएंट आमतौर पर हल्के लक्षण पैदा कर रहे हैं।
डॉ. जयदेवन ने यह भी बताया कि चीन और हांगकांग में कोविड मामलों में वृद्धि के पीछे NB.1.8.1 वैरिएंट को जिम्मेदार माना जा रहा है। इसके साथ ही, यात्रा के बढ़ते मामलों ने भी वायरस के प्रसार में योगदान दिया है। उन्होंने कहा, “हमें घबराने की बजाय सतर्क रहने की जरूरत है। जब तक वायरस में बदलाव आते रहेंगे, तब तक समय-समय पर कोविड की लहरें आती रहेंगी। परंतु हमें यह समझना चाहिए कि ये नए वैरिएंट 2020 और 2021 में देखे गए डेल्टा वैरिएंट की तरह गंभीर संक्रमण नहीं पैदा कर रहे हैं।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि अभी तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है जिससे यह संकेत मिले कि मौजूदा वैरिएंट 2021 के अंत के वैरिएंट्स की तुलना में आनुवंशिक रूप से या बीमारी के लक्षणों के लिहाज़ से ज़्यादा गंभीर हैं।
एंटीबायोटिक के इस्तेमाल से बचें
डॉ. जयदेवन ने ओवर-द-काउंटर एंटीबायोटिक्स के अनियंत्रित उपयोग के खिलाफ चेतावनी दी और कहा कि लोगों को बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक नहीं लेनी चाहिए। साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि भीड़-भाड़ वाली बंद जगहों पर मास्क पहनना और अस्पतालों में अनावश्यक सामाजिक मुलाकातों से बचना चाहिए।
“यह एक सामान्य ऊपरी श्वसन संक्रमण जैसा”
बेंगलुरु के एक निजी अस्पताल में वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. रवींद्र मेहता ने बताया, “यह संक्रमण सामान्य ऊपरी श्वसन पथ के संक्रमण जैसा लगता है। अभी तक हमने किसी भी कोविड-19 निमोनिया के केस नहीं देखे हैं। अधिकतर मरीजों को सिर्फ सहायक देखभाल की जरूरत होती है, विशेष उपचार की नहीं।”
कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोग रहें सतर्क
विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है, जैसे बुजुर्ग, गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति या जिन्हें इम्यूनोसप्रेसिव दवाएं दी जा रही हैं, उन्हें अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। इन लोगों के लिए मास्क पहनना, भीड़ से बचना और स्वास्थ्य नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है।
कर्नाटक में कड़े नियम लागू
इस बीच, कर्नाटक के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने राज्य में कोविड नियंत्रण के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं। इसके अनुसार, सभी जांच नमूने उसी दिन राज्य सरकार द्वारा अधिकृत प्रयोगशालाओं में पहुंचाए जाने चाहिए जिस दिन नमूना लिया गया हो। साथ ही, सभी गंभीर श्वसन संक्रमण (SARI) के मामलों की कोविड जांच अनिवार्य की गई है और राज्य में प्रतिदिन 150-200 RT-PCR परीक्षण किए जा रहे हैं।
हालांकि कोविड-19 का नया स्ट्रेन तेज़ी से फैल रहा है, लेकिन इसके लक्षण हल्के हैं और अधिकतर मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ रही। डॉक्टरों का संदेश साफ है – घबराएं नहीं, सतर्क रहें, भीड़ से बचें, मास्क पहनें और बिना सलाह दवा न लें।

