शहर के एक प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान में नेपाली छात्र की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत और पड़ोसी देश के छात्रों पर हुए कथित दुर्व्यवहार का मुद्दा मंगलवार को विधानसभा में जोर-शोर से उठा। भाजपा विधायक ने विश्वविद्यालय के संस्थापक की गिरफ्तारी की मांग की, जबकि सरकार ने मामले की गहन जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित करने की घोषणा की।
सरकारी जांच समिति गठित
सूचना एवं जनसंपर्क (आई एंड पीआर) विभाग के अनुसार, इस समिति का नेतृत्व गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सत्यब्रत साहू करेंगे। समिति में महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव शुभा सरमा और उच्च शिक्षा सचिव अरविंद अग्रवाल बतौर सदस्य शामिल होंगे।
आई एंड पीआर विभाग ने स्पष्ट किया कि छात्रों के खिलाफ किसी भी प्रकार के बल प्रयोग या दुर्व्यवहार की जांच की जा रही है, और दोषियों को कानून के अनुसार दंडित किया जाएगा। यह घटनाक्रम उस समय सामने आया जब पुलिस ने सोमवार को 20 वर्षीय बीटेक छात्र की कथित आत्महत्या के बाद हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान नेपाली छात्रों पर कथित हमले के आरोप में तीन विश्वविद्यालय अधिकारियों और दो निजी सुरक्षा गार्डों को गिरफ्तार किया।
केआईआईटी प्रशासन की प्रतिक्रिया
केआईआईटी डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी ने इस मामले में तीन अन्य अधिकारियों को निलंबित कर दिया, जबकि दो गिरफ्तार सुरक्षा गार्डों को बर्खास्त कर दिया गया। विश्वविद्यालय प्रशासन ने पूरी घटना पर खेद व्यक्त करते हुए माफी भी मांगी।
केआईआईटी की ओर से जारी बयान में कहा गया, “हम 16 फरवरी, 2025 की शाम को हमारे परिसर में हुई अप्रिय घटना से बेहद स्तब्ध हैं। हममें से कुछ लोगों ने आंदोलनकारी छात्रों के साथ जिस तरह का व्यवहार किया, उसके लिए हमें खेद है। हम अपने छात्रों से प्रेम करते हैं और कभी उनके साथ अन्याय नहीं किया।”
नेपाल सरकार का हस्तक्षेप
जब विश्वविद्यालय प्रशासन ने नेपाली छात्रों को तुरंत परिसर खाली करने का निर्देश दिया, तो नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली को हस्तक्षेप करना पड़ा। उन्होंने इस मुद्दे के समाधान के लिए नई दिल्ली से मदद का अनुरोध किया। इस घटना के चलते भारत और नेपाल के बीच कूटनीतिक विवाद बढ़ने की संभावना थी।
विधानसभा में उठा मामला
बीजद विधायक प्रताप केशरी देब ने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाते हुए इसे राज्य की कानून व्यवस्था की विफलता बताया। उन्होंने कहा कि इस घटना ने ओडिशा की वैश्विक छवि को धूमिल किया है।
कांग्रेस विधायक तारा प्रसाद बहिनीपति ने इस मामले में न्यायिक जांच की मांग की और चेतावनी दी कि यदि सरकार ने ऐसा नहीं किया तो वे विधानसभा के अंदर धरने पर बैठ जाएंगे।
वहीं, भाजपा विधायक तनकधर त्रिपाठी ने राज्य सरकार की कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा कि सरकार ने मामले में त्वरित हस्तक्षेप किया, जिसके बाद केआईआईटी प्रशासन ने नेपाली छात्रों से माफी मांगी।
इस बीच, भाजपा विधायक बाबू सिंह ने विधानसभा के बाहर पत्रकारों से बातचीत में कहा, “हम केआईआईटी के संस्थापक अच्युत सामंत की गिरफ्तारी की मांग करते हैं।” हालांकि, पूर्व बीजद सांसद अच्युत सामंत से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी।
गिरफ्तारी और पुलिस का बयान
पुलिस ने बताया कि केआईआईटी के तीन वरिष्ठ अधिकारियों – सिबानंद मिश्रा, प्रताप चंपति और सुधीर रथ – के साथ दो सुरक्षा गार्डों – रमाकांत नायक और जोगेंद्र बेहरा को नेपाली छात्रों के प्रदर्शन के दौरान कथित दुर्व्यवहार के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
पुलिस आयुक्त एस देव दत्ता सिंह ने कहा, “हम नेपाल के छात्रों सहित सभी विद्यार्थियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यदि किसी भी छात्र को कोई कठिनाई होती है, तो वे 8280338301 पर 24×7 संपर्क कर सकते हैं।”
सरकार का आश्वासन
ओडिशा सरकार ने सभी छात्रों की सुरक्षा और सम्मान की रक्षा करने के अपने संकल्प को दोहराया। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने कहा, “हम न्याय को शीघ्र और निष्पक्ष रूप से सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे।”
विश्वविद्यालय परिसर में नेपाली छात्रों के कथित उत्पीड़न और जबरन निष्कासन पर विभाग ने कहा, “राज्य सरकार ने इस मामले का त्वरित संज्ञान लिया है और आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। सुरक्षा गार्डों की गिरफ्तारी और दोषी अधिकारियों के निलंबन के साथ ही विश्वविद्यालय को नोटिस जारी किया गया है। उच्च स्तरीय जांच समिति के निष्कर्षों के आधार पर उचित कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी।”