Monday, November 17, 2025

जापानी दूतावास के अधिकारी से छेड़छाड़ के आरोपी JNU प्रोफेसर को बर्खास्त किया गया

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) ने एक प्रोफेसर को सेवा से बर्खास्त कर दिया है, जिन पर जापानी दूतावास के एक अधिकारी द्वारा यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था। विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी है।

बताया गया कि आरोपी प्रोफेसर को बिना किसी सेवानिवृत्ति लाभ के बर्खास्त किया गया है। विश्वविद्यालय को जापानी दूतावास की ओर से एक औपचारिक शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि प्रोफेसर ने दूतावास के एक अधिकारी के प्रति यौन रूप से अनुचित टिप्पणी की थी।

JNU अधिकारी के अनुसार, इस मामले की जांच विश्वविद्यालय की आंतरिक शिकायत समिति (ICC) ने की, जिसमें प्रोफेसर को दोषी पाया गया। ICC की रिपोर्ट के आधार पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए प्रोफेसर को बर्खास्त करने का निर्णय लिया। साथ ही यह भी बताया गया कि आरोपी प्रोफेसर के खिलाफ यौन दुर्व्यवहार से संबंधित कई अन्य शिकायतें भी प्राप्त हुई थीं।

JNU की शीर्ष निर्णय लेने वाली इकाई, कार्यकारी परिषद (Executive Council), ने इस कार्रवाई को सर्वसम्मति से मंजूरी दी।

विश्वविद्यालय की कुलपति शांतिश्री डी पंडित ने बयान में कहा, “ऐसी शिकायतों के प्रति हमारी जीरो टॉलरेंस नीति है। यह निर्णय सभी यौन उत्पीड़कों, रिश्वतखोरों और भ्रष्ट कर्मचारियों – चाहे वे शिक्षण हों या गैर-शिक्षण – के लिए एक स्पष्ट चेतावनी है। हमने पहली बार ICC में छात्रों को चुनाव के माध्यम से प्रतिनिधित्व भी दिया है।”

इसके अलावा विश्वविद्यालय ने अन्य मामलों में सात अन्य व्यक्तियों के खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की है। इनमें एक अन्य प्रोफेसर को भी बर्खास्त किया गया है, जिन्हें 2021 में तत्कालीन कुलपति ने शोध फंड के कथित दुरुपयोग के आरोप में निलंबित कर दिया था। यह मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपा गया था, जिसके बाद उक्त प्रोफेसर को सेवा से हटाने का फैसला लिया गया।

उक्त मामले में दो गैर-शिक्षण कर्मचारियों को भी बर्खास्त किया गया है। वहीं, एक अन्य संकाय सदस्य को अदालत में चल रही कार्यवाही के चलते अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है। यह संकाय सदस्य फरवरी में आंध्र प्रदेश स्थित एक डीम्ड-टू-बी विश्वविद्यालय की NAAC मान्यता से जुड़े कथित रिश्वत मामले में CBI द्वारा गिरफ्तार किए गए 10 लोगों में शामिल था।

JNU प्रशासन की इन कार्रवाइयों को विश्वविद्यालय में अनुशासन और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक सख्त कदम माना जा रहा है।

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