ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने तमिल फिल्म अभिनेता और तमिलनाडु विजय कार्तिक (TVK) पार्टी के प्रमुख विजय के खिलाफ फतवा जारी किया है। यह फतवा कथित तौर पर विजय की फिल्मों में मुस्लिम समुदाय को नकारात्मक रूप से प्रस्तुत करने और इफ्तार पार्टी में जुआ खेलने और शराब पीने वाले लोगों को आमंत्रित करने के चलते जारी किया गया है।
बुधवार को समाचार एजेंसी ANI से बातचीत में मौलाना रजवी बरेलवी ने कहा, “विजय ने एक राजनीतिक पार्टी बनाई है और मुसलमानों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखे हैं। हालांकि, उन्होंने अपनी फिल्मों में मुसलमानों को आतंकवादी और नकारात्मक छवि में दिखाया है। उनकी इफ्तार पार्टी में जुआरियों और शराब पीने वालों को आमंत्रित किया गया था। इस वजह से तमिलनाडु के सुन्नी मुसलमानों में उनके प्रति आक्रोश है। उन्होंने मुझसे फतवा मांगा और मैंने जवाब में फतवा जारी किया है कि मुसलमानों को विजय का समर्थन नहीं करना चाहिए।”
विवादों के बीच, विजय ने हाल ही में वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने इस दौरान कुछ प्रमुख बिंदुओं पर चिंता व्यक्त की और संकेत दिया कि कोर्ट अधिनियम के कुछ प्रावधानों पर अंतरिम आदेश दे सकता है। अदालत ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हाल ही में हुई हिंसा पर भी चिंता जताई।
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, “जो बात सबसे ज्यादा परेशान कर रही है, वह है हो रही हिंसा। यह मामला अदालत के सामने है और हम इसका उचित निर्णय लेंगे।”
हालांकि कोर्ट ने फिलहाल कोई अंतिम आदेश पारित नहीं किया, लेकिन सुझाव दिया कि कुछ प्रावधान यथावत रखे जा सकते हैं। इनमें शामिल हैं:
- केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति का प्रावधान,
- वक्फ संपत्तियों पर विवादों के निपटारे में जिला कलेक्टरों को दी गई शक्तियां,
- और अदालत द्वारा वक्फ घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने का अधिकार।
अदालत ने संकेत दिया कि वह एक संतुलित अंतरिम आदेश पारित कर सकती है। इसके संभावित बिंदु निम्नलिखित हो सकते हैं:
- ऐसी कोई संपत्ति जिसे अदालत ने वक्फ घोषित किया है, उसे गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा।
- जिला कलेक्टर कार्यवाही जारी रख सकते हैं, लेकिन अधिनियम के प्रावधान प्रभावी नहीं होंगे।
- वक्फ बोर्ड और परिषद में पदेन सदस्यों की नियुक्ति हो सकती है, लेकिन अन्य सदस्यों का मुस्लिम होना आवश्यक रहेगा।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना आदेश देने ही वाले थे, लेकिन केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अधिनियम का बचाव कर रहे अन्य वकीलों ने कहा कि अंतरिम आदेश पारित करने से पहले उन्हें भी अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाए।
इसके बाद अदालत ने अगली सुनवाई गुरुवार दोपहर 2 बजे के लिए निर्धारित की है।

