Thursday, October 23, 2025

मानसून ने भारत में समय से पहले दी दस्तक, 2009 के बाद सबसे जल्दी पहुंचा केरल

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बताया कि दक्षिण-पश्चिम मानसून ने शनिवार को केरल में दस्तक दे दी है। यह 2009 के बाद पहली बार है जब मानसून इतनी जल्दी भारतीय मुख्य भूमि पर पहुंचा है। 2009 में भी मानसून 23 मई को केरल पहुंचा था।

आमतौर पर दक्षिण-पश्चिम मानसून 1 जून के आसपास केरल में प्रवेश करता है और 8 जुलाई तक पूरे देश को ढक लेता है। मानसून की वापसी उत्तर-पश्चिम भारत से 17 सितंबर के आसपास शुरू होती है और 15 अक्टूबर तक समाप्त हो जाती है।

IMD के आंकड़ों के अनुसार:

  • 2023 में मानसून ने 8 जून को केरल में दस्तक दी थी
  • 2022 में 29 मई को
  • 2021 में 3 जून को
  • 2020 में 1 जून को
  • 2019 में 8 जून को
  • 2018 में 29 मई को
  • 2022 में 29 मई को
  • और 2024 में 30 मई को मानसून आया था।

1975 से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, मानसून अब तक सबसे जल्दी 1990 में 19 मई को केरल पहुंचा था, जो सामान्य तिथि से 13 दिन पहले था।

मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, मानसून के आगमन की तारीख और पूरे मौसम में होने वाली कुल वर्षा के बीच कोई सीधा संबंध नहीं होता। केरल में मानसून जल्दी या देर से पहुंचने का यह अर्थ नहीं होता कि देश के बाकी हिस्सों में भी वही पैटर्न दोहराया जाएगा। IMD के एक अधिकारी ने बताया कि यह बड़े स्तर पर विविधता, वैश्विक, क्षेत्रीय और स्थानीय कारकों पर निर्भर करता है।

अप्रैल में IMD ने अनुमान जताया था कि 2025 के मानसून सीजन में सामान्य से अधिक वर्षा हो सकती है। इस अनुमान के साथ ही अल-नीनो की स्थिति की संभावना को भी खारिज किया गया, क्योंकि अल-नीनो आम तौर पर भारतीय उपमहाद्वीप में कम बारिश से जुड़ा होता है।

आईएमडी के अनुसार, 50 वर्षों के औसत 87 सेंटीमीटर के मुकाबले 96 से 104 प्रतिशत के बीच की वर्षा को ‘सामान्य’ माना जाता है।

अन्य वर्गीकरण इस प्रकार हैं:

  • औसत का 90 प्रतिशत से कम वर्षा: ‘कम’
  • 90 से 95 प्रतिशत: ‘सामान्य से कम’
  • 105 से 110 प्रतिशत: ‘सामान्य से अधिक’
  • 110 प्रतिशत से अधिक: ‘अतिरिक्त’ वर्षा

भारत में वर्ष 2024 में कुल 934.8 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई, जो औसत का 108 प्रतिशत है और 2020 के बाद से सबसे अधिक है।

पिछले वर्षों के आंकड़े इस प्रकार हैं:

  • 2023 में 820 मिमी (94.4 प्रतिशत)
  • 2022 में 925 मिमी
  • 2021 में 870 मिमी
  • 2020 में 958 मिमी

भारत में मानसून कृषि क्षेत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह लगभग 42 प्रतिशत आबादी की आजीविका का आधार है और देश के सकल घरेलू उत्पाद में 18.2 प्रतिशत का योगदान करता है।

साथ ही, यह पूरे देश में पीने के पानी और बिजली उत्पादन के लिए जलाशयों को भरने में भी अहम भूमिका निभाता है।

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