तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के साथ शांति वार्ता करने का फैसला कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व से चर्चा के बाद लेगी।
यह बयान उस समय आया जब राज्य नागरिक स्वतंत्रता समिति के सदस्यों और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं ने छत्तीसगढ़ के जंगलों में सुरक्षा बलों द्वारा चलाए जा रहे “ऑपरेशन कगार” को समाप्त कराने के लिए मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप का अनुरोध किया। इसके बाद, रेवंत रेड्डी ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व गृह मंत्री जना रेड्डी के साथ माओवादियों से बातचीत के तौर-तरीकों पर विचार-विमर्श किया। इस चर्चा में सरकार के सलाहकार के. केशव राव और वेम नरेंद्र रेड्डी भी शामिल हुए।
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, रेवंत रेड्डी ने इस मुद्दे पर अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) के नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से भी फोन पर बातचीत की।
बाद में पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है और वह अपनी राष्ट्रीय नीतियों से निर्देशित होती है। उन्होंने कहा, “ऑपरेशन कगार के नाम पर माओवादियों की हत्या को कैसे रोका जाए, इस पर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा आवश्यक है।” रेवंत रेड्डी ने यह भी कहा, “कांग्रेस जब इस पर अपना रुख तय करेगी, तभी तेलंगाना सरकार माओवादियों के साथ शांति वार्ता पर अपनी आधिकारिक नीति की घोषणा करेगी।”
मुख्यमंत्री ने बताया कि उनकी सरकार संयुक्त आंध्र प्रदेश में माओवादियों के साथ हुए पिछले शांति वार्ता के दौर की परिस्थितियों और कार्यवाही का भी अध्ययन कर रही है। उस समय जना रेड्डी राज्य के गृह मंत्री थे और उन्होंने अक्टूबर 2004 में तत्कालीन सीपीआई (एम-एल) पीपुल्स वार ग्रुप के साथ वार्ता की पहल की थी। उसी दौरान पीपुल्स वार ग्रुप ने माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर ऑफ इंडिया (एमसीसीआई) के साथ मिलकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का गठन किया था।
रेवंत रेड्डी ने कहा, “मैंने केशव राव, जना रेड्डी और दिग्विजय सिंह के साथ इन सभी पहलुओं पर चर्चा की है। हम राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के निर्णय के बाद अपनी नीति तय करेंगे।”
रविवार को नागरिक स्वतंत्रता समिति और अन्य सामाजिक समूहों के सदस्यों के साथ बैठक के दौरान, मुख्यमंत्री को माओवादियों के साथ शांति वार्ता को पुनर्जीवित करने के लिए एक समिति गठित करने का अनुरोध किया गया। समिति के संयोजक न्यायमूर्ति चंद्रकुमार, प्रो. हरगोपाल, प्रो. अनवर खान, दुर्गा प्रसाद आदि ने मुख्यमंत्री से केंद्र सरकार के साथ युद्धविराम पर चर्चा करने का आग्रह किया।
प्रो. हरगोपाल ने कहा, “कर्रेगुट्टालू क्षेत्र में चल रहे ऑपरेशन के कारण छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमाओं पर तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है, जहां सैकड़ों माओवादी छिपे हुए हैं। सरकार को तुरंत सैनिकों को वापस बुलाना चाहिए और क्षेत्र में लोकतांत्रिक प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।”
उन्होंने मुख्यमंत्री से केंद्र सरकार को युद्धविराम के लिए मनाने की अपील भी की।
मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने समिति के सदस्यों को आश्वासन दिया कि उनकी सरकार माओवादी आंदोलन को केवल कानून-व्यवस्था के दृष्टिकोण से नहीं बल्कि एक सामाजिक समस्या के रूप में देख रही है। उन्होंने कहा कि माओवादी मुद्दे पर वरिष्ठ पार्टी नेताओं से सलाह ली जाएगी और राज्य मंत्रिमंडल भी इस विषय पर चर्चा करेगा। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा।
