जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा 1 बिलियन डॉलर का ऋण दिए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच उन्होंने इस फैसले को उपमहाद्वीप की स्थिरता के लिए खतरा बताया।
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए उमर अब्दुल्ला ने लिखा,
“मुझे समझ नहीं आता कि ‘अंतर्राष्ट्रीय समुदाय’ कैसे सोचता है कि उपमहाद्वीप में तनाव कम हो सकता है, जब IMF पाकिस्तान को उन सभी हथियारों के लिए भुगतान कर रहा है, जिनका इस्तेमाल पुंछ, राजौरी, उरी, तंगधार और कई अन्य स्थानों को तबाह करने के लिए किया गया।”

IMF ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि उसने पाकिस्तान के आर्थिक सुधार कार्यक्रम की पहली समीक्षा पूरी कर ली है और अब उसे विस्तारित निधि सुविधा (EFF) के तहत लगभग 1 बिलियन डॉलर की राशि तुरंत जारी की जाएगी। इस व्यवस्था के तहत पाकिस्तान को अब तक कुल 2.1 बिलियन डॉलर की सहायता मिल चुकी है।
यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब पाकिस्तान की सेना पर भारत के पश्चिमी शहरों और सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल हमले करने के आरोप लगे हैं। इन कार्रवाइयों के कारण क्षेत्र में तनाव और अधिक बढ़ गया है।
आईएमएफ ने कहा कि सितंबर 2024 को मंजूर किए गए इस 37 महीने के कार्यक्रम का उद्देश्य पाकिस्तान को “लचीलापन बनाने और सतत विकास को सक्षम बनाने” में मदद करना है। इसमें व्यापक आर्थिक स्थिरता को मजबूत करने और जलवायु संबंधी जोखिमों से निपटने के उपाय भी शामिल हैं।
आईएमएफ के अनुसार, यह सहायता प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशीलता को कम करने और पाकिस्तान की आर्थिक एवं जलवायु लचीलापन बढ़ाने के प्रयासों को समर्थन देने के लिए दी जा रही है।
भारत ने जताई आपत्ति
भारत सरकार ने इस ऋण को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा,
“पाकिस्तान का IMF कार्यक्रमों के कार्यान्वयन और अनुपालन का रिकॉर्ड बेहद खराब रहा है। 1989 से पिछले 35 वर्षों में पाकिस्तान ने 28 वर्षों में आईएमएफ से ऋण प्राप्त किया है।”
भारत ने आईएमएफ की महत्वपूर्ण बैठक में मतदान से दूरी बनाए रखते हुए इस ऋण पर आपत्ति जताई।
बयान में कहा गया, “यदि पहले के कार्यक्रम पाकिस्तान के लिए एक ठोस आर्थिक नीति ढांचा तैयार करने में सफल रहे होते, तो उसे बार-बार नए बेलआउट की जरूरत नहीं पड़ती।”
भारत ने इस बात पर भी चिंता जताई कि पाकिस्तान की सेना का अर्थव्यवस्था में गहरा हस्तक्षेप नीतिगत अस्थिरता और सुधारों को पलटने की दिशा में ले जाता है।
“यहां तक कि जब अब नागरिक सरकार सत्ता में है, तब भी सेना घरेलू राजनीति में गहरी भूमिका निभा रही है और आर्थिक नीतियों को प्रभावित कर रही है,” बयान में कहा गया।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई, जिससे भारत-पाक संबंधों में और तनाव बढ़ गया है।