शाहिद कपूर की चमक: देवा में शाहिद कपूर अपने बेहतरीन अंदाज में नजर आते हैं। उन्होंने इस थ्रिलर को एक शानदार पटकथा के साथ पेश किया है, जो उस फिल्म की कहानी को काफी हद तक नया मोड़ देती है, जिस पर यह आधारित है (मुंबई पुलिस, 2013)।
निर्देशक रोशन एंड्रयूज ने अपनी पहली हिंदी फिल्म में अपनी मलयालम फिल्म को मुख्य अभिनेता के व्यक्तित्व के अनुसार ढालते हुए एक शानदार पेशकश की है। मूल फिल्म में पृथ्वीराज सुकुमारन ने शानदार अभिनय किया था, और इस बार शाहिद कपूर ने इसे अपने अंदाज में निभाया है। इसके अलावा, फिल्म एक अच्छे और बुरे पुलिसवाले की कहानी में मसालेदार तत्वों का संतुलित मिश्रण जोड़ती है।
देवा: एक जख्मी और जुनूनी पुलिसवाले की कहानी देवा एक सुलगते हुए मुंबई पुलिस अफसर की दिमागी उलझनों में झांकने की कोशिश करता है, जो ज्यादातर अपने हाथों से ही अपनी बातें कहता है। लेकिन जब वह एक घातक दुर्घटना का शिकार होता है, तो उसकी याददाश्त धुंधली हो जाती है। अब उसके पास केवल उसकी प्रतिक्रियात्मक प्रवृत्तियाँ ही बचती हैं।
जब उसे उकसाया या धमकाया जाता है, तो उसकी सहज बुद्धि उसे मुश्किल परिस्थितियों से बाहर निकालती है, भले ही उसका दिमाग पूरी तरह से काम न कर रहा हो। उसके कई दुश्मन और विरोधी हैं, लेकिन वह जितना घिरा हुआ दिखता है, उतना ही चुनौती का सामना करता है।
कहानी की जड़ें और अनोखे तत्व: एक सख्त पुलिसवाले की कहानी, जो अपनी ज़िंदगी में दूसरा मौका चाहता है, एक मामले में गंभीर चोट के बाद उलझन में पड़ जाता है। इसमें विभिन्न एक्शन तत्वों का मिश्रण है – भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक, पूर्वानुमानित और चौंकाने वाले क्षणों से भरी हुई।
क्या देवा में कुछ नया है? हाँ, कुछ नई कथात्मक चालें, एक अलग एंगल से देखी गई पुलिसिया कहानी और अपराधियों से जूझता एक जुनूनी पुलिसवाला, जो दर्शकों को 157 मिनट तक बांधे रखता है। आमतौर पर इतनी लंबी फिल्में भारी पड़ सकती हैं, लेकिन यह अपनी तीव्रता बनाए रखती है।
फिल्म के मजबूत पक्ष: देवा कई कारणों से सफल रहती है:
- शाहिद कपूर का दमदार अभिनय
- अमित रॉय की बेहतरीन सिनेमैटोग्राफी
- ए. श्रीकर प्रसाद का शानदार संपादन
- जेक्स बेजॉय का प्रभावशाली बैकग्राउंड स्कोर
फिल्म में गति को बनाए रखा गया है, जिससे यह एक दिलचस्प अनुभव बनती है।
देवा के सफर की झलक: फिल्म की शुरुआत एक मोटरसाइकिल दुर्घटना से होती है, जिसमें देव अम्बरे (शाहिद कपूर) की याददाश्त प्रभावित होती है। ठीक होने की प्रक्रिया धीमी है, लेकिन न्यूरोलॉजिस्ट की सलाह पर, वह फिर से एक्शन में लौट आता है।
