पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, भारत ने वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ एक स्पष्ट और कड़ा संदेश देने के लिए एक बड़ी कूटनीतिक पहल की शुरुआत की है। इस अभियान के तहत लगभग तीन दर्जन देशों से संपर्क साधा जाएगा। इस पहल के अंतर्गत सात विभिन्न प्रतिनिधिमंडल, जिनमें सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के सांसद शामिल हैं, विदेशी देशों और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का दौरा करेंगे। इसका उद्देश्य वैश्विक समुदाय के समक्ष भारत की आतंकवाद के प्रति एकजुटता और मजबूत रुख को प्रदर्शित करना है।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दी जानकारी
सोमवार को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इन सातों प्रतिनिधिमंडलों को अभियान से जुड़ी विस्तृत जानकारी दी। सभी प्रतिनिधिमंडल रविवार तक अपने-अपने गंतव्यों की ओर रवाना हो जाएंगे।
किन आधारों पर चुने गए ये 33 देश?
मंगलवार को हुई एक ब्रीफिंग में विदेश सचिव ने बताया कि इन 33 देशों का चयन रणनीतिक सोच और वैश्विक प्रभाव के आधार पर किया गया है। भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी ने बताया कि इनमें से लगभग 15 देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के वर्तमान सदस्य हैं, जिनमें पांच स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य शामिल हैं। इन अस्थायी सदस्यों का कार्यकाल दो वर्षों का होता है।
इसके अलावा सूची में पांच ऐसे देश भी हैं जो जल्द ही सुरक्षा परिषद के सदस्य बन जाएंगे। कुछ अन्य देश, जिनकी आवाज अंतरराष्ट्रीय मंचों पर विशेष महत्व रखती है, उन्हें भी इस सूची में शामिल किया गया है।
पहला प्रतिनिधिमंडल रवाना
सुश्री सारंगी उस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं जिसकी अगुवाई जेडीयू नेता संजय कुमार झा कर रहे हैं। यह प्रतिनिधिमंडल इंडोनेशिया, मलेशिया, दक्षिण कोरिया, जापान और सिंगापुर की यात्रा करेगा। यह पहला प्रतिनिधिमंडल है जो इस वैश्विक आउटरीच कार्यक्रम के तहत आज जापान के लिए रवाना हो रहा है।
पाकिस्तान की भूमिका और भारत का जवाब
पाकिस्तान वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का एक घूर्णनशील (रोटेटिंग) सदस्य है और अगले 17 महीनों तक वह इस भूमिका में रहेगा। भारत को आशंका है कि पाकिस्तान इस मंच का उपयोग भारत के खिलाफ दुष्प्रचार और आतंकवाद को लेकर अपनी स्थिति प्रस्तुत करने के लिए कर सकता है। इसी को देखते हुए भारत ने यह बहुपक्षीय वैश्विक संपर्क योजना बनाई है ताकि अपना पक्ष स्पष्ट रूप से रखा जा सके।
भुवनेश्वर से सांसद अपराजिता सारंगी ने कहा, “हमारी सरकार ने सही निर्णय लिया है कि विभिन्न दलों के सांसद मिलकर इन देशों की यात्रा करें और वहां के राजनीतिक व प्रशासनिक नेताओं के सामने भारत की स्थिति स्पष्ट करें। साथ ही पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देने की निंदा करें।”
भारत का एकजुट संदेश
यह अभियान पूरी दुनिया को यह बताने का प्रयास है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है। देश की सभी राजनीतिक ताकतें इस मुद्दे पर एकमत हैं और यह वैश्विक स्तर पर एक प्रभावशाली संदेश देने का जरिया बनेगा।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद की पहल
इस पहल की पृष्ठभूमि में भारतीय सेना का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ है, जिसमें 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में मौजूद आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था।
कौन-कौन कर रहा है नेतृत्व
इस वैश्विक अभियान में जिन सांसदों को प्रतिनिधिमंडलों की जिम्मेदारी दी गई है, उनमें कांग्रेस के शशि थरूर, भाजपा के रविशंकर प्रसाद और बैजयंत पांडा, जदयू के संजय कुमार झा, राकांपा की सुप्रिया सुले, शिवसेना के श्रीकांत एकनाथ शिंदे और द्रमुक की कनिमोझी शामिल हैं।
प्रवासियों और बुद्धिजीवियों से भी मिलेंगे
इन प्रतिनिधिमंडलों की योजना इन देशों के प्रधानमंत्रियों, विदेश मंत्रियों, सांसदों, विपक्षी नेताओं, बुद्धिजीवियों, पत्रकारों और प्रवासी भारतीयों से मिलने की है, ताकि भारत का स्पष्ट और मजबूत संदेश हर स्तर पर पहुंचे।
यह वैश्विक आउटरीच भारत की कूटनीतिक रणनीति का अहम हिस्सा बनकर उभर रही है, जिसमें देश आतंकवाद के खिलाफ अपने एकजुट और अडिग रुख को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने मजबूती से रख रहा है।

