Monday, May 12, 2025

प्रधानमंत्री मोदी ने DGMO वार्ता से पहले उच्चस्तरीय सुरक्षा बैठक की अध्यक्षता की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को देश की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुख मौजूद थे। यह बैठक ऐसे समय पर हुई है जब भारत और पाकिस्तान ने एक-दूसरे के खिलाफ सभी सैन्य कार्रवाइयों को रोकने पर सहमति जताई है। इस निर्णय के बाद चार दिनों से जारी भीषण संघर्ष समाप्त हो गया।

बैठक मंगलवार को होने वाली भारत और पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMO) के बीच दूसरे दौर की वार्ता से पहले बुलाई गई थी। सूत्रों के अनुसार, भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान के साथ संवाद केवल डीजीएमओ स्तर पर ही होगा।

बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों सेनाओं के प्रमुखों को निर्देश दिया कि पाकिस्तान की ओर से किसी भी प्रकार की आक्रामकता का कड़ा और सटीक जवाब दिया जाए। उन्होंने कहा कि सतर्कता में किसी भी प्रकार की ढील नहीं दी जाएगी। बैठक से एक दिन पहले भारत ने पाकिस्तान में स्थित आठ सैन्य ठिकानों पर हवाई-लॉन्च किए गए सटीक हथियारों से हमला किया था। यह जवाबी हमला भारतीय सैन्य ढांचे और नागरिक क्षेत्रों पर पाकिस्तान द्वारा किए गए हमलों के जवाब में किया गया था।

यह टकराव भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों के सबसे गंभीर सैन्य तनावों में से एक बन गया था। यह स्थिति तब और गंभीर हो गई जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर अचानक युद्धविराम की घोषणा की, जिससे पूर्ण युद्ध की आशंका ने जोर पकड़ लिया। इसी के कुछ समय बाद भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने संघर्ष रोकने की घोषणा की।

रविवार को ही भाजपा के शीर्ष नेताओं की एक और बैठक पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर हुई। इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, बिजली मंत्री मनोहर लाल खट्टर, पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू शामिल हुए। यह बैठक ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पार्टी की पहली उच्चस्तरीय रणनीतिक बैठक थी। इस ऑपरेशन के तहत भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकी शिविरों को निशाना बनाया था।

एक वरिष्ठ भाजपा पदाधिकारी ने बताया कि यह बैठक पार्टी की संचार रणनीति तैयार करने और जमीनी स्थिति की समीक्षा के उद्देश्य से आयोजित की गई थी। संघर्षविराम से पहले पार्टी देशभर में तिरंगा यात्रा निकालने और मंदिरों, गुरुद्वारों समेत अन्य पूजा स्थलों में विशेष प्रार्थनाएं आयोजित करने की योजना बना रही थी।

एक अन्य पार्टी पदाधिकारी के अनुसार, संसद का विशेष सत्र बुलाने की विपक्ष की मांग, संघर्षविराम से जुड़े सवालों और उसके बाद की स्थिति पर पार्टी की प्रतिक्रिया भी इस बैठक में चर्चा का विषय रही। अब तक भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने संघर्षविराम या इसके उल्लंघन पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पेजों पर रक्षा और विदेश मंत्रालय द्वारा दी गई आधिकारिक जानकारी को ही साझा करना उचित समझा है।

भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा सैन्य तनाव 22 अप्रैल को शुरू हुआ था, जब भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों के एक समूह ने जंगल से निकलकर पर्यटकों पर हमला कर दिया था। इस भयावह हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें 25 पर्यटक और 24 हिंदू थे। यह हमला 1990 और 2000 के दशक के आतंकवाद के दौर और 2008 के मुंबई हमलों के बाद नागरिकों पर सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है।

भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की। अधिकारियों के अनुसार, इस ऑपरेशन का नाम स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने रखा था। इसका नामकरण सिंदूर से प्रेरित था, जिसे हिंदू महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन का प्रतीक मानकर लगाती हैं। पहलगाम हमले में कई महिलाओं ने अपने पतियों को अपनी आंखों के सामने खो दिया था, जिनमें एक युवा भारतीय नौसेना अधिकारी भी शामिल था।

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