अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि 2 अप्रैल से कई देशों पर पारस्परिक टैरिफ लगाए जाएंगे। यह फैसला उन देशों पर पलटवार करने के रूप में लिया गया है, जो अमेरिका पर अधिक कर लगाते हैं। इस घोषणा के दौरान, ट्रंप ने चीन, ब्राजील और भारत जैसे देशों का जिक्र किया, जहां उच्च टैरिफ लागू किए गए हैं। हालांकि, भारतीय अधिकारियों को उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच एक समझौता हो सकता है, जिससे भारत इन टैरिफ से बच सके। इसके अलावा, इस वर्ष के अंत तक एक व्यापार संधि पर भी बातचीत हो सकती है।
भारत में आईफोन की कीमत पर प्रभाव
हालांकि ट्रंप ने अपने संबोधन में विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक सामानों का जिक्र नहीं किया, लेकिन मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग अमेरिकी तकनीकी कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
ऐसे में, अगर अमेरिका भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स पर टैरिफ लगाता है, तो इससे Apple जैसी कंपनियों की कुल लागत बढ़ सकती है। भारत एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र के रूप में उभर रहा है, लेकिन इस फैसले से उसे अन्य देशों की तुलना में प्रतिस्पर्धात्मक नुकसान हो सकता है।
भारत से होने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स के कुल निर्यात का मूल्य लगभग 30 बिलियन डॉलर है, जिसमें 60% स्मार्टफोन शामिल हैं। इन स्मार्टफोन्स में से दो-तिहाई Apple के iPhones हैं। यदि टैरिफ बढ़ता है, तो भारत से आईफोन का उत्पादन और निर्यात महंगा हो सकता है, जिससे उपभोक्ताओं पर भी असर पड़ सकता है।
ट्रंप ने भारतीय टैरिफ को लेकर क्या कहा?
ट्रंप ने कहा कि विभिन्न देश अमेरिकी उत्पादों पर भारी कर लगाते हैं, जो अमेरिका के लिए “बहुत अनुचित” है। उन्होंने विशेष रूप से “100% से अधिक टैरिफ” का उल्लेख किया, जिसे भारत द्वारा अमेरिकी ऑटोमोबाइल आयात पर लगाया जाता है। हालांकि, इलेक्ट्रॉनिक्स पर ट्रंप ने सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा है।
भारत अमेरिकी इलेक्ट्रॉनिक्स पर कितना टैरिफ लगाता है?
भारत में अमेरिकी इलेक्ट्रॉनिक्स पर पहले से ही आयात शुल्क लागू है। पिछले साल, भारत सरकार ने अंतरिम केंद्रीय बजट में स्मार्टफोन पर आयात शुल्क को 20% से घटाकर 15% कर दिया था। इसी तरह, स्मार्टवॉच पर 20% आयात शुल्क लगाया जाता है।
अमेरिकी टैरिफ का संभावित प्रभाव
विशेषज्ञों के अनुसार, फिलहाल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों को अमेरिकी टैरिफ का सीधा असर नहीं होगा। भारत में उत्पादन लागत अपेक्षाकृत कम है, जिससे बड़ी फैक्ट्रियां सस्ती दरों पर संचालित की जा सकती हैं।
हालांकि, यदि भारत भी जवाबी टैरिफ लगाता है, तो Apple और Samsung जैसी कंपनियों की उत्पादन लागत बढ़ सकती है, जिससे उनके लिए भारत में व्यवसाय करना कम लाभकारी हो सकता है।
व्यापार नीति विशेषज्ञों का मानना है कि पारस्परिक शुल्क (reciprocal tariffs) “भू-राजनीतिक संघर्ष” के समान होते हैं। यदि कोई भी देश अपने भारी करों को कम करने के लिए तैयार नहीं होता, तो कंपनियों को अपने परिचालन लागत को पूरा करने के लिए उत्पादों की कीमतें बढ़ानी पड़ सकती हैं।
भारत-अमेरिका व्यापार संधि का महत्व
इस साल के अंत में भारत और अमेरिका के बीच एक द्विपक्षीय व्यापार संधि पर बातचीत हो सकती है। यदि दोनों देश किसी समझौते पर पहुँचते हैं, तो इससे भारत को व्यापारिक रूप से चीन से आगे निकलने में मदद मिल सकती है।
इसलिए, ट्रंप के टैरिफ नीति का असर भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग पर निर्भर करेगा कि भारत इससे कैसे निपटता है। अगर टैरिफ जारी रहे, तो आईफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद महंगे हो सकते हैं, जिससे भारतीय बाजार पर प्रभाव पड़ सकता है।

