दिल्ली सरकार ने मंगलवार को शहर में कार्यरत सभी श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी में ₹500 तक की वृद्धि की घोषणा की है। यह संशोधित दरें 1 अप्रैल से प्रभावी होंगी।
नई मजदूरी दरों के अनुसार, अकुशल श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी ₹18,066 प्रति माह से बढ़कर ₹18,456 प्रति माह कर दी गई है। अर्ध-कुशल श्रमिकों की मजदूरी ₹19,929 से बढ़ाकर ₹20,371 प्रति माह कर दी गई है। वहीं, कुशल श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी ₹22,411 से घटाकर ₹21,917 कर दी गई है।
इसी प्रकार, गैर-मैट्रिकुलेट कर्मचारियों के लिए मासिक मजदूरी ₹19,929 से बढ़ाकर ₹20,371 कर दी गई है। मैट्रिक पास लेकिन स्नातक नहीं कर्मचारियों की मजदूरी ₹21,917 से बढ़कर ₹22,411 कर दी गई है और स्नातक एवं उससे ऊपर की योग्यता रखने वाले कर्मचारियों के लिए यह राशि ₹23,836 से बढ़कर ₹24,356 हो गई है।
मंगलवार को जारी एक सरकारी आदेश में संयुक्त श्रम आयुक्त के.एम. सिंह ने कहा कि यदि किसी कर्मचारी को संशोधित न्यूनतम मजदूरी दरों से कम भुगतान किया जा रहा है, तो वह संबंधित जिले के संयुक्त श्रम आयुक्त या उप श्रम आयुक्त के पास अपना दावा प्रस्तुत कर सकता है। इन्हें न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के अंतर्गत प्राधिकृत अधिकारी घोषित किया गया है।
आदेश में यह भी उल्लेख किया गया कि “मजदूरी में यह वृद्धि न केवल बढ़ती महंगाई को संतुलित करेगी, बल्कि दिल्ली में काम कर रहे लाखों श्रमिकों को आर्थिक राहत भी प्रदान करेगी।”
गौरतलब है कि दिल्ली में न्यूनतम मजदूरी दरों में पिछली बार 1 अक्टूबर, 2024 को संशोधन किया गया था।
आप (आम आदमी पार्टी) के नेतृत्व वाली पिछली दिल्ली सरकार ने न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने को अपनी प्रमुख उपलब्धियों में गिनाया था। पार्टी का दावा था कि दिल्ली में देश की सबसे अधिक न्यूनतम मजदूरी दी जाती है। उदाहरण के लिए, उन्होंने बताया था कि जहां दिल्ली में अकुशल श्रमिकों को ₹18,000 से अधिक मिलते हैं, वहीं राजस्थान में यह ₹8,063, मध्य प्रदेश में ₹10,000, उत्तर प्रदेश में ₹8,300, हरियाणा में ₹10,000 और छत्तीसगढ़ में ₹10,900 है।
यह कदम दिल्ली में कार्यरत श्रमिकों की जीवन गुणवत्ता को बेहतर बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
