प्रसिद्ध पार्श्व गायक पी जयचंद्रन, जिन्हें प्यार से ‘भाव गायकन’ कहा जाता था, का गुरुवार शाम को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। जयचंद्रन अपने गीतों में प्रेम, लालसा और भक्ति जैसी भावनाओं को व्यक्त करने की अनूठी शैली के लिए जाने जाते थे। उनका निधन 80 वर्ष की आयु में केरल के त्रिशूर में एक निजी मेडिकल कॉलेज में हुआ।
स्वास्थ्य समस्याओं से जूझते रहे
अस्पताल के सूत्रों के अनुसार, गायक का गुरुवार शाम करीब 7:55 बजे निधन हुआ। लंबे समय से बीमार चल रहे जयचंद्रन को गुरुवार को उनके आवास पर गिरने के बाद अस्पताल ले जाया गया था।
संगीत में अद्वितीय योगदान
पी जयचंद्रन ने मलयालम, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और हिंदी में 16,000 से अधिक गाने रिकॉर्ड किए। उन्होंने भारतीय संगीत में अपने योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए।
जयचंद्रन ने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और केरल सरकार के प्रतिष्ठित जे सी डैनियल पुरस्कार जीते। उन्होंने पांच बार केरल राज्य फिल्म पुरस्कार और दो बार तमिलनाडु राज्य फिल्म पुरस्कार भी हासिल किए।
संगीत यात्रा की शुरुआत
3 मार्च, 1944 को एर्नाकुलम में जन्मे जयचंद्रन ने हाई स्कूल में मृदंगम बजाने और हल्का शास्त्रीय संगीत गाने से अपनी संगीत यात्रा शुरू की। 1958 के राजकीय विद्यालय कालोत्सवम में उन्होंने मृदंगम प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
जयचंद्रन ने 1965 में फिल्म “कुंजली मरक्कर” के गीत “ओरु मुल्लाप्पू मलयुमई” से अपने गायन करियर की शुरुआत की। हालांकि, उनका पहला रिलीज़ हुआ गाना फिल्म “कलितोझान” का “मंजलायिल मुंगीथोर्थी” था।
फिल्मों और पुरस्कारों की लंबी सूची
जयचंद्रन ने संगीतकार इलैयाराजा और ए आर रहमान सहित कई प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ काम किया। उनका गाया हुआ गीत “शिव शंकर शरण सर्व विभो” उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार दिलाने वाला गीत बन गया।
उनके गाए कालजयी गीतों में “नीलागिरियुडे सखिकाले,” “अनुराग गानम पोल,” “उपासना उपासना,” और “ओन्निनी श्रुति थजथि पादुका पूनकुयिले” शामिल हैं।
संगीत के अलावा अभिनय में भी योगदान
संगीत के अलावा, जयचंद्रन ने “त्रिवेन्द्रम लॉज,” “नखक्षथंगल,” और “श्रीकृष्णपरुंथ” जैसी फिल्मों में अभिनय किया।
व्यक्तिगत जीवन
उनके परिवार में उनकी पत्नी ललिता, बेटी लक्ष्मी, और बेटा दीनानाथन शामिल हैं। दीनानाथन भी एक गायक हैं।
अंतिम संस्कार की जानकारी
जयचंद्रन का पार्थिव शरीर शुक्रवार को त्रिशूर के पूमकुन्नम स्थित उनके निवास पर लाया जाएगा। शनिवार को दोपहर 3 बजे चेंदमंगलम स्थित उनके पैतृक घर में अंतिम संस्कार किया जाएगा।
शोक संदेश
केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर और मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने जयचंद्रन के निधन पर शोक व्यक्त किया। मुख्यमंत्री विजयन ने कहा, “जयचंद्रन की मधुर आवाज ने पीढ़ियों को प्रभावित किया। उनकी गायन शैली ने आम लोगों के दिलों में संगीत की गहराई को पहुंचाया।”
विपक्ष के नेता वी डी सतीसन ने कहा, “जयचंद्रन की अनूठी गायन शैली और उनकी दुर्लभ आवाज हमेशा याद की जाएगी। उनका संगीत पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।”
जयचंद्रन के निधन के साथ ही भारतीय संगीत जगत में एक अद्वितीय युग का अंत हो गया। उनकी मधुर आवाज और यादगार गीतों का जादू सदैव अमर रहेगा।