मंगलवार को भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई, जहां सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में तेज गिरावट आई। बाजार के दोनों प्रमुख सूचकांक इंट्राडे ट्रेडिंग के दौरान लगभग 1.5% तक गिरने के बाद लाल निशान में बंद हुए।
सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट
- सेंसेक्स लगभग 1,300 अंकों की गिरावट के साथ 76,030.59 के निचले स्तर तक पहुंच गया।
- निफ्टी लगभग 400 अंकों की गिरावट के साथ 22,986.65 के इंट्राडे निचले स्तर पर आ गया।
- निफ्टी के सभी सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए, निफ्टी मिडस्मॉल फाइनेंशियल सर्विसेज में 4% और निफ्टी रियल्टी में 3.80% की गिरावट देखी गई।
बाजार में गिरावट के मुख्य कारण
1. अमेरिकी टैरिफ की धमकी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की टैरिफ नीतियों को लेकर की गई हालिया टिप्पणियों का बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। ट्रम्प ने अमेरिका में एल्युमीनियम और स्टील के आयात पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की, जिससे वैश्विक व्यापार धारणा प्रभावित हुई। इससे निवेशकों ने अपना पैसा निकालना शुरू कर दिया, जिससे भारतीय बाजारों में गिरावट आई।
2. अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल की गवाही
वैश्विक निवेशक अमेरिकी फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल की सीनेट बैंकिंग, आवास और शहरी मामलों की समिति और हाउस फाइनेंशियल सर्विसेज कमेटी के सामने दी जाने वाली गवाही का इंतजार कर रहे हैं।
- इस गवाही में पॉवेल अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति का विश्लेषण करेंगे और संभावित मौद्रिक नीतियों पर चर्चा करेंगे।
- निवेशक इस बात का आकलन कर रहे हैं कि क्या फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कोई बदलाव करेगा।
- संभावित सख्त मौद्रिक नीति के संकेतों ने बाजार में अस्थिरता बढ़ा दी है।
3. विदेशी निवेशकों द्वारा पूंजी निकासी (FII/FPI प्रभाव)
- विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने भारतीय शेयर बाजार से भारी मात्रा में धन निकाला।
- एनएसई (NSE) के आंकड़ों के अनुसार, इन दोनों समूहों ने कुल ₹2,463.72 करोड़ की निकासी की।
- दूसरी ओर, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने केवल ₹1,515.52 करोड़ का निवेश किया।
- यह असंतुलन बाजार में बिकवाली के दबाव का एक बड़ा कारण बना।
4. अमेरिकी बॉन्ड यील्ड और डॉलर इंडेक्स में मजबूती
- यूएस 10-वर्षीय ट्रेजरी बॉन्ड यील्ड 4.495% पर पहुंच गया, जबकि 2-वर्षीय यील्ड 4.281% रही।
- उच्च बॉन्ड यील्ड ने अमेरिकी परिसंपत्तियों को अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक बना दिया, जिससे उभरते बाजारों से पूंजी का बहिर्वाह हुआ।
- डॉलर इंडेक्स की मजबूती और भारतीय रुपये में कमजोरी ने भी विदेशी निवेशकों को भारतीय बाजार से बाहर निकलने के लिए प्रेरित किया।
निष्कर्ष
भारतीय शेयर बाजार में मंगलवार को आई गिरावट कई वैश्विक और घरेलू कारकों का परिणाम थी। अमेरिका की टैरिफ नीति, फेडरल रिजर्व प्रमुख जेरोम पॉवेल की गवाही, विदेशी निवेशकों द्वारा पूंजी निकासी, और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि ने बाजार में नकारात्मक धारणा को जन्म दिया। निवेशकों को आगे के घटनाक्रमों पर नजर रखनी होगी, क्योंकि बाजार की अस्थिरता अभी भी बनी रह सकती है।