भारत और अमेरिका ने व्यापार वार्ता को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए संदर्भ की शर्तों (TOR) को अंतिम रूप दे दिया है। यह कदम दोनों देशों के बीच एक व्यापक व्यापार समझौते की दिशा में प्रगति को दर्शाता है, जो आगामी वार्ताओं का मार्गदर्शन करेगा। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद एक संयुक्त बयान में यह घोषणा की गई।
अमेरिकी प्रतिनिधि की पुष्टि
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि, राजदूत जैमीसन ग्रीर ने इस घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए कहा कि अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय (USTR) और भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने परस्पर व्यापार को लेकर बातचीत के लिए रोडमैप तैयार करने पर सहमति बना ली है।
ग्रीर ने भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में संतुलन की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, “भारत के साथ व्यापार में पारस्परिकता की गंभीर कमी है। ये बातचीत अमेरिकी उत्पादों के लिए नए बाजार खोलने और अमेरिकी श्रमिकों को नुकसान पहुंचाने वाली अनुचित प्रथाओं को खत्म करने में मदद करेगी।”
व्यक्तिगत कूटनीति और सांस्कृतिक प्रतीक
यह घोषणा उपराष्ट्रपति वेंस की भारत यात्रा के दौरान हुई, जिसमें वे अपनी पत्नी उषा वेंस और तीन बच्चों के साथ आए थे। उषा वेंस, जो दक्षिण भारत से अमेरिका आई प्रवासी परिवार की बेटी हैं, अमेरिका के किसी राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति की पहली हिंदू पत्नी हैं।
वेंस ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, “आज शाम प्रधानमंत्री मोदी से मिलना मेरे लिए सम्मान की बात थी। वे एक महान नेता हैं और मेरे परिवार के प्रति बहुत दयालु रहे। मैं राष्ट्रपति ट्रम्प के नेतृत्व में भारत के साथ हमारी मित्रता और सहयोग को मजबूत करने को लेकर उत्साहित हूँ।”
वेंस परिवार ने दिल्ली में अक्षरधाम मंदिर का दौरा किया और जयपुर तथा आगरा में भी भ्रमण किया, जिसमें ताजमहल की यात्रा भी शामिल थी।
रणनीतिक दृष्टिकोण और COMPACT कार्यक्रम
यह व्यापार वार्ता केवल आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण का भी हिस्सा है। फरवरी 2025 में शुरू हुए COMPACT (त्वरित वाणिज्य और प्रौद्योगिकी) कार्यक्रम के तहत भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग, आपूर्ति श्रृंखला और तकनीकी हस्तांतरण पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
इस साल की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प के बीच हुई बैठक के बाद टीओआर को अंतिम रूप दिया गया था। प्रस्तावित समझौते में बाजार पहुंच, नियामक मानकों और आपूर्ति श्रृंखला एकीकरण जैसे प्रमुख विषय शामिल हैं।
संयुक्त बयान में कहा गया है कि यह व्यापार समझौता दोनों देशों में रोजगार सृजन और नागरिक कल्याण को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है। यह “भारत के लिए अमृत काल” और “अमेरिका के लिए स्वर्ण युग” जैसे दृष्टिकोणों के तहत विकसित किया गया है।
टैरिफ और समयसीमा का दबाव
हाल ही में अमेरिका ने भारत से आयातित वस्तुओं पर 26% टैरिफ की घोषणा की है, जो 5 अप्रैल से लागू हो गया है। यह अमेरिका के नए 10% बेसलाइन टैरिफ के अतिरिक्त है। हालांकि शुरुआती रिपोर्टों में यह दर 27% बताई गई थी, यूएसटीआर ने इसे 26% पर स्थिर किया।
कुछ विशेष वस्तुएँ, जैसे फार्मास्यूटिकल्स, सेमीकंडक्टर, तांबा, तेल, कोयला और एलएनजी को छूट दी गई है। लेकिन बिना किसी व्यापार समझौते के, जुलाई से भारतीय वस्तुओं पर यह टैरिफ पूरी तरह लागू हो जाएगा।
अमेरिका ने यह कदम 2024 में भारत के साथ हुए $45.7 बिलियन के व्यापार घाटे के मद्देनज़र उठाया है, जो 2023 की तुलना में 5.1% अधिक है। अमेरिकी प्रशासन इस अंतर को असमान बाजार पहुंच और अनुचित व्यापारिक शर्तों के परिणाम के रूप में देखता है।
अन्य देशों पर भी दबाव
भारत के साथ-साथ अमेरिका जापान, दक्षिण कोरिया और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों पर भी व्यापार संबंधों की पुनर्समीक्षा कर रहा है। व्हाइट हाउस में ईस्टर एग रोल के दौरान, राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा, “हम पहले से ही कारों, एल्यूमीनियम और स्टील पर 25% शुल्क लगा चुके हैं और इससे बहुत सारा पैसा कमा रहे हैं।”
हालांकि अमेरिका और भारत के बीच अंतिम व्यापार समझौते की कोई समयसीमा घोषित नहीं हुई है, लेकिन दोनों सरकारें इसे लेकर प्रतिबद्ध दिखाई देती हैं।
कूटनीतिक संकेत और भविष्य की योजनाएँ
वेंस की यात्रा को केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि व्यक्तिगत और सांस्कृतिक सद्भावना का प्रतीक भी माना जा रहा है। जयपुर और मंदिर यात्रा को भारतीय संस्कृति के प्रति सम्मान और मित्रता का प्रतीक बताया गया। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दिल्ली हवाई अड्डे पर उनका स्वागत किया और इस यात्रा के महत्व को रेखांकित किया।
मोदी और वेंस के बीच क्वाड शिखर सम्मेलन, रक्षा सहयोग और आर्थिक रणनीति जैसे विषयों पर भी चर्चा हुई। मोदी ने राष्ट्रपति ट्रम्प को भारत आने का निमंत्रण दिया है, हालांकि अमेरिकी बयान में इस दौरे की पुष्टि नहीं की गई।
इस समय भारत-अमेरिका व्यापार वार्ताओं की दिशा स्पष्ट है, लेकिन रास्ता चुनौतीपूर्ण है। टीओआर तय हो चुका है, राजनीतिक दबाव बढ़ रहा है, और टैरिफ की समयसीमा करीब है। अब यह वार्ताकारों पर निर्भर है कि वे इस अवसर को किस तरह उपयोग में लाते हैं। आने वाला समय भारत-अमेरिका संबंधों के अगले अध्याय को आकार देगा।
