Wednesday, November 19, 2025

डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रमुख व्यापारिक साझेदारों पर टैरिफ की पुष्टि की

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को घोषणा की कि कनाडा और मैक्सिको से आयात पर 25% टैरिफ मंगलवार से लागू होगा। यह कदम निवेशकों की उस उम्मीद को तोड़ता है कि इन देशों के साथ अंतिम समय में कोई सौदा हो सकता है।

इसके साथ ही, ट्रम्प ने चीन से आयात होने वाले सामानों पर अतिरिक्त 10% टैरिफ लगाने की भी घोषणा की, जो पहले से लगाए गए 10% शुल्क से दोगुना है। इससे वैश्विक बाजारों में गिरावट देखी गई।

ट्रम्प ने पहले फरवरी में कनाडा और मैक्सिको से आयात पर शुल्क लगाने की घोषणा की थी लेकिन बाद में इसे रोक दिया था। उन्होंने इन देशों पर अवैध आव्रजन और मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया था।

विशेषज्ञों के अनुसार, इन शुल्कों का असर 918 बिलियन डॉलर से अधिक के अमेरिकी आयात पर पड़ेगा। इसके अलावा, ट्रम्प ने स्टील और एल्युमीनियम के सभी अमेरिकी आयातों पर 25% शुल्क लागू कर दिया है और आगे चलकर दवा, सेमीकंडक्टर और ऑटोमोबाइल आयातों पर भी टैरिफ लगाने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने यूरोपीय संघ से आयात पर 25% टैरिफ लगाने की भी धमकी दी है।

क्या भारत अमेरिकी टैरिफ का अगला लक्ष्य होगा?

ट्रम्प ने सोमवार को अमेरिकी किसानों को चेतावनी दी कि उन्हें अपने उत्पादों को घरेलू स्तर पर बेचने के लिए तैयार रहना चाहिए, क्योंकि 2 अप्रैल से कई आयातित उत्पादों पर टैरिफ लगाया जाएगा।

इसी बीच, भारत के व्यापार मंत्री पीयूष गोयल ने अमेरिका की यात्रा शुरू की है ताकि भारत पर अमेरिकी पारस्परिक टैरिफ के प्रभावों को समझा जा सके। चर्चा का उद्देश्य भारतीय व्यापार पर असर को कम करना और व्यापार समझौते को आगे बढ़ाना है। भारत कुछ औद्योगिक उत्पादों पर शुल्क कटौती पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन कृषि उत्पादों पर टैरिफ कम करने के दबाव का विरोध कर रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछली अमेरिका यात्रा के दौरान, दोनों देशों ने 2025 तक व्यापार समझौते के पहले चरण को पूरा करने और 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने की योजना बनाई थी। भारत पहले ही अमेरिकी ऊर्जा संसाधनों की खरीद बढ़ाने और कुछ उत्पादों पर टैरिफ कम करने के कदम उठा चुका है। इसके अलावा, सरकार एक नई इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) नीति पर भी विचार कर रही है, जिससे टेस्ला जैसी कंपनियों को भारतीय बाजार में प्रवेश करने में मदद मिलेगी।

यदि ट्रम्प भारत के व्यापार सुधार प्रयासों से असंतुष्ट रहते हैं, तो वे भारत पर भी टैरिफ लगा सकते हैं। इससे फार्मास्यूटिकल्स और पेट्रोकेमिकल्स जैसे उद्योग प्रभावित हो सकते हैं। भारत के लिए यह एक गंभीर चुनौती होगी, क्योंकि अमेरिका के साथ उसका व्यापार अधिशेष 35 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है।

अमेरिका पर आर्थिक नुकसान की चेतावनी

अमेरिकी टैरिफों के जवाब में अन्य देशों ने भी जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की है। चीन ने 10 मार्च से कुछ अमेरिकी उत्पादों पर 15% तक अतिरिक्त शुल्क लगाने और 15 अमेरिकी कंपनियों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की योजना बनाई है। इसी तरह, कनाडा ने 21 दिनों के भीतर 125 बिलियन कनाडाई डॉलर के अमेरिकी आयात पर जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की है।

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इन जवाबी शुल्कों से अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उच्च शुल्क से आयातित उत्पादों की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे उपभोक्ता खर्च कम होगा और आर्थिक विकास प्रभावित हो सकता है। हाल के डेटा से पता चलता है कि जनवरी में व्यक्तिगत आय में 0.9% की वृद्धि हुई, लेकिन उपभोक्ता खर्च अपेक्षित स्तर से कम रहा।

इस आर्थिक अनिश्चितता के बीच, अमेरिका के विनिर्माण और निर्माण क्षेत्र की वृद्धि भी धीमी पड़ी है। इससे संकेत मिलता है कि यदि व्यापार युद्ध जारी रहता है, तो इसका असर अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है।

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