Tuesday, October 28, 2025

सिंधु जल संधि स्थगित, जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन नहीं रोकता

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को स्पष्ट रूप से कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर पर चर्चा का एकमात्र विषय पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) की भारत को वापसी है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी ऐलान किया कि सिंधु जल संधि तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देना बंद नहीं करता।

होंडुरास के दूतावास के उद्घाटन के अवसर पर मीडिया से बातचीत करते हुए जयशंकर ने कहा, “हम पाकिस्तान के साथ पीओके की वापसी पर चर्चा करने को तैयार हैं। मैं चाहता हूं कि आप हमारी स्थिति को स्पष्ट रूप से समझें… भारत सरकार का रुख पूरी तरह साफ है।”

उन्होंने दोहराया कि भारत-पाकिस्तान संबंध पूरी तरह द्विपक्षीय रहेंगे और भारत की प्राथमिकता सीमा पार आतंकवाद से निपटना है। विदेश मंत्री ने पाकिस्तान से यह भी मांग की कि वह भारत पर आतंकी हमलों में शामिल आतंकवादियों को भारत को सौंपे।

इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश को भारत ने एक बार फिर सिरे से खारिज कर दिया। जयशंकर ने कहा, “भारत की नीति द्विपक्षीयता की रही है और इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। प्रधानमंत्री ने साफ कहा है कि पाकिस्तान के साथ बातचीत का मुद्दा केवल आतंकवाद होगा।”

उन्होंने कहा, “पाकिस्तान के पास उन आतंकवादियों की सूची है जिन्हें भारत को सौंपना है। साथ ही, पाकिस्तान को आतंकवादियों के बुनियादी ढांचे को नष्ट करना होगा। उन्हें अच्छी तरह पता है कि उन्हें क्या करना है। भारत केवल आतंकवाद के मुद्दे पर बातचीत के लिए तैयार है और यही वार्ताएं संभव हैं।”

जब उनसे सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty – IWT) के बारे में सवाल किया गया, तो जयशंकर ने स्पष्ट किया कि संधि को स्थगित कर दिया गया है और यह तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से सीमा पार आतंकवाद को रोक नहीं देता।

1950 के दशक में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई सिंधु जल संधि के तहत पूर्वी नदियों – ब्यास, रावी और सतलुज – का अधिकार भारत को और पश्चिमी नदियों – सिंधु, चिनाब और झेलम – का अधिकार पाकिस्तान को दिया गया था। भारत को पश्चिमी नदियों के सीमित उपयोग जैसे सिंचाई और विद्युत उत्पादन की अनुमति दी गई थी।

विदेश मंत्रालय ने सप्ताह की शुरुआत में बयान जारी करते हुए कहा था कि सिंधु जल संधि को भारत ने सद्भावना और मित्रता की भावना से स्वीकार किया था, जैसा कि संधि की प्रस्तावना में भी उल्लिखित है। लेकिन पाकिस्तान ने दशकों से सीमा पार आतंकवाद को प्रायोजित कर इस भावना का उल्लंघन किया है।

मंत्रालय ने यह भी कहा कि जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या वृद्धि और तकनीकी विकास जैसे कारकों ने जमीनी हालात को काफी बदल दिया है, जिसके चलते नई वास्तविकताएं सामने आई हैं।

इस प्रकार, भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक पाकिस्तान अपनी आतंकवादी गतिविधियों पर रोक नहीं लगाता, तब तक सिंधु जल संधि जैसे समझौतों पर पुनर्विचार और कड़ी नीति अपनाना जारी रहेगा।

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