एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने वक्फ संशोधन विधेयक के प्रारूप में 14 बदलावों को मंजूरी देने के लिए मतदान किया है। यह विधेयक, जिसे अगस्त 2022 में लोकसभा में पेश किया गया था, देश में मुस्लिम धर्मार्थ संपत्तियों के प्रबंधन के तरीकों में 44 विवादास्पद बदलाव करने का प्रस्ताव करता है।
इन 14 बदलावों में सबसे उल्लेखनीय बदलाव दो गैर-मुस्लिम सदस्यों की अनिवार्यता और मनोनीत पदेन सदस्यों (मुस्लिम या गैर-मुस्लिम) के बीच अंतर करना है। इसका अर्थ यह है कि वक्फ परिषदों में, चाहे वह राज्य स्तर पर हो या अखिल भारतीय स्तर पर, कम से कम दो गैर-मुस्लिम सदस्य होंगे। यदि मनोनीत पदेन सदस्य मुस्लिम नहीं हैं, तो उनकी संख्या और अधिक हो सकती है।
मुख्य बदलावों पर नज़र
- वक्फ संपत्ति की पहचान:
एक बड़ा बदलाव यह है कि संबंधित राज्य द्वारा मनोनीत अधिकारी यह तय करेंगे कि कोई संपत्ति ‘वक्फ’ है या नहीं। पहले, यह निर्णय जिला कलेक्टर के अधीन था। - कानून की पूर्वव्यापी प्रभावशीलता:
विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि कानून पूर्वव्यापी रूप से लागू नहीं होगा, जब तक कि संपत्ति पहले से पंजीकृत न हो। कांग्रेस नेता और जेपीसी सदस्य इमरान मसूद ने इस पर आपत्ति जताई, यह तर्क देते हुए कि लगभग 90 प्रतिशत वक्फ संपत्तियां अभी तक पंजीकृत नहीं हैं। - भूमि दान से जुड़ी शर्तें:
तेजस्वी सूर्या द्वारा प्रस्तावित एक अन्य बदलाव यह है कि जो व्यक्ति भूमि दान करना चाहता है, उसे यह प्रमाणित करना होगा कि वह कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहा है। साथ ही, उसे यह स्वीकार करना होगा कि इस दान में किसी प्रकार की साजिश शामिल नहीं है।
विपक्ष की आपत्तियां और वोटिंग परिणाम
सत्तारूढ़ दल और उनके सहयोगी सांसदों ने वक्फ संशोधन विधेयक में 23 बदलावों के प्रस्ताव दिए, जबकि विपक्ष ने 44 बदलावों के प्रस्ताव रखे। हालांकि, विपक्ष के किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया गया।
जेपीसी में भाजपा और उसके सहयोगी दलों के 16 सांसद हैं, जबकि विपक्ष के केवल 10 सांसद हैं। मतदान के दौरान विपक्ष के प्रस्तावों को 10:16 के अंतर से खारिज कर दिया गया।
अंतिम निर्णय की प्रक्रिया और समयसीमा
14 बदलावों की पुष्टि के लिए मतदान 29 जनवरी को होगा, और अंतिम रिपोर्ट 31 जनवरी तक पेश की जाएगी। शुरुआत में समिति को 29 नवंबर 2022 तक रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया था, लेकिन समय सीमा बढ़ाकर 13 फरवरी 2023 कर दी गई, जो बजट सत्र का अंतिम दिन है।
विधेयक पर आलोचनाएं
सूत्रों के अनुसार, इन बदलावों का उद्देश्य उन मुस्लिम महिलाओं को सशक्त बनाना है, जो पुराने कानूनों के तहत वंचित थीं। हालांकि, आलोचकों ने इसे “धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला” बताया है।
तृणमूल कांग्रेस के नेता कल्याण बनर्जी और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने दावा किया है कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 15 (धर्म अपनाने की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 30 (अल्पसंख्यकों को अपने शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उनका प्रबंधन करने का अधिकार) का उल्लंघन करता है।
वक्फ अधिनियम का इतिहास
1995 में पारित वक्फ अधिनियम का उद्देश्य वाकिफ (संपत्ति दान करने वाले) द्वारा औकाफ (वक्फ संपत्ति) को विनियमित करना था। इस अधिनियम में पिछली बार 2013 में संशोधन किया गया था।
यह विधेयक अब चर्चा और मतदान के अंतिम चरण में है।