बॉलीवुड के मशहूर गायक सोनू निगम हाल ही में बेंगलुरु में हुए एक कॉन्सर्ट के दौरान उस समय विवादों में घिर गए जब एक प्रशंसक ने बार-बार कन्नड़ भाषा में गाने की मांग की। इस लगातार दबाव के चलते सोनू निगम ने अपना परफॉर्मेंस बीच में रोक दिया और दर्शकों को संबोधित करते हुए अपनी नाराजगी जाहिर की।
मंच पर फूट पड़ा गायक का गुस्सा
कॉन्सर्ट के दौरान जब एक फैन बार-बार कन्नड़ गाना गाने की मांग कर रहा था, तो सोनू निगम ने गुस्से में अपना प्रदर्शन रोक दिया। गायक ने मंच से ही स्पष्ट शब्दों में कहा कि प्रशंसक के बोलने के लहजे से उन्हें “धमकी” जैसा महसूस हुआ। उन्होंने इस मौके पर पहलगाम में अपने साथ हुई एक पुरानी घटना का भी ज़िक्र किया और दर्शकों को चेतावनी देते हुए कहा कि इस तरह का व्यवहार खतरनाक परिणाम ला सकता है।
भाषा के लिए प्यार, लेकिन व्यवहार से दुख
हालांकि सोनू निगम ने स्पष्ट किया कि उन्हें कन्नड़ भाषा और संस्कृति से गहरा लगाव है। उन्होंने कहा,
“मैंने अपने करियर में बहुत सी भाषाओं में गाने गाए हैं, लेकिन मेरे सबसे बेहतरीन गाने कन्नड़ भाषा में ही हैं।”
उन्होंने आगे कहा,
“जब भी मैं कर्नाटक आता हूं, मुझे यहां बहुत प्यार मिलता है। आप लोगों ने मुझे हमेशा अपने परिवार की तरह स्वीकार किया है।”
प्रशंसक के लहजे पर कड़ी प्रतिक्रिया
गायक ने बताया कि जिस तरह से एक युवा दर्शक ने कन्नड़ गाने की मांग की, वह अभद्र और धमकी भरा था।
“जब मैं पहले से ही कन्नड़ गा रहा था, उस वक्त एक लड़का जो शायद तब पैदा भी नहीं हुआ था जब मैं ये गाने गा रहा था, वह मुझ पर चिल्लाने लगा। ये सही नहीं है।”
सोनू निगम ने यह भी जोड़ा कि कलाकारों के साथ सम्मानजनक व्यवहार होना जरूरी है, और इस तरह की ज़बरदस्ती किसी भी कला मंच को नुकसान पहुंचा सकती है।
सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
सोनू निगम की इस प्रतिक्रिया पर सोशल मीडिया पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ लोगों ने गायक का समर्थन किया और कहा कि कलाकार को अपनी पसंद की भाषा में गाने की स्वतंत्रता है।
एक यूजर ने लिखा:
“अब आप दूसरों पर कन्नड़ क्यों थोप रहे हैं? वह जिस भी भाषा में गाना चाहता है, यह उसकी इच्छा है। अगर आपको पसंद नहीं तो कार्यक्रम से बाहर निकल जाइए।”
वहीं कुछ यूजर्स ने सोनू निगम की पहलगाम हमले से तुलना पर सवाल उठाया। एक ने कहा:
“पहलगाम की घटना का इससे क्या संबंध है, श्री सोनू निगम?”
दूसरे यूजर ने आलोचना करते हुए लिखा:
“बेशर्म साथी… कन्नड़ इंडस्ट्री ने उसे कर्नाटक में इतना नाम और प्यार दिया। अब वह अपनी घटिया सोच से सब कुछ बर्बाद कर रहा है।”
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर इस बात को सामने ला दिया है कि भाषा, संस्कृति और कलाकार की स्वतंत्रता जैसे विषय कितने संवेदनशील हैं। जहां सोनू निगम ने अपने अनुभव और सम्मान की बात की, वहीं दर्शकों का व्यवहार भी सोचने पर मजबूर करता है कि कलाकारों के साथ सम्मान और मर्यादा क्यों जरूरी है।

