सैफ अली खान और अमृता सिंह के बेटे इब्राहिम अली खान ने करण जौहर के धर्माटिक प्रोडक्शन के तहत बनी फिल्म ‘नादानियां’ से बॉलीवुड में अपना डेब्यू किया। यह फिल्म 7 मार्च को नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई, लेकिन इसे न केवल समीक्षकों बल्कि दर्शकों से भी तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा।
हाल ही में हिंदुस्तान टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में इब्राहिम ने बताया कि फिल्म देखने के बाद प्रियंका चोपड़ा ने उन्हें एक बेहद प्यारा और हौसला बढ़ाने वाला संदेश भेजा।
इब्राहिम ने कहा, “प्रियंका मैम ने मुझसे कहा कि मुझे अपना सिर ऊंचा रखना है, मेहनत करते रहना है और अपनी चमड़ी मोटी करनी है। उन्होंने यह भी कहा कि मेरा भविष्य उज्ज्वल है। एक इतनी सफल शख्सियत से बात करना मेरे लिए बहुत सुकून और प्रेरणा देने वाला रहा।”
सोशल मीडिया पर फिल्म को मिली तीखी प्रतिक्रिया और आलोचना के बाद, करण जौहर ने भी सामने आकर अपने विचार साझा किए।
एक पंजाबी फिल्म के ट्रेलर लॉन्च के दौरान करण जौहर ने कहा कि आलोचना करना गलत नहीं है, लेकिन भाषा और अभिव्यक्ति में मर्यादा होनी चाहिए। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा, “एक आलोचक ने लिखा था कि ‘मैं इस फिल्म को लात मारना चाहता हूं’। मुझे इस तरह की भाषा से बहुत समस्या है।”
करण ने आगे कहा, “मुझे इंडस्ट्री, ट्रोल्स, राय देने वालों या सामाजिक टिप्पणीकारों से कोई परेशानी नहीं है। मैं हर किसी की राय को स्वीकार करता हूं। हमारी भी नादानियां, गुस्ताखियां और गहराइयां होती हैं। लेकिन जब आप अपनी समीक्षा में हिंसात्मक शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, तो वह फिल्म की नहीं, आपकी सोच का प्रतिबिंब होता है।”
करण जौहर ने आलोचना और व्यक्तिगत हमलों के बीच की रेखा को न धुंधलाने की अपील करते हुए कहा, “जो लोग खुद को सिनेमा प्रेमी कहते हैं, उन्हें थोड़ा संवेदनशील भी होना चाहिए। कोई भी ‘लात’ नहीं खाना चाहता। लात मारना एक प्रकार की हिंसा है, और जब वास्तविक दुनिया में हिंसा की अनुमति नहीं है, तो शब्दों के ज़रिए हिंसा क्यों की जाए? ऐसी आलोचना की निंदा की जानी चाहिए।”
करण जौहर के इस बयान से पहले सोनू सूद, हंसल मेहता और विक्रम भट्ट जैसे फिल्मी हस्तियां भी युवा कलाकारों के प्रति दिखाई जा रही कठोर आलोचना पर चिंता जता चुके हैं। उन्होंने भी यही कहा कि इन उभरते हुए कलाकारों की मेहनत और संघर्ष का सम्मान किया जाना चाहिए, और आलोचना करते समय संवेदनशीलता बरतनी चाहिए।