हाल ही में रिलीज़ हुई सान्या मल्होत्रा की फ़िल्म मिसेज को देशभर की भारतीय महिलाओं से जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। फ़िल्म में सान्या ने एक गृहिणी की भूमिका निभाई है, जो अपने परिवार के लिए लगातार अपने कर्तव्यों का पालन करती है और अपने सपनों को दबाती रहती है। कई महिलाएँ उनके इस किरदार से गहराई से जुड़ाव महसूस कर रही हैं।
इस बीच, सेव इंडियन फैमिली फाउंडेशन (SIFF) ने सोशल मीडिया पर फ़िल्म की आलोचना करते हुए इसे नारीवाद का “अप्रासंगिक और अनावश्यक प्रचार” बताया है। संगठन ने निर्माताओं को निशाने पर लेते हुए कहा कि गृहिणियों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया है।
SIFF का विरोध और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
SIFF ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (जिसे पहले ट्विटर कहा जाता था) पर कई ट्वीट किए, जिसमें उन्होंने यह दावा किया कि महिलाओं पर घरेलू कार्यों की ज़िम्मेदारी डालना गलत नहीं है।
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SIFF के इन बयानों ने सोशल मीडिया यूज़र्स को नाराज़ कर दिया। कई नेटिज़न्स ने इस बयान की आलोचना करते हुए कहा कि यह विचारधारा महिलाओं के संघर्षों को नकारने के बराबर है। सोशल मीडिया पर लोगों ने SIFF को जमकर लताड़ लगाई और फ़िल्म मिसेज का समर्थन किया।
हरमन बावेजा ने दी प्रतिक्रिया
फ़िल्म के निर्माता हरमन बावेजा ने इस विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी और नारीवाद के प्रति अपने समर्थन को दोहराया। न्यूज़18 शोशा से बातचीत में उन्होंने कहा,
“मैं अब क्रोधित होने की अवस्था से बहुत आगे निकल चुका हूँ। मुझे गुस्सा दिलाने के लिए बहुत कुछ करना होगा। हो सकता है कि पुरुषों का वह वर्ग इस फ़िल्म को समाधान के रूप में देख रहा हो और कह रहा हो कि यह सभी पुरुषों का सटीक प्रतिनिधित्व है, लेकिन यह ज़रूरी नहीं कि सच हो। अगर किसी फ़िल्म में पुरुष और महिला किरदार हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि सभी पुरुष और महिलाएँ ऐसे ही होते हैं। हर घर अलग होता है। हर घर में खुशबू, शिष्टाचार और खाना परोसने का तरीका अलग होता है।”
उन्होंने आगे कहा,
“फ़िल्म को अलग-थलग करके देखने की ज़रूरत नहीं है। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि मिसेज एक विशेष महिला की कहानी है और बहुत-सी महिलाएँ इसके कुछ हिस्सों से खुद को जोड़ सकती हैं। कुछ ऐसे भी लोग होंगे – जो विकसित घरों से आते हैं – जो इस फ़िल्म से खुद को नहीं जोड़ पाते, लेकिन इसे समझते हैं क्योंकि उन्होंने अपनी माताओं के साथ ऐसा होते देखा है। फ़िल्म को इसी नज़रिए से देखने की ज़रूरत है।”
घरेलू कार्यों के बंटवारे पर विचार
घर के कामों में समानता के विषय पर बात करते हुए हरमन बावेजा ने कहा,
“इस पर मेरा नज़रिया थोड़ा अलग है। फ़िल्म का असली संदेश यह है कि हम जो कुछ भी करते हैं, उसके लिए एक-दूसरे का सम्मान करें। मैं अपनी पत्नी से प्यार करता हूँ और उसका सम्मान करता हूँ, और वह भी मुझे प्यार करती है और मेरा सम्मान करती है, क्योंकि हम दोनों अपने-अपने हिस्से की ज़िम्मेदारियों को निभाते हैं। हमारे दो बच्चे हैं और उसकी ज़िंदगी भी काफी व्यस्त है। वह एक स्वास्थ्य कोच है। अगर उसे अपने काम के दौरान मदद की ज़रूरत होती है, तो मैं मदद करता हूँ। इसी तरह, जब मुझे काम की ज़रूरत होती है, तो वह मेरा साथ देती है।”
मिसेज की कहानी
सान्या मल्होत्रा, निशांत दहिया और कंवलजीत सिंह अभिनीत मिसेज, मलयालम फ़िल्म द ग्रेट इंडियन किचन की हिंदी रीमेक है। यह फ़िल्म एक नवविवाहित महिला की कहानी बयां करती है, जो शादी के बाद अपने घर की सत्तावादी और पितृसत्तात्मक मानसिकता में फँस जाती है।
फ़िल्म ने नारीवाद, महिला सशक्तिकरण और पारिवारिक दायित्वों के संतुलन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा छेड़ दी है, जिसे दर्शकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है।