फिल्म देव के दो पहलुओं को दिखाती है – भूलने से पहले और भूलने के बाद। यह पहलू उसकी आंतरिक उथल-पुथल और नैतिक संघर्षों को उजागर करते हैं। उसे न केवल अपनी याददाश्त वापस लानी है, बल्कि एक उलझे हुए हाई-प्रोफाइल केस को भी सुलझाना है।
देवा के दोस्त और सहयोगी: देव के आस-पास कुछ वफादार दोस्त हैं। उनके बॉस फरहान खान (प्रवेश राणा), जो उनकी बहन के पति भी हैं, उनका मार्गदर्शन करते हैं। फिल्म में शादी का एक ट्रैक भी जोड़ा गया है, जिससे एक गीत-और-नृत्य दृश्य जोड़ा जाता है, हालांकि यह थोड़ा असंगत लगता है।
रोहन डिसिल्वा (पावेल गुलाटी), देव का बचपन का दोस्त और सहयोगी, हर अच्छे और बुरे समय में उसके साथ रहता है। फिल्म में उनका रिश्ता महत्वपूर्ण मोड़ पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
महिला किरदारों की सीमित भूमिका: फिल्म में दो प्रमुख महिला किरदार हैं – दीया साठे (पूजा हेगड़े) और दीप्ति सिंह (कुबरा सैत)। दीया, एक खोजी पत्रकार, देव की जांच में मदद करती है लेकिन मुख्य रूप से नायक की रोमांटिक रुचि तक ही सीमित रहती है। वहीं, दीप्ति पुलिस दल का हिस्सा होने के बावजूद पूरी तरह से लाइमलाइट में नहीं आती। यह फिल्म पुरुष प्रधान दुनिया को दिखाती है, जहां महिलाओं की भूमिकाएँ सीमित रहती हैं।
शैतानी देव और उसकी उग्रता: देव को एक गुस्सैल पुलिसवाले के रूप में चित्रित किया गया है, जो माफिया डॉन, अपराधियों और भ्रष्ट राजनेताओं से टकराता है। कोर्टरूम सीक्वेंस में खुलासा होता है कि उसके खिलाफ पांच मामले लंबित हैं और उसके बॉस उसे काबू में रखने में असमर्थ हैं।
क्या हमने ऐसे पुलिसवाले पहले नहीं देखे? बिल्कुल देखे हैं। लेकिन देव अम्बरे केवल एक हिंसक पुलिसवाला नहीं है, बल्कि एक ऐसा व्यक्ति है जो अपने अंदर के राक्षसों से जूझ रहा है और अपने खोए हुए सम्मान को वापस पाने की कोशिश कर रहा है।
फिल्म का रहस्य और प्रमुख मोड़: फरहान देव की याददाश्त को जोड़ने में मदद करता है, और अनजाने में एक महत्वपूर्ण सुराग दे देता है, जो फिल्म के लिए बड़ा ट्विस्ट साबित होता है। यह एक मुठभेड़ का दृश्य है, जहां एक भागते व्यक्ति को गोली मार दी जाती है, और पूरी फिल्म इस घटना के इर्द-गिर्द घूमती है।
देवा की विशेषता: फिल्म में कुछ सामान्य पुलिस थ्रिलर तत्व होने के बावजूद, यह दर्शकों को अंत तक बांधे रखती है। कहानी में किए गए संशोधन इसे मूल मलयालम फिल्म से अलग बनाते हैं, जिससे यह ताजगी बनाए रखती है।
देवा पूरी तरह से शाहिद कपूर का शो है, लेकिन यह केवल उनके प्रशंसकों के लिए नहीं बनी है। यह एक बेहतरीन एक्शन-थ्रिलर है, जिसमें एक मजबूत कहानी, शानदार सिनेमैटोग्राफी, और प्रभावशाली बैकग्राउंड स्कोर है। यदि आप एक दिलचस्प और इंटेंस पुलिस थ्रिलर देखना चाहते हैं, तो देवा निश्चित रूप से एक शानदार विकल्प है।